एन.पी.वी. (न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस )
प्रायः किसान भाइयों ने वायरस को बीमारी फैलाते ही देखा या सुना होगा परंतु एक ऐसा वायरस भी है जो आपकी फसल को कीड़ो से बचा सकता है। आज की कड़ी में हम बात करेंगे एन.पी.वी. वायरस के बारे में।
डॉ. गजेंद्र चन्द्राकर (कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के अनुसार न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस (एन.पी.वी) पर आधारित हरी सुंडी (हेलिकोवर्पा आरमीजेरा) अथवा तम्बाकू सुंडी (स्पोडाप्टेरा लिटुरा) का जैविक कीटनाशक है जो तरल रूप में उपलब्ध है। इसमें वायरस कण होते है।
किन फसलों के लिए उपयोगी है|
कैसे काम करता है ये वायरस
जिनसे सुंडी द्वारा खाने या संपर्क में आने पर सुंडियों का शरीर 2 से 4 दिन के भीतर गाढ़ा भूरा फूला हुआ व् सडा हो जाता है, सफ़ेद तरल पदार्थ निकलता है व् मृत्यु हो जाती है | रोग ग्रसित तथा मरी हुई सुंडियां पत्तियों एवं टहनियों पर लटकी हुई पाई जाती है।
किन फसलों के लिए उपयोगी है|
एन.पी.वी कपास, फूलगोभी, टमाटर, मिर्च, भिन्डी, मटर, मूंगफली, सूर्यमुखी, अरहर, चना, मोटा अनाज, तम्बाकू एवं फलों को नुकसान से बचाता है।
प्रयोग करने की विधि
1 मिली एन.पी.वी को 1 लीटर पानी में घोल बनाये तथा ऐसे घोल को 250 से 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 12 से 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 छिडकाव फसलों के लिए उपयोगी है |
सावधानियां
छिडकाव सांयकाल को किया जाय तथा ध्यान रहे की लार्वा की प्रारम्भिक शैशवावस्था में अथवा अंडा देने की स्तिथि में प्रथम छिडकाव किया जाये।
सेल्फ लाइफ
एन.पी.वी की सेल्फ लाइफ 6 माह है |
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