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जैविक खेती:-जानिये क्या है "अग्निहोत्र विज्ञान" और कृषि में क्या है इसकी उपयोगिता।

अग्निहोत्र विज्ञान

प्रदूषण का समाधान यज्ञ





सरल-सहज तरीके से पदार्थ को नैनो पार्टीकल में बदलने की टेक्नालॉजी 

प्रकृति के लगातार दोहन और प्रदूषण से पंच तत्वो में असन्तुलन और ग्लोबल वार्मिंग का संकट आ गया है ।
यह मानव सहित धरती पर रहने वाले हर प्राणियों के लिए गम्भीर खतरा है ।
यह संकट मानव निर्मित है अतः इसे मानव ही ठीक कर सकता है ।

अपने प्राचीन ऋषि मनीषियों को इस बात का ज्ञान था तभी उन्होंने *अग्निहोत्र*
जैसा विज्ञान हमे दिया जिससे हम प्रकृति संतुलन कर सकते है ।अग्निहोत्र पर दो हजार से ज्यादा वेवसाइड्स है,भारतीय तो कम विदेशी इस पर ज्यादा अध्ययनव शोध कर रहे है ।अग्निहोत्र 2 मिनट में पूर्ण हो जाने वाला एक हवन है ।जिसे कोई भी व्यक्ति आसानी से कर सकता है ।अग्निहोत्र विज्ञान मानव स्वास्थ्य उपचार में भी उपयोगी है ।पशु स्वास्थ्य व दूध उत्पादन में भी  हमने इसको उपयोगी पाया है ।
कैसे समझे 
हम सबको हर कार्य के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है और अग्निहोत्र से ऊर्जा का प्रस्फुटन होता है ।
 ऊर्जा परमाणु विखण्डन से निकलता है और परमाणु विखण्डन की प्रक्रिया सूर्य जो में होता है वही प्रक्रिया अग्निहोत्र में भी होता है । जो 7 रंग सूर्य से निकलते है वही 7 रंग अग्निहोत्र से भी निकलते है।
 



अलग अलग रंग अलग अलग तत्वो की उपस्तिथि को दर्शाते हैं । (पढ़े रंग चिकित्सा)

अग्निहोत्र न केवल रंग की ऊर्जा (पदार्थ) उत्सर्जित करता है अपितु 
  • गन्ध 
  • स्वर
  • स्पर्श 
  • भस्म (भूमि का पदार्थ)
के रूप में भी हमे ऊर्जा देता है ।इस ऊर्जा का हम फसल उत्पादन,मानव स्वास्थ्य सुधार,पशुपालन में लाभदायक उपयोग कर सकते है ।केवल अग्निहोत्र ही एक ऐसा स्रोत है जो 
भूमि - भ
गगन - ग
वायु - व
अग्नि - अ
नीर - न
---------------------
भ-ग-व-अ-न
----------------------
भगवान
----------------------
को ऊर्जा देता है ।

और इन्ही अपरा पंचमहाभूतों से पूरा ब्रम्हाण्ड बना है हम तुम जीव जंतु वनस्पति और प्रकृति सभी इन्ही पंचतत्वो से बने है ।


इसके अतिरिक्त अग्निहोत्र से  निकलने वाली गैस

एथिलीन ऑक्साईड
प्रापलीन ऑक्साईड
बीटा प्रपिओ ऑक्साईड
फार्मेलिडिहाइड गैस
पंचमहाभूतों को शुद्ध व सजीव करती है ।

मैंने स्वयं इसका उपयोग करके
अनेक तरह का सीधा लाभ प्राप्त किया है ।
जिसके कुछ उदाहरण आपको बता रहा हूँ :-

फसल उत्पादन में
🔜बीजो के जैनेटिक कैरेक्टर में सुधार
🔜कृषि भूमि को मुलायम करने में 
🔜भूमि की उर्वरता बढ़ाने में 
🔜फसल को सूक्ष्म पोषक तत्वो की पूर्ति करने में 
🔜फसल को तुसार से बचाने में 
बीजो को संरक्षित करने में 
🔜जैविक खाद्यान्नों को सुरक्षित करने व गुणवत्ता बढ़ाने में ।

पशुपालन में
🔜 पशुओं के पेट की कृमि दूर करने में 
🔜 दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाने में 
🔜 पशुओं को रोगमुक्त रखने में 

मानव स्वास्थ्य में
👉बच्चों की शारीरिक मानसिक विकास में
👉परिवार के आत्मिक शांति व सौहार्द्रपूर्ण वातावरण लाने में 
👉निरोगी जीवन प्राप्त करने में
👉 जीवन को जैविक घड़ी के अनुशासन में बांधने में 
मैंने शानदार परिणाम देखे है ।


ऐसे करे अग्निहोत्र :-----
**************
       अग्निहोत्र करने के लिये कुछ चीजो की आवश्यकता होती है वो इस प्रकार है :--
1 निश्चित आकार व नाप का अग्निहोत्र पात्र ताम्बे या मिट्टी का
2 स्थानीय समयानुसार सूर्योदय और सूर्यास्त   की समयसारीणी 
3 गोवन्श  के गोबर के साफ से कंडे 
4 गो घृत 
5 कच्चा साबुत चावल 
6सूर्योदय और सूर्यास्त के दो मंत्र 
7 माचिसl
8 कुन्दुरुनु गोद / कर्पुर या गो घृत मे भिगी रुई की बत्ती 
     उपरोक्त  सामग्री एकत्र होने पर सर्वप्रथम समय सारिनी मे आज दिनांक  1203-2018  का शाम का अग्निहोत्र का समय देखे मान लिजिये आज शाम के अग्निहोत्र का समय  06-48 है तो इसके 15 मिनट पूर्व हाथ -पैर धोकर सब सामग्री एकत्र करके बैठ जावे l  सर्वप्रथम अग्निहोत्र पात्र के पैदे मे गाय के गोबर के कंडे का एक चोकोर टुकडा  रखे l उसके उपर कर्पुर या कुन्दूरुनू गोद का टुकडा  या गाय के घी मे भिगी रुई की बत्ती रख उसे माचिस से 7-8 मिनट पूर्व जला देवे l  इसके पूर्व  गो वंश के कंडे के पतले व लंबे टुकडे तोड कर रखे l  चारो साईडो मे छोटे-छोटे टुकडे जमा देवे l फिर कन्डो को इस प्रकार जमावे की अग्नि को जलने के लिये हवा आने  की जग़ह बचे और मध्य मे आहुति डाल
ने  के लिये स्थान रिक्त रखे और रिक्त रखे स्थान को  कंडे के छोटे से टुकडे से ढक देवे ताकि  सारे कंडे जल सके l
        अब दो चुटकी चावल बाये हाथ की हथेली पर लेकर उसमे दो बुंद गो घृत मिलाकर तेयार रखे l इन चावलो के दो बराबर भाग कर लेवे और अग्निहोत्र के समय की प्रतीक्षा करे l 
       जैसे ही अग्निहोत्र का समय हो आपको दो मंत्र बोलकर आहुति अग्नि मे अर्पित करनी है l

*मंत्र इस प्रकार है :--
*सूर्यास्त के मंत्र.
===========
1अग्नये स्वाहाl अग्नये इदं न मम (स्वाहा पर आहुति छोडे)
2प्रजापतये स्वाहा lप्रजापतये इदं न मम (स्वाहा पर आहुति छोडे)
*सूर्योदय  के मंत्र*
===========

1सुर्याय स्वाहा l सुर्याय इदं न मम  l
2प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदं न मम l

     आहुति देने के बाद कमर सीधी रखे हुऐ अग्नि या धुऐ पर ध्यान केन्द्रित करे l जब तक आहुति जल रही है तब तक शांत चित्त बैठे रहे तत्पश्चात अग्निहोत्र पात्र को सुरक्षित स्थान पर रख कर अपने अन्य कार्य मे लगे l

अग्निहोत्र : कृषि क्रांति
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10 एकड़ क्रषि भूमि के लिए 1 जगह का अग्निहोत्र पर्याप्त माना गया है,अपने जैविक जीवन शैली विज्ञान मिशन ने कृषि भूमि की मिट्टी को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने के उपयोग को प्रमुखता से  अपनाया है।
आज की यूरिया,डीएपी जैसी रसायनिक खाद केमिकल के साथ साथ नकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करती है,कच्चे सूखे गोबर का ढेर,मुर्गी की खाद,प्रेसमड ये सब परंपरागत स्रोत भी भयंकर नकारात्मक होते है और नकारात्मक जीवो का पारिस्थतिक तंत्र(इकोलॉजी) का निर्माण करते है,अर्थात मिट्टी में फंगस,वायरस,कीटो को बढ़ाते है।
इस इकोलॉजी की जड़ नकारात्मक ऊर्जा है जिसे एक ग्राम अग्निहोत्र भस्म प्रति लीटर पानी मे मिलाकर स्प्रे करने से बदला जा सकता है।
स्प्रे करते ही ऊर्जा चक्र तो तुरन्त ही बदल जाता है और धीरे धीरे 1,2 वर्ष की अवधि में इकोलॉजी भी बदल जाती है।
यह भस्म मिट्टी में पड़े पूर्व के विषाक्त तत्वों को भी नष्ट करता है। जब भी पौधों की ऊर्जा कम दिखती हो इसी तरह से भस्म का पौधों पर भी स्प्रे करते रहे।
अधिक जानकारी के लिए जैविक जीवन शैली विज्ञान  मिशन की केंद्रीय टीम से या अपने राज्य  संयोजक से सम्पर्क कर प्राप्त करें।

मिताली बेलजी
8349324032
प्रधान सचिव,भोपाल

डॉ ऋषि सागर
8889973113
राष्ट्रीय संगठन सचिव
केंद्र-जबलपुर 

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।।नित्य सूर्योदय सूर्यास्त अग्निहोत्र करें व अपने परिवार को सुख,स्वास्थ्य,सन्मति दें।।
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 ।।नित्य रहना है निरोग तो नित्य करें रहे अग्निहोत्र ।।
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 ।।आपका अग्निहोत्र आचरण  पर्यावरण का संरक्षण  है।।
🙏
ताराचन्द बेलजी
जैविक जीवन शैली विज्ञान मिशन, भोपाल
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