स्लग (आलू कीड़ा)
इन फसलों पर पाया जाता है स्लग(आलू कीड़ा)
आम, आलू, उड़द, हरे चने, भिंडी, कद्दू, कपास, काबुली चना, कैबेज(पत्तागोभी), खरबूज, खीरा, गाजर, गेहूं, जवार, जौ, टमाटर, धान, प्याज, फूलगोभी, बाजरा, बैंगन, मटर, मसूर, मूंगफली, राई, शिमला मिर्च एवं मिर्च, सजावटी, सेम, सोयाबीन,
ऐसे पहुंचाते हैं पौधों को क्षति
पत्तियों, तनों, फूल, लताओं और कंद को खाकर क्षति पहुंचाते हैं।
युवा पौधों को मार सकते हैं।
स्लग और घोंघे एक व्यापक कीट हैं, जिनकी घनी आबादी फ़सलों में गंभीर तबाही पैदा कर सकती है। वे पत्तियों में अनियमित और अक्सर बड़े छेद कर देते हैं, लेकिन ये तनों, फूलों, कंदों और बीज कंदों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। क्षति इनके कारण हुई है इसका पता इनके द्वारा छोड़ा गया लिसलिसा चांदी जैसा रास्ता बताता है, जिसे पौधे की पत्तियों आर मिट्टी की सतह पर देखा जा सकता है। यह मुख्यतः नम मौसम में नज़र आते हैं और इन्हें युवा कोमल पौधे अधिक पसंद होते हैं। नए अंकुरों को पूरी तरह खाकर यह मार भी सकते हैं।
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के अनुसार ये है प्रबंधन के उपाय
🔷धान का कोड़हा + पुरानी बीयर के मिलाकर ढ़ीप बनाकर रखे इसे कई किसान प्रपंच (attaractant) के रूप में उपयोग करते है। फिर एकत्रित हुए स्लग को साबुन पानी या नमक घोल में डूबा देते है । जिससे स्लग मर जाता है।
🔷बिना बुझा चुना का छिड़काव।
🔷स्लग के संख्या के अनुपात में बतख को छोड़ना ।
🔷5 kg भटे को बारीक बारीक काटकर 1 से 2 kg snailkill (Met aldehyde 2.5% pellet) दवाई को बारीक पीसकर मिला लेवे एवं छोटा- छोटा ढिप बनाकर प्रभावित स्थानों में रखे ।
किसान भाइयों से निवेदन
परिणाम प्राप्त होने पर जरूर हमे बताए।
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर
(वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़
(वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़
Comments
मे देखा जा रहा है सर कैसे निजात पाए