-जंगली सूअर किसानो की समस्या-
समान्यतः छत्तीसगढ़ के किसान भाई अपने फसलों को तो कीट व रोगों से बचा लेते है परंतु जंगली पशु से बचा पाना मुश्किल हो जाता है वे एक ही रात में किसान भाई की पूरी मेहनत बेकार कर देते है उन्हें मारा भी नही जा सकता। जरूरत है तो सिर्फ ऐसे उपायों की जिससे जंगली पशुओं को किसान भाई अपनी फसल से दूर रख सके। आज हम उन्हीं उपायों के बारे में बताएंगे जिससे जंगली पशु (जंगली सुअर) को अपने खेतों से दूर रखा जा सके।
मुर्गी के 10-12 अंडों और 50 ग्राम वाशिंग पाउडर को 25 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाना पड़ता है. इसके बाद किसान इस मिश्रण को खड़ी फसल के मेड़ों पर छिड़काव कर दें. इसकी गंध से जंगली सुअर और अन्य पशु खेत में नहीं जाएंगे. उन्होंने बताया कि गर्मी और सर्दी में महीने में एक बार छिड़काव करना चाहिए और बारिश के मौसम में जरूरत के हिसाब से छिड़काव किया जा सकता है. अंडों और डिटर्जेट से बने मिश्रण से एक विशेष गंध निकलती है. जंगली सूअर और अन्य पशु फसलों से दूर रहते हैं.
2. नीम की खली भी है कारगर :
नीम की खली से भी फसलों को बचाया जा सकता है. इसके लिए तीन किलो नीम की खली और तीन किलो ईंटभट्ठे की राख का पाउडर बनाकर प्रति बीघा के हिसाब से छिड़काव करें. जंगली सुअरखेतों में नहीं आएंगी.
फसलों को भी लाभ मिलेगा
नीम खली और ईंटभट्ठे की राख का छिड़काव करने से फसल को भी फायदा होगा. नीम की खली से कीट और रोगों की लगने की समस्या भी कम हो जाती है. इससे नीलगाय खेत के आसपास भी नहीं आती है. नीम की गंध से जानवर फसलों से दूर रहते हैं, इसका छिड़काव महीने या फिर पंद्रह दिनों में किया जा सकता है. खली से फसलों में अल्प मात्रा में नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है और यह फसल में लगने वाले कीट पतंगों से भी फसल को सुरक्षित रखता है. भट्ठे की राख में सल्फर होती है, जिससे फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
3. मठ्ठे व लहसुन का प्रयोग
04.00 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें. इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें. इसकी गंध से करीब 20 दिन तक जंगली सुअर खेतों में नहीं आएगी. इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है.
4. गौ मूत्र व नीम खली का प्रयोग
20.00लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें. इसके बाद एक लीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक जंगली सुअर फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है. इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है
5. नाई की दुकान के कटे बालों का प्रयोग
नाई के सैलून से कटे बाल लाकर जंगली सुअर जहाँ से आता है उस ट्रेक में रखे।
नाई के सैलून से कटे बाल लाकर जंगली सुअर जहाँ से आता है उस ट्रेक में रखे।
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