माइकोराइजा
माइकोराइजा क्या है
किसी भी कवक तथा पौधों की जड़ों के बीच एक पारसपर सहजीवी संबंध को माइकोराइजा कहते हैं। इस प्रकार के संबंध में कवक पौधों की जड़ पर आश्रित हो जाता है और मृदा-जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक बन जाता है।
माइकोराइजा दो प्रकार के होते हैं। पहला होता है एंडो माइकोराइजा और दूसरा होता है एक्टो माइकोराइजा। एंडो माइकोराइजा पौधे की जड़ के कोशिकाओं तक प्रवेश कर जाता है। जबकि एक्टो माइकोराइजा। कवक के जड़ों के कोशिका के ऊपर एक प्रकार से आवरण बनाता है। कभी-कभी तो यह कोटीकल कोशिका के अंदर प्रवेश करके भी उसे प्रोटेक्ट करता है। इस परिस्थिति में इसे एक्ट-एंडो माइकोराइजा कहते हैं। यह किसी पौधे के साथ अपना संबंध स्थापित कर सकता है।
डॉ. गजेंद्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के अनुसार माइकोराइजा मिट्टी से पौधों के विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे फास्फोरस, नाइट्रोजन और छोटे पोषक तत्व को ग्रहण करने में मदद करता है और फसलों की पैदावार बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाता है। माइकोराइजा पौधों के द्वारा अंत: प्रक्रिया को बढ़ा देता है। सूखे जैसी परिस्थितियों में यह पौधों को हरा भरा रखने में मदद करता है।
पौधे की जड़ों में सहजीवी के रूप में रहने वाला माइकोराइजा कवक न केवल जड़ों की वृद्धि को बढाता है बल्कि पौधों को अतिरिक्त पोषक तत्व अवशोषित करने की शक्ति भी देता है। यह कवक पौधे की जड़ों की कोशिकाओं में रहता है और अपने तंतुओं को मिट्टी में फैला देता है। कवक के यह तंतु मिट्टी से फास्फोरस और दूसरे पोषक तत्वों का अवशोषण कर इन्हें सीधे पौधे की जड़ों की कोशिकाओं में पहुंचाते हैं।
अच्छी फसल के लिए माइकोराइजा एक अहम भूमिका अदा करता है। माइकोराइजा कवक और पौधों की जड़ों के बीच का एक संबंध होता है। यह संबंध लगभग 95% पौधों में पाया जाता है। माइकोराइजा मिट्टी से पौधों के विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे फास्फोरस, नाइट्रोजन और छोटे पोषक तत्व को ग्रहण करने में मदद करता है और फसलों की पैदावार बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाता है। माइकोराइजा पौधों के द्वारा अंत: प्रक्रिया को बढ़ा देता है। सूखे जैसी परिस्थितियों में यह पौधों को हरा भरा रखने में मदद करता है।
माइकोराइजा के लाभ
1 . माइकोराइजा का काम फास्फोरस की उप्लब्धता को 60-80 % तक बढ़ाना है।
2. माइकोराइजा के उपयोग से जड़ों का बेहतर विकास होता है।
3. माइकोराइजा से पौधों मे जड़ों द्वारा पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है तथा पौधों के आसपास नमी बनाए रखने मे सहायक होता है।
4. माइकोराइजा फास्फोरस की उप्लब्धता को बड़ाने के साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की उप्लब्धता को भी बढ़ाता है।
5. माइकोराइजा जड़ों और मिट्टी के बीच बेहतर जल सम्बन्ध निर्माण कर सूखे के प्रति सहनशीलता बढ़ाता है।
6. माइकोराइजा फसलों को मिट्टी जनित रोगाणुओं से बचाव करता है।
प्रयोग कैसे करे|
1. इसका प्रयोग सुबह व शाम के समय ही करें
2.इसका प्रयोग गोबर की यह जैविक खाद के साथ ही करें।
3.इसके प्रयोग से पहले इसे छाया में रखें।
4.खेत में प्रयोग के बाद हल्का पानी अवश्य दें
कितनी मात्रा में इस्तेमाल करें।
4 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से सभी फसलों में गन्ना आलू एवं प्याज में 8 किलोग्राम प्रति एकड़ बागों में इसकी मात्रा 5 से 10 ग्राम प्रति पौधा ध्यान रहे कि जमीन में 3 से 4 इंच नीचे तक इसे डालना होगा तभी यह जड़ों के संपर्क तक पहुंच पाएगा
माइकोराइजा का प्रयोग सभी फसलों पर किया जा सकता है जैसे गेहूं धान ,गन्ना ,आलू, प्याज, लहसुन ,मूंगफली, कपास,सब्जियां एवं बागानों में भी किया जा सकता है।
Comments