धान की बाली निकलने के बाद की अवस्था में होने वाले फाल्स स्मट रोग का प्रबंधन कैसे करें
धान की खेती असिंचित व सिंचित दोनों परिस्थितियों में की जाती है। धान की विभिन्न उन्नतशील प्रजातियाँ जो कि अधिक उपज देती हैं उनका प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है।परन्तु मुख्य समस्या कीट ब्याधि एवं रोग व्यधि की है, यदि समय रहते इनकी रोकथाम कर ली जाये तो अधिकतम उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
धान की फसल को विभिन्न कीटों जैसे तना छेदक, पत्ती लपेटक, धान का फूदका व गंधीबग द्वारा नुकसान पहुँचाया जाता है तथा बिमारियों में जैसे धान का झोंका, भूरा धब्बा, शीथ ब्लाइट, आभासी कंड व जिंक कि कमी आदि की समस्या प्रमुख है।
आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक बताएंगे कि अगर धान की फसल में फाल्स स्मट (कंडुआ रोग) का प्रकोप हो तो इनका प्रबंधन किस प्रकार करना चाहिए।
कैसे फैलता है? फाल्स स्मट (कंडुआ रोग)
■धान की फसल में रोगों का प्रकोप पैदावार को पूरी तरह से प्रभावित कर देता है. कंडुआ एक प्रमुख फफूद जनित रोग है, जो कि अस्टीलेजनाइडिया विरेन्स से उत्पन्न होता है।
■इसका प्राथमिक संक्रमण बीज से होता है, इसलिए धान की खेती में बीज उपचार करना अति आवश्यक है ।
■इसका द्वितीय संक्रमण वायु जनित बीजाणु द्वारा होता है।
■ इसके प्रकोप से धान की बालियों के दाने की जगह पीले रंग का बाल बन जाता है. इसके बाद यह काले रंग का हो जाता है।
■ इसको कई किसान (हल्दिया) रोग या कूट कलिका रोग भी कहते हैं
■यह रोग धान की 60 से 90 प्रतिशत फसल को प्रभावित कर सकता है।
■अगर तापमान अधिक हो और हवा में आर्द्रता अधिक हो, तो यह रोग तैजी से फैलने लगता है।
■इसके अलावा धान की खेती में यूरिया का अधिक उपयोग करने से यह बीमारी बढ़ सकता है।
इसका उपचार ऐसे करे।
बीज उपचार करे।
■ Carboxin 37.5% + Thiram 37.5% WP 2 to 3 gm/kg for seed treatment
■ किसान भाई धान की बाली निकलने के समय मैन्कोजेब पाउडर 75% घुंलनशील 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करें ।
■ धान के पुष्पन के पूर्व प्रोपीकोनाजोल 25 E. C. 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें ।
या
■ Mancozeb 62% + Tricyclazole 18% WP 40-50 gm/pump Captan 70% + Hexaconazole 5% WP 25 gm/pump Azoxystrobin 18.2% + Difenconazole 11.4% SC 200 ml/acre
यह रोग का प्राथमिक संक्रमण धान जब गभोट की अवस्था मे तथा बाली निकलते समय एवम जब बालिया फूल में हो तब होता है। अतः इस रोग के नियंत्रण के सबसे कारगर उपाय है जब पौधों में बाली निकलने की अवस्था आये तब पहला छिड़काव एवम जब बालियां 50 %फूल की अवस्था मे हो तब दूसरा छिड़काव निम्नलिखित फफूंदनाशी में से किसी एक का अवश्य करना चाहिए।
■Chlorothalonil 75%@ 25 gm/15 lit पानी ।अथवा
■Propiconazole 25%@ 15 ml/ 15 lit पानी। अथवा
■Hexaconazole 5%@30 ml/15 lit पानी अथवा
■Tebuconazole 25.9% @20 ml/ 15 lit पानी ।अथवा
■Azoxystrobin 25%@ 15 ml/15 lit पानी।
■मिश्रित फफूंदनाशी में 👉 Azoxystrobin 18.2% + Difenconazole 11.4% @15 gm/15 lit पानी
अथवा
■ Metiram 55%+ Pyraclostrobin 5% @15gm/15 lit
अथवा
■प्रोपिकॉनाज़ोल 10 .7 % + ट्रायसायक्लाजोल 34.3 % SE ( COVER कवर)25 ml /15 लीटर पानी।
बेहतर परिणाम के लिए उपरोक्त फफूंदीनाशक में से किसी एक के साथ SIL G सील जी 30 ml / 15 लीटर पानी
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