समसामयिक सलाह-" गर्मी व बढ़ती उमस" के साथ बढ़ रहा है धान की फसल में भूरा माहो का प्रकोप,जल्द अपनाए प्रबंधन के ये उपाय
धान फसल को भूरा माहो से बचाने सलाह
सामान्यतः कुछ किसानों के खेतों में भूरा माहों खासकर मध्यम से लम्बी अवधि की धान में दिख रहे है। जो कि वर्तमान समय में वातारण में उमस 75-80 प्रतिशत होने के कारण भूरा माहो कीट के लिए अनुकूल हो सकती है।
धान फसल को भूरा माहो से बचाने के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने किसानों को सलाह दी और अपील की है कि वे सलाह पर अमल करें।
भूरा माहो लगने के लक्षण
■ गोल काढ़ी होने पर होता है भूरा माहो का प्रकोप
■ खेत में भूरा माहो कीट प्रारम्भ हो रहा है, इसके प्रारम्भिक लक्षण में जहां की धान घनी है, खाद ज्यादा है वहां अधिकतर दिखना शुरू होता है।
■ अचानक पत्तियां गोल घेरे में पीली भगवा व भूरे रंग की दिखने लगती है व सूख जाती है व पौधा लुड़क जाता है, जिसे होपर बर्न कहते हैं,
■ घेरा बहुत तेजी से बढ़ता है व पूरे खेत को ही भूरा माहो कीट अपनी चपेट में ले लेता है। भूरा माहो कीट का प्रकोप धान के पौधे में मीठापन जिसे जिले में गोल काढ़ी आना कहते हैं ।
■तब से लेकर धान कटते तक देखा जाता है। यह कीट पौधे के तने से पानी की सतह के ऊपर तने से चिपककर रस चूसता है।
क्या है भूरा माहो
■भूरा माहो को बीपीएच ब्राउन प्लांट हार्पर या भूरा फदका भी कहा कहा जाता है।
■इस कीट की अंडा, शिशु व प्रौढ़ तीन अवस्था होती है। शिशु व प्रौढ़ दोनों अवस्था धान के पौधे के तने से रस चुसकर बहुत तेजी से फसल को नुकसान पहुचाती है।
■साल में इसकी 5 से 8 पीढिय़ा पाई जाती है एक कीट का जीवन चक्र 28 से 33 दिनों का होता है। शिशु का रंग मटमैला भूरा, वहीं प्रौढ़ का रंग हलका भूरा होता है। प्रौढ़ की तुलना में शिशु तेजी से पौधे का रस चुसता है। भूरा माहो कीट सीधा नहीं चलता है, तिरछा फुदकता है।
■इसके मलमूत्र पर फफूंद पैदा होती है व कई बार तना गलन बीमारी भी आ जाती है।
नियंत्रण के उपाय
■भूरा मोहो के शस्य नियंत्रण के लिए सलाह दी गई है कि खेतों में फसल के अवशेषों व खरपवारों को नष्ट करें और खेतों में पक्षी के बैठने के ठिकाने बनाएं।
■ कीट के उग्र रूप धारण करने पर खेतों से पानी निकाल दें। देशी नियंत्रण के तहत घर व आसपास उपलब्ध गौमुत्र में जंगली तुलसी नीम, सीताफल, गराड़ी, बेशरम, धतुरा, बेल, इत्यादि की पत्तीयों को काटकर लगभग 20 दिन सड़ाए और हो सकें तो इसमें मिर्च व लहसून भी मिलाएं व फसल में प्रारम्भ से ही स्प्रै करते रहें।
जैविक नियंत्रण
■ जैविक नियंत्रण के तहत खेत में मकड़ी, मिरीड बग, डेमस्ल फ्लाई, मेढक, मछली का संरक्षण करें जो इस कीट के प्रौढ़ व शिशु को शुरूआत में ही भक्षण करते हैं।
■ नीम का तेल 2500 या ज्यादा पीपीएम वाला एक लीटर प्रति एकड़ की दर से हींग मिलाकर सुरक्षात्मक रूप से या कीट प्रारम्भ होते ही छिड़काव करें।
रसायनिक नियंत्रण
रासायनिक नियंत्रण के अंतर्गत बाजार में बहुत सी दवा उपलब्ध है। परन्तु दवा का उपयोग बहुत ही सोच समझकर करें क्योंकि इस कीट में दवा के प्रति बहुत जल्दी प्रतिरोधकता आती है। दवा का छिड़काव करने के पूर्व खेत में बांस की सहायता से निश्चित दूरी में धान के पौधे को लगाकर रास्ता बनाएं ताकि दवा पौधे के तने पर आसानी से पड़े और खेत में दवा के स्प्रै से कुछ भाग छुट ना पाएं। क्योंकि वहां के बचे कीट अपनी संख्या बहुत तेजी से बढ़ाते हैं।
■ इनमें से कोई एक दवा किसी भी कान्टेक्ट इन्सेक्टिसाइड के साथ मिलाकर डाल सकते हैं, जैसे इमिडाक्लोपिड, थायोमेथाक्जाम, बुपरोफेजिन की निश्चित मात्रा का छिड़काव करें।
■ फफूंद होने की दवा के मिला कर कोई भी एक फफूंदी नाशक जैसे प्रोपिकोनोजाल या हैक्साकोनाजोल को संधि में डाल सकते हैं।
किसानों से कहा गया है कि वे दवा का पक्का बिल ले, खेत में दवा डालने वाले का पेट भरा हो। हवा की दिशा में दवा डाले और मुंह में कपड़ा अवश्य बांधे। दवा का छिड़काव करते समय पूरे कपड़े पहने।
कुछ प्रभावशाली उपाय
▪️डाईनोटेफयूरॉन 20% SG - 70 ग्राम/एकड़
▪️फ्लोनिकामिड 50% WG - 60 ग्राम/एकड़
▪️पाइमेट्रोजिन 50% डब्ल्यू जी - 120 ग्राम/एकड़
▪️थियामेथॉक्सम 75% एसजी - 150 ग्राम/एकड़
▪️बुप्रोफेजिन 22% + फाइप्रोनिल 3% SC - 200 मिली/एकड़
▪️कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 50% + बुप्रोफेजिन 10% डब्ल्यूपी – 320 ग्राम/एकड़
▪️फ्लूबेंडैमाइड 4% + थियामेथॉक्सम 4% एससी – 70 मिली/एकड़
▪️फाइप्रोनिल 4% + थियामेथॉक्सम 4% एससी – 1100 मिली/एकड़
▪️इमिडाक्लोप्रिड 6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4% एसएल - 120 मिली/एकड़
▪️एथिप्रोल 40+ इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यू जी - 16 ग्राम/एकड़
■ईमामेंक्टिन बेंज़ोएट 1.5 % + फिप्रोनिल 3.5 % SC ( नॉक आउट) 20 मिली प्रति पंप या 500 मि ली प्रति हेक्टेयर
■ थायोमेथोक्साम 12.6% SC + लेम्बडासायहेलोथ्रीन ( लॉक डाउन) 8 -10 मि ली प्रति पंप या 150 से 200 मि ली प्रति हेक्टेयर
👉बेहतर परिणाम के लिए कोई एक कीटनाशक के साथ मे 300ml सील जी SIL G प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
👉 एक ही ग्रुप की दवा का बार बार उपयोग न करे बल्कि ग्रुप बदलकर उपयोग करना चाहिए।
👉 पावर स्प्रेयर या बैट्री स्प्रेयर उपयोग के समय प्रति एकड़ दवाई की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए।
वीडियो के जरिये भी देंखे भूरा माहो के उपाय
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