कृषि सलाह - धान की बाली बदरंग या बदरा होने के कारण व निवारण (पेनिकल माइट)
प्रायः देखा जाता है कि सितम्बर -अक्टूबर माह में जब धान की बालियां निकलती है तब धान की बालियां बदरंग हो जाती है। जिसे छत्तीसगढ़ में 'बदरा' हो जाना कहते है इसकी समस्या आती है। यह एक सूक्ष्म अष्टपादी जीव पेनिकल माइट के कारण होता है।
आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक बताएंगे कि पेनिकल माइट के लक्षण दिखे तो उनका प्रबंधन कैसे किया जाए।
पेनिकल माइट
धान की बाली बदरंग एवं बदरा- धान की बाली में बदरा या बदरंग बालियों के लिए पेनिकल माईट प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। पेनिकल माईट अत्यंत सूक्ष्म अष्टपादी जीव है जिसे 20 एक्स आर्वधन क्षमता वाले लैंस से देखा जा सकता है।
यह जीव पारदर्शी होता है तथा पत्तियों के शीथ के नीचे काफी संख्या में रहकर पौधे की बालियों का रस चूसते रहते हैं जिससे इनमें दाना नहीं भरता।
इस जीव से प्रभावित हिस्सों पर फफूंद विकसित होकर गलन जैसा भूरा धब्बा दिखता है। माईट उमस भरे वातावरण में इसकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है। ग्रीष्मकालीन धान की खेती या पुराने फसल अवशेष के द्वारा यह एक मौसम से दूसरे मौसम की फसल पर अपनी उपस्थिति बनाए रखता है, बीजों में भी यह सुशुप्तावस्था में रहता है। जलवायु में आ रहे परिवर्तन की वजह से इस नए प्रकार की समस्या का प्रादुर्भाव धान की खेती में देखने में आ रहा है जिसके लिए सजग रहने की आवश्यकता है।
इससे बचने के लिए प्रकोप के शुरूआती अवस्था में ही "माईट" के नियंत्रण हेतु
■Abamectin 1.8 %EC 100 ml
■ Propergite 57% EC 500 ml
■ Dicofol 18.5%EC 1liter
■ Ethion 50% EC 500 ml
■ Spiromesifen 22.9% SC 150 ml
■Haxythiazox हेकसीथियाजोक्स 5.45 % w/w Ec 250 ml प्रति एकड़
कोई एक miticide का उपयोग 300 मिलीलीटर सील जी SIL G के साथ करे बाली निकलने की अवस्था में या पूर्व अवस्था मे छिडकाव करना प्रभावकारी है।
■छिड़काव का कार्य अपरान्ह काल में ही करना चाहिए, दोपहर के तेज धूप में छिड़काव करने से निकलती हुई नई बालियों को क्षति पहुंचने की आशंका होती है।
कुछ समसामयिक कृषि सलाह:
ब्लाइट,ब्लास्ट,फाल्स स्मट,तनाछेदक, लीफ फोल्डर, माइट एवं भुरा माहो हेतु
■प्रोपिकॉनाज़ोल 10 .7 % + ट्रायसायक्लाजोल 34.3 % SE (COVER) 25 ml+Thiamethoxam12.6%SC + Lamdacyhalothrin 9.5% SC
Lock down लॉक डाउन 10 ml+सील जी SIL G 30 ml को प्रति टैंक के हिसाब से समान रूप से छिड़काव करें।
■ पोटाश की अतिरिक्त मात्रा 15 kg प्रति एकड़।
■ जरवानी पानी छिपछिपा 2 से 3 सेंटीमीटर पानी का स्तर रखे।
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