वैज्ञानिक सलाह:- सब्जियों की खेती में खरपतवार का रसायनिक नियंत्रण।
सब्जियां मानव भोजन का एक अतिमहत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इनसे विटामिन, मिनरल एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। सब्जी उत्पादन किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय है। इसे ज्यादा लागत वाली खेती माना जाता है क्योंकि इसमें ज्यादा संसाधनों (पानी, अरासायनिक एवं रासायनिक खाद एवं अन्य संसाधन) की आवश्यकता होती है ज्यादा संसाधनों की वजह से सब्जियों में खरपतवार की समस्या भी गंभीर होती है विशेष रूप से चौड़ी पत्ती एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों से सब्जी उत्पादन क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है। अगर यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होती की सब्जियों के उत्पादन में खरपतवार एक बहुत बड़ा अवरोध है। सब्जियों में खरपतवारों के प्रकोप का स्तर, प्रक्षेत्र एवं मौसम के हिसाब से अलग-अलग जलवायु, फसल पद्धति, मृदा उत्पादन क्षमता एवं सिंचाई प्रबंधन पद्धति के अनुसार बदलता रहता है। अतएव यह आवश्यक है कि इन खरपतवारों का समय पर उचित विधि से प्रभावी नियंत्रण करके सब्जी फसलों को इनके कुप्रभाव से बचाते हुए उत्पादन एवं गुणवत्ता को बढ़ाया जाए।
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के अनुसार खरपतवार को यदि उचित समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए तो यह सब्जियों की उपज एवं गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करते है। सब्जी बीज उत्पादन में ये खरपतवार न केवल उपज कम करते है बल्कि सब्जियों के बीजों के साथ खरपतवारों के बीज मिलकर उसकी गुणवत्ता को भी खराब कर देते हैं, जिससे उनका मूल्य प्रभावित होता है। खरपतवारों के प्रकार, प्रकोप का स्तर, अवधि, फसलों की प्रतिरोधक क्षमता एवं जलवायु जो कि फसल की बढ़वार एवं खरपतवारों को प्रभावित करते हैं के आधार पर किए गए शोध अध्ययन से यह पाया गया है कि इससे सब्जियों के आर्थिक उपज में निम्न स्तर तक नुकसान होता है।प्याज/लहसुन की फसल पर खरपतवार नियंत्रण
जीरा/धनिया/सौंफ/मेथी की फसल पर खरपतवार नियंत्रण
शलजम/ मुुली/गाजर खरपतवार नियंत्रण
आवश्यक सुझाव व सावधानियां
स्रोत
डॉ. नीतीश तिवारी
कृषि वैज्ञानिक(एग्रोनॉमी)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़
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