फसल अवशेष प्रबंधन
सामान्यतः देखा गया है कि किसान फसल की कटाई के बाद पैरे में आग लगा देते है।किसान भाई यदि फसल अवशेष जलाते हैं तो उनसे निम्नलिखित हानियां होती हैं।
1.फसलों के अवशेषों को जलाने से उनके जड़, तना, पत्तियों में संचित लाभदायक पोषक तत्वों का नष्ट हो जाना।
2.फसल अवशेषों को जलाने से मृदा ताप में बढ़ोत्तरी होती है जिसके कारण मृदा के भौतिक, रसायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
3.पादप अवशेषों में लाभदायक मित्र कीट जलकर मर जाते हैं जिसके कारण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
4. पशुओं के चारे की व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।जहाँ पर हार्वेस्टर के प्रयोग फसलों के कटाई में करते हैं वहाँ पर फसलों के अवशेष डण्ठल के रूप में खड़े होते हैं एवं उनके जलाने पर नजदीक के किसनों के फसलों में आग लगने की संभावना बनी रहती है जिससे खड़ी फसल एवं आबादी में अग्निकाण्ड होने की संभावना बनी रहती है, वहीं आस-पास के खेत व खलिहान तथा मकान में भी अग्निकाण्ड के कारण अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ता है।
ऐसे करे अपने फसल अवशेष (पैरे)का प्रबंधन
खाद बनाएं
1. स्थानीय विधि से फसल अवशेषों में यूरिया का स्प्रे करके खाद बनाएं.
2. किसान छिद्रयुक्त टैंक में लैब में प्रयुक्त होने वाले सूक्ष्मजीवों के मिश्रण का प्रयोग करके खाद बनाए
3. किसान मौसम के अनुसार खाद को खुले में या खड्डे में बना सकते है.
फसल अवशेष (पैरे)को मिटटी में मिलाएं
निम्न कृषि यंत्रों के द्वारा किसान फसल अवशेष को मिटटी में मिलाएं और अवशेषों को धरती माता का आहार बनाएं
1. स्ट्रॉ चोपर से फसल अवशेषों को बारीक तुक्रों में काटकर भूमि पर फैलाएं।
2. फसल अवशेष को मल्चर द्वारा मिटटी में मिलाएं. प्रतिवर्ती हल द्वारा फसल अवशेष को मिटटी में दबाएं. अपघटन द्वारा खाद बनाएं.
3. स्ट्रॉ चोपर, हे-रैक, स्ट्रॉ बेलर का प्रयोग करके फसल अवशेषों की गांठे बनाएं।
घरेलू प्रयोग
1 फसल अवशेष की गांठों से पशुओं का चारा बनाएं।
2. पशुओं के लिए बिछावन रूप में प्रयोग करें।
उद्योगों में उपयोग
किसान आस पास के राइस मिल, गत्ता फैक्ट्री, पेपर मिल, कांच व सैनेटरी के सामान को पैक करने वाली उद्योग व अन्य जरुरत के सामानों को कारखानों को बेचकर पैसा कमायें और अपनी आमदनी बढ़ाएं।
पैरे को ज़मीन में मिलाने के लाभ
फसल अवशेषों को खेत में मिलाने से मिटटी और अधिक उपजाऊ हो जाती है तथा एक टन पराली ज़मीन में मिलाने से निम्नानुसार पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है:
1. नाइट्रोजन : 20-30 किलोग्राम
2. सल्फर : 4-7 किलोग्राम
3. पोटाश : 60-100 किलोग्राम
4. आर्गेनिक कार्बन : 1600 किलोग्राम
इन सब से किसान को 1500-2000 रूपये प्रति हेक्टेयर का लाभ होगा. किसान सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभ का अधिक से अधिक फायदा उठा कर अपनी आजीविका बढ़ा सकते हैं साथ ही पर्यावरण को भी प्रदूषण मुक्त रख सकते हैं।
अतः प्रदेश के कृषकों से अनुरोध है कि किसी भी फसल के अवशेष को जलायें नहीं बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि हेतु पादप अवशेषों को मृदा में मिलावें/ सड़ावें। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा प्रत्येक ग्राम में मुनादी करा कर कृषको को सूचित किया गया है एवम पैरा जलाना दण्डनीय अपराध कि श्रेणी में आता है यह भी बताया गया है।
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