स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस
स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस बैक्टीरिया पर आधारित जैविक फफूदीनाशक या जीवाणुनाशक है|
स्यूडोमोनास फ्लोरिसेन्स 0.5 प्रतिशत डब्लू पी, 1 प्रतिशत डब्लू पी, 1.5 प्रतिशत डब्लू पी और 1.75 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है|
ऐसे करे उपयोग स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का
बीज उपचार के लिए 10 ग्राम इसको 15 से 20 मिलीलीटर पानी में मिलाकर गाढ़ा घोल (स्लरी) तैयार करके एक किलोग्राम बीज को उपचारित कर छाया में सुखाने के उपरान्त बुआई करना चाहिए।
नर्सरी के पौध उपचार में
नर्सरी पौध उपचार के लिए 10 ग्राम इसको 1 लीटर पानी की दर से घोल (स्लरी) तैयार कर पौध उपचार या 50 ग्राम स्यूडोमोनास को 5 लीटर पानी में घोलकर एक वर्ग मीटर क्षेत्रफल के क्यारियों में छिड़काव करना चाहिए| जिससे भूमि जनित रोगों से बचाव किया जा सकता है|
मिट्टी के उपचार में:-
मिटटी उपचार के लिए 10 किलोग्राम इसको प्रति हेक्टेयर 10 से 20 किलोग्राम महीन बालू में मिलाकार बुवाई या रोपाई से पूर्व उर्वरकों की तरह बुरकाव करना लाभप्रद होता है| एक किलोग्राम स्यूडोमोनास को 100 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर लगभग 5 दिन रखने के उपरान्त बुआई से पूर्व भूमि में मिलाया जा सकता है।
धान की फसल में ब्लास्ट के रोकथाम के लिए:-
धान की फसल में ब्लास्ट रोग की रोकथाम के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 0.5 प्रतिशत डब्लू पी 1 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पर्णीय छिड़काव करने से लाभ होता है।
धान में बैक्टीरियल ब्लाइट के रोकथाम के लिए:-
धान में बैक्टीरियल ब्लाइट की रोकथाम के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरिसेन्स 1.5 प्रतिशत डब्लू पी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजशोधन करना चाहिए।
इन रोगों के रोकथाम में है सहायक:-
जो विभिन्न प्रकार की फसलों, धान, सब्जियों तथा गन्ना में जड़ सड़न, तना सड़न, डैम्पिंग आफ, उकठा, लाल सड़न, जीवाणु झुलसा, जीवाणु धारी इत्यादि फफूदीनाशक या जीवाणुनाशक रोगों की रोकथाम के लिए प्रभावी पाया गया है।
सावधानी:-
स्यूडोमोनास के प्रयोग के 15 दिन पहले और बाद में रासायनिक फफूंदीनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
सेल्फ लाइफ:-
स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है।
यहाँ भी है उपलब्ध
𝘔𝘦𝘦𝘯𝘬𝘦𝘵𝘢𝘯 𝘗𝘢𝘵𝘦𝘭
𝘙𝘢𝘪𝘨𝘢𝘳𝘩 (𝘊.𝘎)
https://wa.me/918770236612







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