सम सामयिक सलाह-धान की फसल में रोपा लगाते समय इन बातो का रखे ध्यान।
धान की खेती करने वाले किसान भाइयों का अब रोपा लगाने का समय आ चुका है धान का रोपा लगाते समय किसान भाई थोड़ी सावधानी बरते तो उपज में निश्चित ही वृद्धि होगी।
आज की कड़ी में डॉ गजेंद्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ बताएंगे कि किसान भाइयों को धान के खेत मे रोपा लगाते किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
■ धान रोपाई का कार्य के लिये जुलाई के प्रथम सप्ताह आदर्श स्थिति है परंतु अंतिम जुलाई तक कर लेना ज्यादा उचित है।
■रोपा लगाने के एक दिन पहले नर्सरी को पानी देकर नम कर ले ताकि मिट्टी से पौधा निकालने में आसानी हो।
■ रोपाई के समय से कंसावस्था तक पानी जरवानी या छिपछिपा रखना चाहिए जिससे अधिक फुटाव एवं कन्सा तैयार होता है।
■धान के दो तीन पौधों को धीरे से मिट्टी से एक साथ निकाले ध्यान रहे जड़ को नुकसान ना पहुंचे।
■जड़ो को साफ पानी मे धोकर छायादार जगह में ही बंडल बनाकर इकठ्ठा करे।
◆मुख्य खेत की तैयारी होने के उपरांत ही नर्सरी से पौधे उखाड़े।
■एक स्थान पर दो से अधिक पौधे ना रोपे।
संतुलित उर्वरक का छिड़काव
■3 बोरी सुपर फास्फेट या 1 बोरी DAP 10 kg पोटाश 10 kg जिंक सल्फेट आधार खाद के रूप में रोपाई के समय पाटा चलाने के समय देंवे।
■ स्फुर फॉस्फोरिक उर्वरक का सतही उपयोग से हरी काई की समस्या बढ़ती है । DAP डी.ए.पी या सिंगल सुपर फास्फेट (राखड़) का उपयोग पाटा कोप्पर चलाने के पहले करें।
■ शेष यूरिया की मात्रा 2 भाग में दें।
◆पहला 25 kg यूरिया रोपाई के एक सप्ताह बाद कंसावस्था में
◆दूसरा 25 kg यूरिया साथ मे 15 kg पोटाश अवश्य दे ,गभोट अवस्था मे।
करे खरपतवारों का नियंत्रण:
■ रोपाई के समय ध्यान रखना चाहिए कि खेत मे किस प्रकार के खरपतवार की समस्या है उसके आधार पर अंकुरण पूर्व एवं अंकुरण बाद रासायनिक खरपतवार नाशी का उपयोग की तैयारी रखनी चाहिए।
■धान की फसल में सावां ,सोभना ,करवट खरपतवार की संभावना होती है जिसके लिए नीचे दिए गए खरपतवार नाशी का प्रयोग करे।
👉Bispyriback ( Shield ) *शील्ड*10 से 20 ml ऑक्सिफ्लोरफेन प्रति टैंक।
सावधानियां:
👉खरपतवार की उम्र 2 से 4 पत्ती अवस्था या 20 से 25 दिन की हो।
👉 मात्रा थोड़ी भी ज्यादा हो तो धान के फसल में पीला पड़ने की संभावना रहती है।घोंल बनाने में विशेष ध्यान रखे।
👉 घोंल बनाने हेतु ट्यूबवेल का पानी एवं स्प्रे हेतु फ्लैट पेन नोज़ल का उपयोग करे।
👉 स्टिकर या साबुन घोंल जरूर मिलावे।
👉 सिंगल स्प्रे करे पांत न दोहरावे ।
कीट प्रबंधन:
■ तना छेदक ग्रसित क्षेत्र में थरहा के ऊपरी भाग को हटाकर मुंडन करके लगाए इससे तनाछेदक का अंडा नष्ट होता है।
■ एक सायकल के टायर के बराबर क्षेत्र में 22 से 25 थाला या 52 से 55 थाला प्रति वर्ग मीटर होना चाहिए इससे पर्याप्त पौधों की सघनता रहती है।
■यदि धान की नर्सरी में गंगई, तना छेदक,थ्रिप्स आदि का प्रकोप हो तो कार्बोफ्यूरॉन 3 जी 33 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या Cartap hydrochloride 4 kg प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़के।
सूक्ष्म पोषक तत्व का उपयोग
रोपा लगाते समय सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे जिंक , सल्फर, कैल्शियम, बोरान, मैग्नीशियम युक्त माइक्रोन्यूट्रेंट मिक्सचर करे छिड़काव।
श्री विधि से करे कतारबद्ध धान की रोपाई
एसआरआई विधि (श्रीविधि) से रोपाई करने के लिए अंकुरित बीज की नर्सरी तैयार करें। 12 से 14 दिन के पौधे तैयार करें, उसके बाद पौधों को पूरी जड़ व बीज सहित निकालें। तुरंत इस नर्सरी को पहले से तैयार खेत में 25 सेमी. दूरी पर कतारबद्ध रुप में बोएं। एक जगह पर एक से दो पौधे ही रोपें।
दूरी निर्धारित करने के लिए पैडी मार्कर का भी उपयोग कर सकते हैं। जो पौधे से पौधे के लिए और कतार से कतार के लिए 25 सेमी. के अंतर पर निशान बनाता है।
श्री विधि के लिए खेत का चयन
श्रीविधि से धान की रोपाई उसी खेत में करें जिसमें पानी न भरता हो। श्रीविधि से बुवाई के बाद खेत में पानी निकालने रहें और जब आवश्यकता हो तब, जैसे गेहूं के खेत में सिंचाई करते हैं उसी प्रकार धान के खेत में सिंचाई करें और खेत में नमी बना कर रखें। बाकी फसल प्रबंधन सामान्य धान की तरह करें।
साभार
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर
(वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक)
(वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय
रायपुर छत्तीसगढ़
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