पलाश
पलाश (पलास,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इसके आकर्षक फूलो के कारण इसे #जंगल_की_आग भी कहा जाता है। प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है। भारत भर मे इसे जाना जाता है। एक #लता_पलाश भी होता है। लता पलाश दो प्रकार का होता है। एक तो लाल पुष्पो वाला और दूसरा सफेद पुष्पो वाला। सफेद पुष्पो वाले लता [ यह मुझे वर्धा जिल्हे के पूर्वांचल में दिखे !] पलाश को औषधीय दृष्टिकोण से अधिक उपयोगी माना जाता है। वैज्ञानिक दस्तावेजो मे दोनो ही प्रकार के लता पलाश का वर्णन मिलता है। सफेद फूलो वाले लता पलाश का वैज्ञानिक नाम #ब्यूटिया_पार्वीफ्लोरा है जबकि लाल फूलो वाले को #ब्यूटिया_मोनोस्पर्मा / #सुपरबा कहा जाता है। एक पीले पुष्पों वाला भी पलाश भी होता है ! लेकिन सब पर्ण तीन !
इसलिए कहावत है : ढाक के पात तीन !
शास्त्रीय नाम :
(Butea monosperma)
पलाश को गोंडी में #मुर , हिंदी में #ढ़ाक_टेसू, बंगाली में #पलाश, मराठी में #पळस, गुजराती में #केसुडा कहते है। इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी - पात्र में किये भोजन तुल्य लाभ मिलते हैं ।
पलाश के फूल के निम्न #लाभ हैं:
■ #मुत्रसंबंधी विकारों में: पलाश के फूल का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।
■ #रातौंधी की (Night Blindness) प्रारम्भिक अवस्था में : पलाश के फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शहद मिलाकर आँखों में डालें।
■ #वीर्यवान_बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला कर गर्भवती माता को रोज पिलाने से सबल वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।
■ पेट के कीड़ों को निकालने में लाभदायक : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें । चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।
■ #बुद्धि में वृद्धि : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।
■ #बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी या तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।
■ #छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।
★ पलाश का #गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।
(संकलनकर्ता-Manik Kaurathi,panvel)
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