सब्जियों में लोकप्रियता के हिसाब से देखे तो आलू के बाद बैगन एक ऐसी सब्जी है जो हर भारतीय घरों में अपनी जगह बनाये हुए है। जो किसान भाई बैगन की खेती करते है उन्हें बैगन में फेमोप्सिस अंगमारी की होने की समस्या से लगातार अवगत करा रहे है। इसलिए आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक से जाने की इस समस्या का समाधान कैसे किया जावे।
रोग के कारण
यह रोग फोमोप्सिस वेकसेन्स नामक कवक द्वारा उत्पन्न होता हैं।
रोग के लक्षण
यह बैंगन का एक भयंकर हानिकारक रोग हैं रोगी पौधों की पत्तियों पर छोटे छोट गोन भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं एवं अनियमित आकार के काले धब्बे पत्तिायों के किनारों पर दिखाई पडते हैं। रोगी पत्तिायां पीली पर पड़कर सूख जाती हैं।रोगी फलों पर धूल के काणों के समान भूरे रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं जो आकार में बढ़कर फलों को सडाकर जमीन पर गिरा देते हैं यह एक मृदाजनित रोग हैं। इसलिए इस रोग का प्रकोप पौधषाला में भी होता हैं। जिसके कारण पौधे झुलस जाते हैं।
रोग प्रबंधन
अपनाए फसल चक्र
एक ही खेत मे तीन वर्षों से अधिक बैगन की फसल नही लेनी चाहिए।
फसल चक्र अपनाने से रोग की उग्रता कम हो जाती है।
करे गहरी जुताई
ग्रीष्म काल मे खेत की गहरी जुताई करे यथा सम्भव एम बी प्लाऊ का उपयोग करे।पूर्व फसल के अवशेष को एकत्रित कर के जला देंवे।
करे स्वस्थ बीजो का चुनाव
हमेशा स्वस्थ व रोग रहित फसल से ही बीज प्राप्त करना चाहिए विशेष कर फल दाग रहित होना चाहिए।
करे गर्म पानी से उपचार
4 बीज बोने से पहले बीजो को गर्म पानी (50℃)तापक्रम पर 20 मिनट डुबाकर उपचारित कर लेना चाहिए।
रसायनिक नियंत्रण
■ कवक नाशी दवा डाफोलेटान 2 ग्राम जिनेब 2 ग्राम, बाइटोक्स 50 या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम अथवा कार्बेंडाजीम 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करे।
■Metalaxyl-M(Mefenoxam) 4%+ Mancozeb 64% WP 30-40 gm/pump
300-400 gm/acre
समयावधि
रोग की गंभीरता को देखते हुए छिड़काव नर्सरी अवस्था के 10 दिन के अंतराल से करना चाहिए।
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