कीट प्रबंधन-अनार की तितली का प्रबंधन
अनार के कीटों में अनार की तितली या फल छेदक, मिली बग, छाल भक्षक कीट, रस चूसक कीट और दीमक प्रमुख है| वहीं रोगों में जीवाणु पत्ती झुलसा या बेक्टेरियल ब्लाइट रोग, पत्ती मोड़क और तेलीय धब्बा रोग प्रमुख है और विकारों में फलों का फटना और सन बर्निग या सन स्काल्ड आदि प्रमुख है| जो अनार में आर्थिक स्तर से अधिक नुकसान पहुंचाते है| जब इनका प्रकोप होता है, तो उत्पादन पर अत्यधिक विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा फल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है|
इसलिए यदि कृषक भाई अनार के बागों से इच्छित उपज लेना चाहते है, तो इन सब कीट व रोग और विकारों की समय पर रोकथाम करनी चाहिए| आज की कड़ी में हम जानेंगे कि अनार की तितली का नियंत्रण किस तरह से किया जाता है।
परिचय
वैज्ञानिक नाम : विराकोला आइसोकेट्स ( फैब्रिकियस)
परिवार: लाइकेनडे
ऑर्डर: लेपिडोप्टेरा
सामान्य नाम: अनार तितली
अनार के फल के बोरर या अनार की तितली सबसे व्यापक, बहुरंगी और विनाशकारी कीट है जो पूरे भारत में वितरित की जाती है और एशिया में सह मिमी होती है । पीक की घटना अगस्त के महीने में मानसून के मौसम में होती है, जबकि सर्दियों की फसल में नवंबर / दिसंबर के दौरान अधिक होती है । फूलों की कटाई से लेकर बटन की अवस्था तक फल के 50 प्रतिशत तक नुकसान
क्षति की प्रकृति
अनार फल में लार्वा बोर इतना पर अंडे सेने के बाद। पर फल, लार्वा (लगभग 2cm लंबाई) फ़ीड अंदर ce पर मांस और बीज। ऊब छेद लार्वा के अंतिम पेट खंड द्वारा खामियों को दूर किया जाता है। जब पूरी तरह से विकसित हो जाता है, तो लार्वा कठिन खोल के माध्यम से उबाऊ होकर बाहर निकलता है और एक वेब को फैलाता है, जो मुख्य शाखा में फल, डंठल को जोड़ता है।
नुकसान के लक्षण
आक्रामक गंध और कैटरपिलर के उत्सर्जन छिद्रों के साथ प्रवेश छेद से बाहर आ रहे हैं। छेद चारों ओर अटक गए। फल सड़ जाते हैं और बंद हो जाते हैं। छेद अंततः फल के बाकी हिस्सों को रोग के रूप में उजागर करते हैं, और आम तौर पर पेड़ से सड़ जाते हैं।
नियंत्रण के उपाय
1.क्षतिग्रस्त फलों को इकट्ठा करें और नष्ट करें
2.खरपतवार पौधों की साफ-सफाई करें क्योंकि वैकल्पिक मेजबान के रूप में काम करते हैं
3.स्थानिक क्षेत्र - अतिसंवेदनशील किस्मों को विकसित करना
3.ETL (5 अंडे / पौधा) अपनाएं
फलों को पॉलीथिन बैग से ढक दें जब फल 5 सेमी तक हों
4.वयस्कों की गतिविधि की निगरानी के लिए प्रकाश जाल @ 1 / हेक्टेयर का उपयोग करें
कीटनाशक
1.फूल चरण - स्प्रे NSKE 5% या नीम योग 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।
2.डायमिथोएट 30 ईसी 1.5 मिली
प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।
3.एक लाख / एकड़ में ट्राइकोग्रामा चिलोनिस जारी करें ।
4.स्प्रे फेनवलरेट 20 ईसी @ 0.5 मिली या क्विनालफॉस 25 ईईसी @ 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।
5.डाइक्लोरवोस 76 ईसी @ 1 मिली या कार्बेरिल 50 डब्ल्यूपी @ 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।
6.फूल के समय फोसोलोन @ 0.5 मिली / 1 या डाइमेथोएट @ 1.7 मिली / है. का छिड़काव करें और 1 दिन के अंतराल पर दोहरायें
7.५.०२ प्रतिशत की दर से डेल्टामेथ्रिन का छिड़काव उस समय करें जब ५०% से अधिक फल सेट हों। प्रत *और बटर पेपर बैग के साथ फलों को ढंकते हुए प्रति पेड़ hig hest फल की उपज दर्ज की गई।
सिंचाई व्यवस्था
अनार के पौधे सूखा सहनशील होते हैं। परन्तु अच्छे उत्पादन के लिए सिंचाई आवश्यक है। मृग बहार की फसल लेने के लिए सिंचाई मई के मध्य से शुरु करके मानसून आने तक नियमित रूप से करना चाहिए। वर्षा ऋतु के बाद फलों के अच्छे विकास हेतु नियमित सिंचाई 10-12 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए। ड्रिप सिंचाई अनार के लिए उपयोगी साबित हुई है।इसमें 43 प्रतिशत पानी की बचत एवं 30-35 प्रतिशत उपज में वृद्धि पाई गई है।ड्रिप द्वारा सिंचाई विभिन्न मौसम में उनकी आवश्यकता के अनुसार करें।
प्रूनिंग(सधाई)
अनार मे सधाई का बहुत महत्व है। अनार की दो प्रकार से सधाई की जा सकती है।
एक तना पद्धति -
इस पद्धति में एक तने को छोडकर बाकी सभी बाहरी टहनियों को काट दिया जाता है। इस पद्धति में जमीन की सतह से अधिक सकर निकलते हैं।जिससे पौधा झाड़ीनुमा हो जाता है। इस विधि में तना छेदक का अधिक प्रकोप होता है। यह पद्धति व्यावसायिक उत्पादन के लिए उपयुक्त नही हैं।
बहु तना पद्धति -
इस पद्धति में अनार को इस प्रकार साधा जाता है कि इसमे तीन से चार तने छूटे हों,बाकी टहनियों को काट दिया जाता है। इस तरह साधे हुए तनें में प्रकाश अच्छी तरह से पहुॅंचता है। जिससे फूल व फल अच्छी तरह आते हैं।
इस प्रकार किसान भाई अनार की तितली का नियंत्रण कर सकते है यह जानकारी कृषको के लिए निश्चित ही लाभदायक होगी।
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