तना छेदक (Stem borer)
वैज्ञानिक नाम : स्सिर्पोफागा इन्सर्तुलास (Scirpophaga incertulas)
पहचान:
इस कीट की चार विभिन्न स्पीसीज़ में पीला तना छेदक सबसे मुख्य है । इस कीट का युवा पतंगा होता है, जिसके अग्र पंख पीले से होते है । मादा पतंगे के पीले अग्रपंखो पर केन्द्र में एक प्रकार का विशेष काला निशान होता है जबकि नर के अग्रपंख के अंतिम किनारे पर ८ से ९ छोटे भूरे निशान होते हैं । पंतगा सांय ७ से ९ बजे मादा से मिलता है । मादा पत्तियों के शिखर पर समूह में अंडे रखती है और उन्हें पांडु रंग की रोऐं दार पपड़ी से ढक देती है । एक मादा १०० से २०० ऐसे अंडे समूह जनती है, प्रत्येक समूह में ५० से ८० अंडे होते है । अंडों से ५ से ८ दिन में लारवी बाहर आती है । पूर्ण विकसित लारवी का रंग पाडुं पीला तथा उसका सिर नारंगी पीला होता है । यह २५.मि.मी. लम्बाई तक होती है एवं पर्णच्छद से होती हुई, पत्ती में घुस जाती है । यहाँ लारवी १६ से २७ दिन में ६ बाद चोला बदलती है तथा प्यूपा बन जाती है । यह १६ मि.मी. लम्बा तथा २.५ मि.मी. चौड़ा होता है, जो ९ से १२ दिन बाद युवा पतंगे के रूप में विकसित हो जाता है ।
क्षति की प्रकृति:
पौधे की वानस्पतिक अवस्था में लारवी पर्णपच्छद में छेद बनाती है और अंदर जाकर पौधे को क्षति पहुंचाती है । क्षतिग्रस्त क्षेत्र सफेद सा हो जाता है । बिना खुली पत्ती भूरी सी होकर सूख जाती हैं, जिसे डेड हर्ट (मृत केन्द्र) कहते है । चित्र में इसी प्रकार के मृतकेन्द्र फसल के साथ दिखाए गये है । संक्रमित पौधों में से सामान्य पुष्प गुच्छ के स्थान पर सफेद बालियां निकलती हैं, जिनमें दाने नही बनते । चित्र में धान के खेत में ऐसी बालियाँ दर्शायी गई हैं ।
➡️ क्षति के लक्षण -
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर(वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के अनुुसार
▪️पत्ती की नोक के पास भूरे रंग के अंडे की समूह पायी जाती है
▪️धान के मुख्य तना और कन्सा के मध्य भाग केंद्रीय शूट में कैटरपिलर बोर करते है जिससे केंद्रीय शूट सूखने लगते है जिसे *डेड हार्ट* कहते है।
▪️पौधों के मध्य भाग को आसानी से हाथ से खींचा जा सकता है।
धान की फसल में तना छेदक कीट का ऐसे करे प्रबंधन:🔹 परंपरागत क्रियाये
▪️रोपाई से पहले नर्सरी थरहा के फोक ऊपरी भान का मुंडन करने से रोपित क्षेत्रों से अंडों का वहन बहुत कम हो जाता है
▪️छोटे कद और कम विकास अवधि वाले धान की किस्मों को लगाना चाहिए
▪️प्रतिरोधी किस्में /सहनशील. किस्में- रत्ना, सस्यश्री, विकास, भागीरथी,पंत धान
🔹 यांत्रिक क्रियाएं
▪️रोगग्रस्त / कीट से संक्रमित पौधों के हिस्सों को निकालना (नष्ट करना)
▪️प्रकाश प्रपंच को प्रति हेक्टेयर 1 की दर से उपयोग करे
▪️फेरोमोन प्रपंच @ 10 प्रति एकड़ का उपयोग करे
🔹 जैविक नियंत्रण
▪️जैव नियंत्रक के रूप में ट्राइकोग्रामा मित्र कीट 20 हजार अंडे के गुच्छे 5 से 6 अंडे के गुच्छे tricho card को धान की पत्तियों में चिपकाना
🔹 रासायनिक नियंत्रण
क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल18.5% SC @ 60 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
▪️कार्टप हाइड्रोक्लोराइड 4% जी 4 किग्रा / एकड़
▪️एसिफेट 75% SP -350 ग्राम / एकड़
▪️क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी 500 मी ली / एकड़
▪️फिप्रोनिल 5% एससी 500 मी ली / एकड़
▪️फिप्रोनिल 80% डब्लूजी 50- 4 किग्रा / एकड़
▪️फ्लूबेंडामाइड 20% WG -60 ग्राम / एकड़
▪️थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी 200 ग्राम / एकड़
▪️थायोमेथोक्साम 25% डब्लूजी 40 ग्राम / एकड़
▪️ट्रायाजोफोस 40% ईसी - 400 मिली / एकड़
▪️फॉसालोन 35 ईसी - 700 मिली / एकड़
▪️ऐसीफेट 75% एसपी - 750 ग्राम / एकड़
▪️कार्बोफ्यूरान 3 G - 13 किग्रा / एकड़
▪️कार्बोसल्फान 6% - 7 किग्रा / एकड़
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