पोषक तत्वों की कमी से पोधो में दिखने वाले लक्षण
पेड़ पौधे भी इंसानों की तरह विकास करने के लिए पोषक तत्व का उपयोग करते हैं ,पौधों को अपनी वृद्धि, प्रजनन, तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है । इन पोषक तत्वों के उपलब्ध न होने पर पौधों की वृद्धि रूक जाती है यदि ये पोषक तत्व एक निश्चित समय तक न मिलें तो पौधों की मृत्यु हो जाती है । हालाकी पौधे भूमि से जल तथा खनिज-लवण शोषित करके वायु से कार्बन डाई-आक्साइड प्राप्त करके सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपने लिए भोजन का निर्माण करते हैं।
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ ने बतया कि पौधों को 17 तत्वों की आवश्यकता होती है जिनके बिना पौधे की वृद्धि-विकास तथा प्रजनन आदि क्रियाएं सम्भव नहीं हैं। इनमें से मुख्य तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन , नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश है। इनमें से प्रथम तीन तत्व पौधे वायुमंडल से ग्रहण कर लेते हैं।
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ ने बतया कि पौधों को 17 तत्वों की आवश्यकता होती है जिनके बिना पौधे की वृद्धि-विकास तथा प्रजनन आदि क्रियाएं सम्भव नहीं हैं। इनमें से मुख्य तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन , नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश है। इनमें से प्रथम तीन तत्व पौधे वायुमंडल से ग्रहण कर लेते हैं।
पोषक तत्वों को पौधों की आवश्यकतानुसार निम्न प्रकार वर्गीकृत किया गया है:-
- मुख्य पोषक तत्व- नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश।
- गौण पोषक तत्व- कैल्सियम, मैग्नीशियम एवं गन्धक।
- सूक्ष्म पोषक तत्व- लोहा, जिंक, कापर, मैग्नीज, मालिब्डेनम, बोरान एवं क्लोरीन।
नाइट्रोजन
नाइट्रोजन की कमी से पौधे पीले पड़ते है।
जड़ों और पोधो की प्रोग्रेस रुक जाती है।
न्यू अंकुरण व फूलों में कमी आती है।
पोधो की निचली पत्तिया गिरने लगती है जिसे क्लोरोसिस कहते है। फलदार पोधो का गिर जाना और पोधो का बोना दिखना और फसल का जल्दी पक जाना ये सब नाइट्रोजन की कमी के लक्षण होते है।
फोस्फोरस
फोस्फोरस की कमी के कारण पोधो का विकास नही हो पाता है।
पोधे के पत्ते दूसरी तरफ से बैगनी हलके नीले रंग के हो जाते है।
पोधो की जड़ो का समुचित विकास नही हो पाता हे और कही बार जड़े सुख भी जाती है।
इसकी कमी की वजहा से फलो सही तरीके से नही पक पाते हे। पोधे के तना गहरा पीला हो जाता हे।
पोटशियम
पोधो के पत्ते गिरने लगते है।
इसकी कमी से पत्तों की किनारों पर भूरे और पीले रंग के दाग लगते है।
और पत्तों के ऊपरी सिर झुलसे हुए दीखते है।
आयरन
पोधो में वर्द्धि रुक जाती है।
इसकी कमी के कारण पत्तों का ऊपरी हिस्सा पीला पड़ने लगता है।
पत्तियों की किनारों और नसों का अधिक समय तक हरा बना रहना।
नई कलिकाओ का मर जाना और पोधो के तानो का छोटा रहा जाना।
बोरान
बोरान की कमी के कारण फूल पर भूरे दाग पड़ने लगते है। और फल फट जाते है।
इसकी कमी के कारण फूलों में परागण ठीक तरीके से नही हो पाता है और फूल पोधे से गिरने स्टार्ट हो जाते है।
जिंक
पत्ते झड़ने लगते है। पोधो के पत्ते छोटे छोटे रह जाते है। और उनका ऊपरी भाग पीला हो जाता है।
गेहू के उपरी 3 या 4 पत्तियों का पीला पड़ना।
फलो का आकर छोटा रहना और पैदावार में कमी आना।
मलीब्डेनम
इसकी कमी से पत्ते के दूसरे हिस्से में चिपचिपा भूरे रंग का द्रव जमा हो जाता है।
इसकी तत्व की कमी के कारण पहले पत्ते पीले होते है और उसके ऊपर भूरे रंग के दाग पड़ने लगते है।
टमाटर की निचली पत्तिया मुड़ जाती है। फिर मोल्टिंग व नेक्रोसेस रचनाये बन जाती है।
कापर
इसकी कमी के कारण पोधो में डायबक जैसा रोग हो जाता है।
कापर की कमी के कारण पोधो का ऊपरी हिस्सा विकास नही कर पता है।
केल्सियम
केल्सियम की कमी के कारण नई पत्तों के किनारे मूड और सुकुड जाते हे।
फल और सब्ज़ियाँ बिना पके ही मुर्जा जाते है।
जड़ों का विकास कम होता हे और ग्रन्थियो की संख्या में कमी हो जाती है।
सल्फर
नई पत्तियों का पिला पड़ना बाद में सफ़ेद हो जाना तना ज्यादा विकसित ना हो पाना
सरसों की पत्तियों का पायलेनुमा हो जाना।
क्लोरिन
इसकी कमी के वजह से बरसीम की पत्तिया एक सामान नही रहती हे उनमें छोटी मोटी पत्तिया होने लगती है। बन्द गोबी के पत्ते मुड़ना स्टार्ट हो जाते है।
मैग्नीशियम
यह चारे वाली फसल के लिए बहुत जरूरी होता है।
इसकी कमी के कारण पत्तिया पूरी तरह से विकसित होने से पहले ही उनका ऊपरी सिरा मुड़ जाता है।
दलहन वाली फसलो में पत्तों की मुख्य नसों का बीच वाला भाग पीला पड़ जाता है।
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