भिंडी फसल से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए हानिकारक कीट व रोग पर नियंत्रण आवश्यक है| वैसे तो भिंडी फसल पर अनेक कीटों और रोगों का प्रकोप होता है| लेकिन आर्थिक दृष्टी से कुछ प्रमुख कीट व रोग है, जो फसल को हानी पहुंचाते है, जैसे, कीट में प्ररोह और फली छेदक, फल भेदक, रस चूसने वाले कीट, मूल ग्रन्थि सूत्रकृमी और लाल मकड़ी आदि, वही प्रमुख रोगों में पितशिरा मौजेक वाइरस, आर्द्रगलन और जड़ गलन शामिल है|
आज हम भिंडी फसल के प्ररोह व फल छेदक कीट के नियंत्रण के बारे में जानेंगे की किसान भाई कैसे इन कीटो का प्रबंधन कर सकते है।
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के अनुसार प्ररोह एवं फल छेदक (इरियास विटेला एवं ई. इन्सूलाना)
कीट की लटे भिंडी फसल में काफी क्षति पहुंचाती है, जो कि फलों में छेद कर अन्दर घुस जाती है और फल खाकर नुकसान पहुचांती है| इसके प्रकोप से शुरूआत में अन्तिम प्ररोह (टर्मिनल शूट) मुरझा जाती है एवं गिर जाती है| फल-फूल, कलिकाएं (कोपले) भी गिर जाते है| साथ ही फल अनियमित आकार के हो जाते है और वर्षा के बाद वातावरण में ज्यों ही आर्द्रता बढ़ती है, इस कीट का प्रकोप प्रचण्ड रूप ले लेता है|
नियंत्रण
1. ग्रसित प्ररोह, फल, फूल एवं कोपलों को इकट्ठा कर नष्ट करें|
2. रात्रि में लाईट ट्रेप लगाकर व्यस्क को नष्ट करें|
3. नर व्यस्क को आकर्षित करने हेतु फेरोमोन ट्रेप 12 प्रति हैक्टेयर लगाये|
4. अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा किलोसिस 1 लाख प्रति हैक्टेयर छोड़े|
रासायनिक नियंत्रण
👉🏻 क्लोरेंट्रेनिलीप्रोल 18.5% एस सी 80 मि ली प्रति एकड़
👉🏻 इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस जी 80 मि ली प्रति एकड़
👉🏻 फेनप्रोपॅथ्रीन 30% इ सी 118 मि ली प्रति एकड़
👉🏻 स्पैनोसैड 45.0% एस सी 75 मि ली प्रति एकड़
▪ मिश्रित कीटनाशक▪
👉🏻 साइपरमेथ्रिन 3% + क्विनोल्फोस 20% इ सी 220 मि ली प्रति एकड़
👉🏻 बिटास्यफ्लुथरिंन 8.49 %+ इमिडॉक्लोप्रिड 19.81% ओ डी 200 ग्रा. प्रति एकड़
👉🏻 थायाक्लोप्रिड 21.7% एस सी 300 मि ली प्रति एकड़
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साभार
डॉ गजेंद्र चन्द्राकर
(वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़
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