उद्यानिकी:-अक्टूबर में लहसुन की खेती करें किसान, लहसुन की आधुनिक खेती से होगा अच्छा लाभ
किसानों के लिए अक्टूबर का महीना लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। असल में लहसुन की खेती के लिए न अधिक गर्मी का मौसम हो और न ही अधिक ठंड का मौसम हो। ऐसे में अक्टूबर का महीना लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस मौसम में लहसुन का कंद निर्माण बेहतर होता है। इसकी खेती के लिए दोमट भूमि अच्छी रहती है। इसकी खेती के लिए दोमट भूमि अच्छी रहती है. लहसुन जितना आपके खाने को लजीज बनाता है उतनी ही इसकी खेती से किसानों को अच्छा फायदा होता है।
लहसुन में निम्न गुण विद्यमान होते है। जो इस प्रकार है।
औषधीय गुण-
भोजन को पचाने व अवाोशण में लहसुन काफी लाभदायक है| यह रक्त कोलेस्ट्रोल की सांद्रता को कम करता है| इसका सेवन करने से कई बीमारियों जैसे- गठिया, बन्धयता, तपेदिक, कमजोरी, कफ और लाल आंखे आदि से छुटकारा पाया जा सकता है|
कीटनाशी गुण
लहसुन के रस में कीटनाशी गुण के कारण 10 मिलीलीटर अर्क प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रयोग करने से मच्छर व घरेलू मक्खी की रोकथाम के लिए प्रभावकारी होता है|
जीवाणुनाशी प्रभाव
स्टेफाइलोकोकस आरियस नामक जीवाणु की रोकथाम लहसुन के प्रयोग से की जा सकती है|खाद्य पदार्थों में 2 प्रतिशत से अधिक लहसुन की मात्रा जहर पैदा करने वाले जीवाणु क्लोस्ट्रीडियम परिफ्रिन्जेन्स से रक्षा करती है| इसके अतिरिक्त इसमें अन्य कई प्रकार के हानिकारक जीवाणुओं से बचाने की क्षमता विद्यामान है|
आइये किसान भाईयों को लहसुन की खेती की विभिन्न किस्मों के बारे में बताते हैं।
जी-1 और जी-17 :
इन दिनों लहसुन की जी-1 और जी-17 प्रजाति प्रमुख हैं। जी-17 का प्रयोग ज्यादातर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान कर रहे हैं। यह दोनों प्रजातियां ही 160 से 180 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। इसके बाद अप्रैल-मई महीने में इसकी खुदाई होती है। एक हेक्टेयर में लगभग 8 से 9 टन पैदावार आसानी से हो जाती है।
टाइप 56-4
लहसुन की इस किस्म का विकास पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से किया गया है इसमें लहसुन की गांठे छोटी होती हैं और सफेद होती हैं। प्रत्येक गांठ में 25 से 34 पुत्तियां होती हैं। इस किस्म से किसान को प्रति हेक्टेयर 15 से 20 टन तक उपज मिलती है।
आईसी 49381
इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से किया गया है। इस किस्म से लहसुन की फसल 160 से 180 दिनों में तैयार हो जाती है. इस किस्म से किसानों को अधिक उपज मिलती है।
सोलन
लहसुन की इस किस्म का विकास हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय की ओर से किया गया है। इस किस्म में पौधों की पत्तियां काफी चौड़ी व लंबी होती हैं और रंग गहरा होता है। इसमें प्रत्येक गांठ में चार ही पुत्तियां होती हैं और काफी मोटी होती हैं। अन्य किस्मों की तुलना में यह अधिक उपज देने वाली किस्म है।
एग्री फाउंड व्हाईट (41 जी)
लहसुन की इस किस्म में भी फसल 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म से लहसुन की उपज 130 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। यह किस्म गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि प्रदेशों के लिए अखिल भारतीय समन्वित सब्जी सुधार परियोजना के द्वारा संस्तुति की जा चुकी है।
यमुना (-1 जी) सफेद
लहसुन की यह किस्म संपूर्ण भारत में उगाने के लिए अखिल भारतीय सब्जी सुधार परियोजना के द्वारा संस्तुति की जा चुकी है। इस किस्म में फसल से 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर उपज 150 से 175 क्विंटल होती है।
यमुना सफेद 2 (जी 50)
यह किस्म मध्य प्रदेश के लिए उत्तम पाई जाती है। इस किस्म में 160 से 170 दिन फसल तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर उपज 150 से 155 क्विंटल तक होती है. यह किस्म बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रति सहनशील होती है।
जी 282
इस किस्म में शल्क कंद सफेद और बड़े आकार के होते हैं। इसके साथ ही 140 से 150 दिनों में फसल तैयार हो जाती है. इस किस्म में किसान को 175 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिल जाती है।
आईसी 42891
यह किस्म किसानों को अधिक उपज देती है और फसल 160-180 दिन में तैयार हो जाती है।
मिट्टी और जलवायु
जैसा कि आपको पहले बताया जा चुका है कि लहसुन की खेती के लिए मध्यम ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है। इसके साथ ही दोमट मिट्टी, जिसमें जैविक पदार्थों की मात्रा अधिक हो, लहसुन की खेती के लिए सबसे अच्छी है।
खेती की तैयारी
खेत में दो या तीन गहरी जुताई करें। इसके बाद खेत को समतल कर क्यारियां और सिचांई की नालियां बना लें। बता दें कि लहसुन की अधिक उपज के लिए डेढ़ से दो क्विंटल स्वस्थ कलियां प्रति एकड़ लगती हैं।
ऐसे करें बुवाई और सिंचाई
■अधिक उपज के लिए किसानों को बुवाई के लिए डबलिंग विधि का उपयोग करना चाहिए।
■ क्यारी में कतारों की दूरी 15 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए।
■ वहीं, दो पौधों के बीच की दूरी 7.5 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
■ वहीं किसानों को बोने की गहराई 5 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए।
■जबकि सिंचाई के लिए लहसुन की गांठों के अच्छे विकास के लिए 10 से 15 दिनों का अंतर होना चाहिए।
इसकी खेती भारत के लगभग हर हिस्से में की जाती है,लेकिन इसके लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ का मौसम बहुत ही उपयुक्त माना जाता है।लहसुन की खेती 5-6 माह बाद अच्छा मुनाफा देती है।
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