राम मंदिर भूमि पूजन के दौरान लगा "परिजात" का पौधा,जानिए इसका महत्व
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भूमि पूजन के समय पारिजात का पौधा लगाया गया,शायद बहुत कम लोगों को इस पौधे की जानकारी होगी. आइए आपको बताते हैं कि आखिर पारिजात का पौधा क्या है।
क्या कहते है?पुराण
हरिवंश पुराण के अनुसार पारिजात के वृक्ष को कल्पवृक्ष कहा गया है तथा इसकी उत्तपत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी। इस वृक्ष को देवराज इंद्र स्वर्गलोक ले गए थे। इसे छूने का अधिकार मात्र उर्वशी नामक अप्सरा को प्राप्त था, जिससे उर्वशी की सारी थकान दूर हो जाती थी। इस अद्भुत वृक्ष पर पुष्प जरूर खिलते हैं लेकिन वे भी मात्र रात्री में तथा प्रातः होने पर सभी फूल मुरझा जाते हैं। इन फूलों को मूलतः लक्ष्मी पूजन हेतु उपयोग किया जाता है परंतु मात्र उन्हीं फूलों को उपयोग किया जाता है जो स्वयं टूटकर गिरे हों। अतः शास्त्रों में पारिजात के फूल तोड़ना वर्जित कहा गया है।
अन्य नाम
Hindi – हरसिंगार, पारिजात, कूरी, सिहारु, सेओली
English – ट्री ऑफ सैडनेस ,मस्क फ्लॉवर , कोरल जैसमिन , नाईट जैसमिन
Sanskrit – पारिजात, पुष्पक, प्राजक्त, रागपुष्पी, खरपत्रक
Uttrakhand – कुरी (Kuri), हरसिंगार
Oriya – गोडोकोडीको, गंगा सेयोली
Urdu – गुलेजाफारी, हरसिंगार
Assemia – सेवाली (Sewali)
Konkani – पारिजातक, पारडिक
Kannada – गोली (Goli), पारिजात
Gujarati -हारशणगार, जयापार्वती
Tamil – मंझाटपू, पवलमल्लिकै
Telugu – सेपाली ,पगडमल्ले,
Bengali – हरसिंघार , सेफालिका, शेउली
Nepali – पारिजात
Punjabi – हरसिंघार, कूरी
पारिजात पेड़ की खासियत
यह पेड़ बहुत खूबसूरत होता है. इसके फूल का प्रयोग भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में किया जाता है, इसलिए इसे हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है इसके फूल बहुत मनमोहक और सुगंधित होते हैं हिन्दू धर्म में इस वृक्ष का बहुत महत्व है. कहा जाता है कि पारिजात को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है. इसकी ऊंचाई 10 से 25 फीट तक की होती है इस पेड़ में बहुत बड़ी मात्रा में फूल उगते हैं इस पेड़ के फूल रात में खिलते हैं खास बात है कि इसकी छाया में बैठने से ही सारी थकावट मिट जाती है यह बहुत औषधीय गुणों वाला पेड़ माना जाता है।
पारिजात के हैं,बहुत अनोखे फायदे
आपने पारिजात (parijat) के फूल का प्रयोग जरूर किया होगा, लेकिन शायद परिजात के गुण के बारे में नहीं जानते होंगे। पारिजात का पेड़ बाग-बगीचों में पाया जाता है। इसके फूल बहुत ही मनमोहक और आकर्षक होते हैं। आमतौर पर लोग हरसिंगार के फूल को केवल पूजा-पाठ के लिए इस्तेमाल करते हैं। लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि पारिजात या हरसिंगार के फायदे एक-दो नहीं बल्कि बहुत सारे है।
रूसी(डैंड्रफ) की समस्या में-
कई लोग बालों में रूसी की समस्या से परेशान रहते हैं। डैंड्रफ को हटाने के लिए अनेक उपाय भी करते हैं, लेकिन कई बार उचित उपाय नहीं कर पाने के कारण रूसी से निजात नहीं मिलता है। आप हरसिंगार के फायदे से रूसी को ठीक कर सकते हैं। आप पारिजात का बीज लें। इसका पेस्ट बनाएं। इसे सिर पर लगाएं। इससे डैंड्रफ की परेशानी खत्म होती है।
गले के रोग में पारिजात के फायदे-
जीभ के पास एक घंटी जैसा छोटा-सा मांस का टुकड़ा होता है, उसे गलशुण्डी बोलते हैं। इससे जुड़ी बीमारी हो तो हरसिंगार का पौधा लें। इसकी जड़ को चबाएं। इससे गलशुण्डी से जुड़े विकार ठीक होते हैं।
हरसिंगार का पेड़ करता है खांसी का इलाज -
खांसी के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में आप पारिजात का पेड़ इस्तेमाल में लाएंगे तो बहुत लाभ मिलेगा। 500 मिग्रा पारिजात की छाल का चूर्ण बनाएं। इसका सेवन करने से खांसी ठीक होती है।
रक्तस्राव (नाक-कान से खून बहना) में हरसिंगार के फायदे
कुछ लोगों को बराबर नाक-कान आदि से खून बहता रहता है। ऐसे लोग पारिजात का पेड़ उपयोग में ला सकते हैं। हरसिंगार का पौधा लें। इसकी जड़ को मुंह में रखकर चबाएं। इससे नाक, कान, कंठ आदि से निकलने वाला खून बंद हो जाता है।
पेट के कीड़े की समस्या में हरसिंगार के फायदे
बच्चे हों या वयस्क, सभी को कई बार पेट में कीड़े की समस्या हो जाती है। हरसिंगार के फायदे इस रोग में मिलते हैं। हरसिंगार के पेड़ से ताजे पत्ते तोड़ लें। चीनी के साथ पारिजात के ताजे पत्ते का रस (5 मिली) सेवन करें। इससे पेट और आंतों में रहने वाले हानिकारक कीड़े खत्म हो जाते हैं।
बार-बार यूरिन करने की समस्या में पारिजात से लाभ
अगर आप बार-बार यूरिन करने की परेशानी से ग्रस्त हैं तो पारिजात का पेड़ लाभ दिलाएगा। पारिजात के पेड़ के तने के पत्ते, जड़, और फूल का काढ़ा बनाएं। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे बार-बार यूरिन करने की परेशानी खत्म होती है।
पारिजात का पेड़ सुखाता है घाव
हरसिंगार के फायदे से घाव ठीक हो सकता है। पारिजात के बीज का पेस्ट बनाएं। इसे सिर की त्वचा पर होने वाली फोड़े-फुन्सी या अन्य सामान्य घाव पर लगाएँ। इससे घाव ठीक हो जाता है।
हरसिंगार का पेड़ डायबिटीज में फायदेमंद
पारिजात का पेड़ डायबिटीज में बहुत लाभदायक होता है। 10-30 मिली पारिजात (parijatha) के पत्ते का काढ़ा बना लें। इसका सेवन करें। इससे डायबिटीज रोग में लाभ होता है।
पारिजात का पेड़ देता है तिल्ली रोग में लाभ
पारिजात , अपामार्ग तथा तालमखाना के क्षार (125-250 मिग्रा) को तेल में मिलाएं। इसका सेवन करने से तिल्ली रोग में लाभ होता है।
हरसिंगार का पेड़ पहुंचाता है गठिया में लाभ
पारिजात के गुण से गठिया की बीमारी में भी लाभ ले सकते हैं। पारिजात की जड़ का काढ़ा बनाएं। इसकी 10-30 मिली की मात्रा सेवन करें। इससे गठिया में फायदा होता है।
हरसिंगार के पत्ते को पीसकर, गुनगुना करके लेप बना लें। इससे जोड़ों के दर्द पर लेप करने से बहुत फायदा होता है।
दाद की समस्या में हरसिंगार से लाभ
दाद में भी पारिजात के गुण से लाभ लिया जा सकता है। पारिजात के पत्तों को घिसकर रस निकाल लें। इसको दाद वाले अंग पर लगाएं। इससे दाद ठीक होता है।
त्वचा रोग में हरसिंगार से लाभ
पारिजात के पत्ते का काढ़ा एवं पेस्ट बना लें। इसका प्रयोग करने से दाद, खुजली, घाव, तथा कुष्ठ रोग आदि त्वचा विकारों में लाभ होता है।
गंजेपन की समस्या में हरसिंगार से लाभ
आज गंजापन एक आम समस्या बन चुकी है। पुरुष और महिलाएं, दोनों गंजेपन की समस्या से परेशान हैं। हरसिंगार के बीजों का पेस्ट बनाएं। इसे सिर पर लगाएं। इससे गंजेपन की परेशानी में लाभ मिलता है।
तंत्रिका-तंत्र विकार में हरसिंगार का पेड़ फायदेमंद
तंत्रिका-तंत्र विकार में भी पारिजात के गुण से फायदा मिलता है। पारिजात और निर्गुण्डी के पत्ते लें। पत्तों की मात्रा बराबर होनी चाहिए। इससे काढ़ा बना लें। इस काढ़ा को 15-30 मिली मात्रा में पीने से तंत्रिका-तंत्र से संबंधित दर्द ठीक होता है।
आंखों के रोग में पारिजात के वृक्ष से लाभ
पारिजात का पेड़ आंखों की बीमारी में भी लाभ देता है। पारिजात के वृक्ष की छाल को कांजी से पीसकर तेल बना लें। इसे आंखों पर लगाने से आंखों के दर्द में लाभ होता है। बेहतर उपाय के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
बुखार उतारने के लिए पारिजात के पेड़ का प्रयोग
पारिजात का पेड़ बुखार ठीक करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। पारिजात के पेड़ के पत्ते का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली काढ़ा में अदरक का चूर्ण तथा मधु मिलाकर सेवन करें। इससे साधारण बुखार सहित बुखार की गंभीर स्थिति में भी लाभ होता है।
5-10 मिली हरसिंगार (parijatham) के पत्ते के रस में 1-2 ग्राम त्रिकटु चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इससे भी गंभीर बुखार उतर जाता है।
पारिजात के उपयोगी भाग
पारिजात वृक्ष के पत्ते
पारिजात वृक्ष की जड़
पारिजात वृक्ष के तने की छाल
पारिजात वृक्ष के फूल
पारिजात वृक्ष की बीज
नोट- औषधि का प्रयोग वैध से परामर्श लेने के बाद ही करे।
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