नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिवस हैं... ब्राह्मी वनस्पति को मां ब्रह्मचारिणी का प्रतीक माना गया हैं...।
#ब्रह्मचारिणी
#ब्राह्मी
#Bacopa_monnieri
#मण्डूकपर्णी
#Centella_asiatica
नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिवस हैं... ब्राह्मी वनस्पति को मां ब्रह्मचारिणी का प्रतीक माना गया हैं...।
स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली ब्राह्मी का नाम हम सबने सुना होगा.....पर ब्राह्मी के पौधे के बारे में कम ही जानते है.... ब्राह्मी हरे और सफेद रंग की होती है... ब्राह्मी का पौधा हिमालय की तराई में हरिद्धार से लेकर बद्रीनारायण के मार्ग में अधिक मात्रा में पाया जाता है... जो बहुत उत्तम किस्म का होता है... यह मुख्यतः जला सन्न भूमि में पाई जाती है इसलिए इसे #जलब्राह्मी या #नीरब्राह्मी भी कहते हैं..... विशेषतः यह हिमालय की तराई, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि में नदी नालों, नहरों के किनारे पाई जाती है ...गंगा के किनारे बारहों महीने हरी-भरी पाई जाती है ...।
ब्राह्मी का पौधा पूरी तरह से औषधीय है... इसके तने और पत्तियां मुलायम, गूदेदार और फूल सफेद होते हैं... ब्राह्मी की जड़ें छोटी और धागे की तरह पतली होती है.. इसमें गर्मी के मौसम में फूल लगते हैं..यह पौधा नम स्थानो में पाया जाता है, तथा मुख्यत: भारत ही इसकी उपज भूमि है..।
इसे भारत वर्ष में विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे हिंदी में सफेद चमनी, संस्कृत में सौम्यलता, मलयालम में वर्ण, नीरब्राम्ही, मराठी में घोल, गुजराती में जल ब्राह्मी, जल नेवरी आदि, इसका वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोनिएरी(Bacapa monnieri) है...इस पौधे में #हायड्रोकोटिलिन नामक क्षाराभ और #एशियाटिकोसाइड नामक ग्लाइकोसाइड पाया जाता है।
ब्राह्मी का प्रभाव मुख्यतः #मस्तिष्क पर पडता है....यह मस्तिष्क के लिए एक पौष्टिक टॉनिक तो है ही साथ ही यह मस्तिष्क को शान्ति भी देती है.... लगातार मानसिक कार्य करने से थकान के कारण जब व्यक्ति की कार्यक्षमता घट जाती है तो ब्राह्मी का आश्चर्यजनक असर होता है....ब्राह्मी स्नायुकोषों का पोषण कर उन्हें उत्तेजित कर देती है और हम पुनः स्फूर्ति का अनुभव करने लगते हैं।
सही मात्रा के अनुसार इसका सेवन करने से निर्बुद्ध, #महामूर्ख, अज्ञानी भी श्रुतिधर (एक बार सुनकर जन्म भर न भूलने वाला) और त्रिकालदर्शी (भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य को जानने वाला) हो जाता है, व्याकरण को पढ़ने वाले अक्सर इस क्रिया को करते हैं.... ब्राह्मी घृत, ब्राही रसायन, ब्राही पाक, ब्राह्मी तेल, सारस्वतारिष्ट, सारस्वत चूर्ण आदि के रूप में प्रयोग किया जाता हैं.... अग्निमंदता, रक्त विकार तथा सामान्य शोथ में यह तुरंत लाभ करती है..... ब्राह्मी बुद्धि तथा उम्र को बढ़ाता है। यह रसायन के समान होती है। बुखार को खत्म करती है.... सफेद दाग, पीलिया, प्रमेह और खून की खराबी को दूर करती है.... खांसी, पित्त और सूजन को रोकती है। बैठे हुए गले को साफ करती है.... ब्राह्मी का उपयोग दिल के लिए लाभदायक होता है.... यह उन्माद (मानसिक पागलपन) को दूर करता है। ब्राह्मी कब्ज को दूर करती है।
#बुद्धिवर्धक होने के कारण ‘ब्राह्मी’ नाम दिया गया है .... ।
इसका उपयोग एक अच्छे वैद्य की सलाह में करे ।।
चित्र 3- मण्डूकपर्णी वनस्पति का है जिसको ब्राह्मी के नाम से जाना पहचाना जाता हैं.. इसके गुण भी ब्राह्मी से मिलते-जुलते हैं..।
ब्राह्मी से जुड़ी कोई जानकारी हो तो अवश्य शेयर करे ..।।
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