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जैविक खेती:- आइए जानते है "महा जीवामृत" के बारे में।

 
जैविक खेती:- आइए जानते है "महा जीवामृत" के बारे में।



जीवामृत के बारे में जो कृषक जैविक खेती कर रहे है वे भली भांति परिचित है। उस जीवामृत को कैसे और प्रभावकारी बनाया जा सकता है इसके बारे में आज की कड़ी में हम जानेंगे। यह विधि निश्चित ही जैविक कृषको के लिए अत्यंत लाभकारी होगी।

महा जीवामृत



आवश्यक सामग्री

१) प्लास्टिक की एक ड्रम २०० लीटर की ।

२) ताजा गोबर रस-१० लीटर ।

विशेष रूप से गोबर जमीन में न गिरने पाये वही लेना है ।

क्योंकि जमीन के संपर्क में आने से अर्थिंग मिलने पर सूक्ष्म जीवाणु का प्रभाव तीव्रता से घटने लगती है। वैज्ञानिक शोध में ज्ञात हुआ है - देशी गौवंशीय गाय के एक ग्राम ताजा गोबर में ३०० तीन सौ करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते है जो मनुष्य शरीर, पेड़ -पौधे एवं धरती के लिए विभिन्न प्रकार के आवश्यक पोषक तत्व रसायन , मिनरल एवं खनिज की पूर्ति करने में पूर्ण सक्षम हैं ।

३) गौआधारित खेती से उत्पादित पूर्णतः जैविक गुड़ -१ किलो ।

४) चना ,उड़द , मूंग , राजमा , अरहर का आटा सभी - २००-२०० ग्राम।

५) आँवला , बड़ , पीपल , नीम ,तुलसी के जड़ के पास की मिट्टी।
सभी- २००-२०० ग्राम।

६) गवार गम पावडर -२५० से ५०० ग्राम ।

उपरोक्त सभी २ से ६ तक को क्रमशः अच्छी तरह से मिलाकर फिर ड्रम में डालकर ड्रम में ५० लीटर पानी डालकर दो दिन रखें ।

दो दिन बाद ड्रम को पानी से भर दे ।

इसे छः ६ दिन ढककर रखे।

सातवें दिन इसमें देशी गाय का सवा लीटर दूध से मिट्टी में के पात्र में जमाया हुआ दही को लकड़ी के बिलोना से हल्का सा बिलोकर, ताकि दही के बारीक कण -कण हो जाय ऐसा मथकर ड्रम में मिलाकर पुनः सात दिन के लिए रखें ।

विशेष ध्यान देने योग्य बात यह कि-

१) दही को उपरोक्त घोल में मिलाने के दो दिन पहले ही जमा ले ताकि दही में बैक्टीरिया अच्छी तरह से ग्रोथ कर जाय । इसके लिए दही जमाते समय जामन भी थोड़ा ज्यादा डाले ।

२) गौ मूत्र १० लीटर उसी दिन से अलग से सुरक्षित रखें लें I अर्थात् शुरू के ही दिन , जिस दिन गोबर रस, गुड़ , दाल का आटा मिट्टी आदि मिलाया।
गोमूत्र को यदि मिट्टी के पात्र में रख पाये तो उत्तम परिणाम देने वाला होता है ।

यह महाजीवामृत १५ दिन में तैयार हो जाएगा छिड़काव हेतु ।

जिस दिन छिड़काव करना है उसी दिन सुरक्षित रखें हुये गौमूत्र को महाजीवामृत में मिलाये ।

इस विधि से तैयार महाजीवामृत सामान्य जीवामृत से हजार 1000++ गुना अधिक असरकारक एवं पैदावार में भरपूर वृद्धि प्रदायक सिद्ध हुआ हैI

प्रयोग विधि

■किसान भाई जीवामृत को कई प्रकार से अपने खेतों मे प्रयोग कर सकते है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है फसल में पानी के साथ जीवामृत देना जिस खेत में आप सिंचाई कर रहे हैं उस खेत के लिए पानी ले जाने वाली नाली के ऊपर ड्रम को रखकर वाल्व की सहायता से जीवामृत पानी मे डाले धार इतनी रखें कि खेत में पानी लगने के साथ ही ड्रम खाली हो जाए। 

■जीवामृत पानी में मिलकर अपने आप फसलों की जड़ों तक पहुँचेगा। इस प्रकार जीवामृत 21 दिनों के अंतराल पर आप फसलो को दे सकते है। इसके अलावा खेत की जुताई के समय भी जीवामृत को मिट्टी पर भी छिड़का जा सकता है। किसान भाई इस तरल जीवामृत का फसलो पर छिड़काव भी कर सकते है। 

■फलदार पेड़ो के लिए पेड़ों दोपहर 12 बजे के समय पेड़ो की जो छाया पड़ती है उस छाया के बाहर की कक्षा के पास 1.0-1.5 फुट पर चारों तरफ से नाली बनाकर प्रति पेड़ 2 से 5 लीटर जीवामृत महीने में दो बार पानी के साथ दीजिए। जीवामृत छिडकते समय भूमि में नमी होनी चाहिए।

■जीवामृत का प्रयोग किसान भाई गेहूँ, मक्का, बाजरा, धान, मूंग, उर्द, कपास, सरसों,मिर्च, टमाटर, बैंगन, प्याज, मूली, गाजर आदि फसलो के साथ ही अन्य सभी प्रकार के फलदार पेड़ों में कर सकते हैं। इसका कोई नुकसान नही है।

इसें हर किसान स्वयं तैयार करें।

समय का सदुपयोग करें।

धन की बचत करें ।

मानव - धरती माँ एवं पर्यावरण के लिए जहरीले एवं जानलेवा घातक यूरीया URIA,डीएपी DAP , केमीकल Pestiside के व्यर्थ खर्च से बचें।

जन-धन की हानि से बचें।

स्वस्थ रहे -तंदुरुस्त रहे ।

आत्म निर्भर बने।
औरों को भी आत्मनिर्भर बनने में सहायक बनें ।

"गौरक्षा से सबकी सुरक्षा"

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साभार
कृषि का ऋषि विज्ञान समूह
तकनीक प्रचारक
हम कृषकों तक तकनीक पहुंचाते हैं


"मुक्ति मिलेगी फसल को हर कीट और बीमारी से,
जब सम्पर्क करोगे ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकरी से।"




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