रोग नियंत्रण:-केले के पौधे में लगे "सिगाटोका" रोग तो ये करे उपाय
केले की फसल को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले रोगों में से एक है सिगाटोका रोग। इस रोग को लीफ स्पॉट या लीफ स्ट्रीक भी कहते हैं। केले की फसल को इस हानिकारक रोग से बचाने के लिए इस रोग का लक्षण एवं इससे बचने के तरीकों की जानकारी होना आवश्यक है।
आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक रोग के लक्षण और रोग के निवारण के उपाय बताएंगे।
सिगाटोका रोग के लक्षण
इस रोग के शुरुआत में केले के पत्तों पर पीले रंग के अंडाकार धब्बे बन जाते हैं। धीरे - धीरे इन धब्बों की संख्या एवं आकार में वृद्धि होने लगती है। धब्बों का रंग पीला से गहरा भूरा में बदल जाता है। रोग का प्रकोप अधिक होने पर पत्ते सूखने लगते हैं।इस रोग से ग्रस्त पौधों के फल भी आकार में छोटे रह जाते हैं।समय से पहले फल पक जाते हैं और फलों की गुणवत्ता कम हो जाती है।
रोग से बचाव के उपाय
इस रोग से प्रभावित क्षेत्रों से केले की खेती के लिए
■ कंद एकत्र न करें।
■ खेत से खरपतवार को नष्ट कर दें।
■ केले की खेत में जल जमाव न होने दें।
जैविक नियंत्रण
ट्राइकोडर्मा एट्रोविरिडे पर आधारित जैविक-फंजीसाइड
में रोग को नियंत्रित करने की क्षमता होती है और खेत में संभावित उपयोग करने के लिए इनकी जाँच की जा रही है। जहाँ छंटाई की गई है वहाँ बोर्डो स्प्रे के प्रयोग से पौधे के इन हिस्सों तक रोग के प्रसार को रोका जा सकता है।
रसायनिक नियंत्रण
■Name : Chlorothalonil 75% WP
Dose : 25-30 gm/pump
■Name : Azoxystrobin 23% SC
Dose : 200ml/Acre 15, ml/pump
■Name:Azoxystrobin11% +Tebuconazole 18.30% SC
Dose : 1-1.5g/liter
किसी भी एक दवा के साथ मे sil G 3 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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