जैविक खेती :- आइए जाने नई तकनीक कैप्सूल कल्चर के बारे में।
अधिकांश मानवीय बीमारियों का कारण जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ कृषि में उपयोग हो रहे रसायन भी हैं। इनमें मुख्य रूपसे मानव द्वारा उपयोग की जाने वाली विषाक्त सब्जियां,अनाज एवं फल हैं जिनकी सुरक्षा हेतु अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है। इन उर्वरकों के प्रयोग से भूमि काफी कठोर होती जा रही है और भूमि में जीवाणुओं की संख्या काफी कम होती जा रही है इसके अलावा रासायनिक उर्वरक अत्यधिक महगे होने के कारण किसानों को इन पर अत्यधिक खर्च करना पड़ता है। रसायनिक उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग से फसलों, सब्जियों व फलों की गुणवत्ता पर भी विपरीत असर पड़ता है।
इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आज की कड़ी में श्री ताराचंद बेलजी (गुरुजी) आपको एक नई तकनीक कैप्सूल कल्चर के बारे में बता रहे है जो कि जैविक खेती करने वाले कृषको के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी।
🌱💊 कैप्सूल कल्चर 💊🌱
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भारतीय कृषि अनुशंधान परिषद (ICAR) की एक संस्था IISR केरला ने कल्चर को कैप्सूल में भरकर देने की एक नई तकनीक विकसित की है।
एक ग्राम के कैप्सूल में जीवाणुओं के कॉलोनियों की सँख्या 20 खरब तक है (2गुना 10 घाते 12 C.F.U)
इसकी सेल्फ लाइफ डेढ़ वर्ष की बताई गई है।
अभी तक जीवाणुओं को टेलकम पाउडर में या तरल रूप में दिया जाता रहा है।
टेलकम पाउडर में जीवाणुओं की संख्या 20 लाख तक होती है सेल्फ लाइफ 6 माह की होती है।
तरल जीवाणु खादों में 2 करोण तक होती है और सेल्फ लाइफ 1 वर्ष होती है।
इस हिसाब से 1 कैप्सूल कल्चर के किलो पावडर कल्चर के बराबर होता है।
जीवणुओ को सुरक्षित लाना ले जाना व सुरक्षित रखना भी एक बहुत बड़ी समस्या थी।
किसी भी प्लास्टिक में रखा तरल पानी 2 घण्टे की धूप में कितना गरम हो जाता है हमने अनुभव किया होगा।
तरल को ट्रांसपोर्ट से भेजना भी एक समस्या थी।
इन सब समस्याओं का हल मुझे कैप्सूल कल्चर में दिख रहा है।
4 माह पहले मुझे जब इसकी जानकारी लगी तो मैंने एक केप्सूल से 1 ट्राली गोबर को डिकम्पोज किया है उसका परिणाम भी आपको भेजता हूँ।
मुझे यह अभी तक कि सबसे सुरक्षित और सस्ती तकनीक समझ मे आया है।
कैप्सूल में होने से जीवणुओ को कोरियर से भेजना भी अब आसान हो जाएगा।
डिकम्पोजर कैप्सूल का मुझे बहुत अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ है।
इन सब कारणों से इसकी अनुशंसा भी कर रहा हूँ।
और
प्रयाश कर रहा हूँ कि इसके वितरण विक्रय का कार्य किसानों की कम्पनियों (FPO) को मिले।
ताकि मिट्टी को पुनः जीवाणुयुक्त करने में सरलता सहजता हो।
वीडियो को देखकर समझे कैप्सूल कल्चर के बारे में।
साभार
ताराचन्द बेलजी
कनई
जैविक जीवन शैली विज्ञान मिशन
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