औषधि ज्ञान:- केवांच सिर्फ खुजली वाला पौधा नही है, इसमे है कई "औषधीय गुण"
केंवाच की मुख्यतः दो प्रजातियां होती हैं। एक प्रजाति जो जंगलों में होती है। इस पर बहुत अधिक रोएं होते हैं, जबकि दूसरी प्रजाति की खेती की जाती है। दूसरी प्रजाति में कम रोएं होती हैं।
जंगली केंवाच पर घने और भूरे रंग के बहुत अधिक रोएं होते हैं। अगर यह शरीर पर लग जाए तो बहुत तेज खुजली, जलन होने लगती है। इससे सूजन होने लगती है। केंवाच की फलियों के ऊपर बन्दर के रोम जैसे रोम होते हैं। इससे बन्दरों को भी खुजली उत्पन्न होती है। इसलिए इसे मर्कटी तथा कपिकच्छू भी कहा जाता है। केवांच की दोनों प्रजातियां ये हैंः-
1.केंवाँच (Mucuna pruriens (Linn.) DC.
जंगली केवाँच या काकाण्डोला (Mucunamonosperma Wight.)
यहां कौंच से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Kaunch in hindi) में लिखा गया है ताकि आप कौंच से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में केवांच के नाम (Name of Kevanch (Kaunch) in Different Languages)
केवांच का वानस्पतिक नाम Mucuna pruriens (Linn.) DC. (म्युक्युना प्रुरिएन्स) Syn-Mucuna prurita (Linn.) Hook. है। यह Fabaceae (फैबेसी) कुल का है। केवांच को देश या विदेश में अनेक नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-
Kevanch in –
Hindi (kaunch in hindi) – केवाँच, कौंच, कौंछ, केवाछ, खुजनी
English – हॉर्स आई बीन (Horse eye bean), वेल्वट बीन (Velvet bean), काउहेज (Cowhage), Common Cow itch (कॉमन कॉउ इच)
Sanskrit – कपिकच्छू, आत्मगुप्ता, मर्कटी, अजहा, कण्डुरा, प्रावृषायणी, शूकशिम्बी, वृष्या, कच्छुरा, व्यङ्गा, दुस्पर्शा
Oriya – कचु (Kachu), अलोकुशी (Alokushi)
Urdu – कवाँचा (Kavancha)
Kannada – नासुगन्नी (Nassuganni)
Gujarati – कवच (Kavatch), कौंचा (Kauncha)
Tamil – पुनैईककल्लि (Punaikkali)
Telugu – पिल्लीयाडगु (Pilliyadagu)
Bengali – अकोलशी (Akolshi), अलकुशा (Alkusha)
Nepali – काउसो (Kauso)
Punjabi – कवांच(Kawanch), कूंच (Kunch)
Marathi (kaunch beej in marathi) – खाज कुहिली (Khaz kuhili), कुहिली (Kuhili), कवच (Kavacha)
Malayalam – नेक्कुरन (Neckuran)
Arabic – हबुलकुलई (Habulkulai)
Persian – अनारेघोराश (Anareghorash)
केवांच (कौंच) के फायदे और उपयोग (Kevanch (Kaunch) Benefits and Uses)
केवांच के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
कब्ज की समस्या में कौंच के फायदे (Kaunch Benefits in Fighting with Constipation)
केवाँच (कौंच) के पत्ते का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
सिर दर्द में कौंच (केवांच) के फायदे (Kevanch Benefits in Relief from Headach)
केवाँच (कौंच) की पत्तियों को पीसकर सिर पर लगाने से सिर दर्द से राहत मिलती है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
स्नायु रोग में केवांच के लाभ (Kaunch Benefits to Cure Nervous System)
1 ग्राम कौंच की जड़ के चूर्ण का सेवन करें। इससे स्नायु रोग ठीक होता है।
सांसों की बीमारी में केवांच के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Kevanch (Kaunch) in Respiratory Disease)
1-2 ग्राम केवाँच (कौंच) के बीज के चूर्ण को मधु तथा घी के साथ मिलाकर चाटने से सांसों की बीमारी में लाभ मिलता है।
केवांच (कौंच) के सेवन से दस्त का इलाज (Benefits of Kevanch (Kaunch) to Stop Diarrhea)
बराबर मात्रा में बला, बड़ी कटेरी, शालपर्णी, केवाँच मूल (कौंच की जड़) तथा मुलेठी का पेस्ट बना लें। इसको घी में पका लें। घी की 5 ग्राम मात्रा में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे शूल वाले दस्त में लाभ मिलता है।
केवांच (कौंच) के सेवन से पेचिश का इलाज (Benefits of Kevanch (Kaunch) to Stop Dysente)
5-10 ग्राम केवाँच की जड़ के पेस्ट को तण्डुलोदक (चावल के धोवन) के साथ पिएं। इससे पेचिश ठीक होती है।
केवाँच (कौंच) के जड़ से बने क्षीर को पका लें। इसे 20-40 मिली की मात्रा में पीने से वात दोष के कारण होने वाली दस्त में लाभ होता है।
जलोदर रोग में केवांच के फायदे (Kevanch Benefits in Ascites Treatment)
केवाँच के जड़ को पीसकर पेट पर लगाने से जलोदर रोग में लाभ होता है। इस उपाय को करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
किडनी विकार में केवांच (कौंच) के औषधीय गुण से लाभ (Kevanch Uses for Kidney Disorder)
केवाँच (कौंच) के जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में पीने से किडनी विचार, पेशाब से संबंधित समस्या (मूत्र रोग) और हैजा में लाभ होता है।
डायबिटीज में केंवांच (कौंच) के औषधीय गुण से लाभ (Kevanch Benefits in Controlling Diabetes)
कौंच के बीजों को छाया में सुखा लें। इसे पीस लें और 5 ग्राम बीज के चूर्ण को दूध में पकाकर पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।
लकवा (पक्षाघात) में केवांच के औषधीय गुण से फायदा (Kevanch Uses in Fighting with Paralysis)
बराबर मात्रा में उड़द, केवाँच के बीज (कौंच बीज), एरण्ड की जड़ तथा बलामूल का काढ़ा (10-30 मिली) बना लें। इसमें हींग तथा सेंधा नमक मिलाकर पीने से लकवा (पक्षाघात) में बहुत लाभ होता है।
केवाँच की जड़ तथा झिंझिणिका (जिंगना) के पत्ते के रस को 1-2 बूंद नाक में डालें। इससे ग्रीवा, बाहु (भुजा या कंधे से लेकर कोहनी तक) के रोग ठीक होते हैं।
एक माह तक नियमित केवाँच के बीज के रस (10-20 मिली) को पीने से अवबाहुक रोग ठीक होता है।
बराबर भाग में गूलर, केवाँच की जड़ तथा झिंझिणिका (जिंगना) के रस में हींग मिला लें। इसकी 1-2 बूंद नाक में डालने से अवबाहुक रोग में लाभ होता है।
केवाँच के रस को पिलाने से अवबाहुक रोग मिटता है।
मूत्र विकार (पेशाब से संबंधित रोग) में केवांच के बीज से लाभ (Kevanch Benefits for Treating Urinary Disease)
1-2 ग्राम कौंच के बीज (कौंच बीज) के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करें। इससे मूत्र विकारों (पेशाब संबंधित रोग) में लाभ होता है। इससे शरीर स्वस्थ (kaunch beej benefits) बनता है।
योनि के ढीलेपन की समस्या में कौंच के फायदे (Kevanch is Helpful in Vaginal Laxity )
केवाँच की जड़ के काढ़ा बना लें। इससे योनि को धोने तथा पिचु धारण करने से योनि के ढीलेपन की समस्या ठीक होती है।
कौंच के बीज से ल्यूकोरिया का इलाज (Kaunch Benefits for Leucorrhea)
1-2 ग्राम केवाँच की बीजों को खाएं। इससे ल्यूकोरिया ठीक हो जाता है। किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
मासिक धर्म विकार में कौंच के बीज से लाभ (Benefits of Kevanch for Menstrual Disorder )
क्रौंच के बीजों (कौंच बीज) की खीर बनाकर खिलाने से मासिक धर्म विकार में लाभ होता है।
Kevanch beenfits in Menstrual Disorder--
घाव सुखाने के लिए कौंच के बीज फायदेमंद (Kevanch (Kaunch) for Wound Healing)
केवाँच के पत्ते को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
कौंच के बीज का सेवन बढ़ती उम्र को रोके (Kevanch Beneficial to Decrease Age Related Problem)
कौंच के बीज का चूर्ण बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मदद करता है क्योंकि इसमें एंटी एजिंग का गुण पाया जाता है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार इसमें बल्य का गुण होने से यह बढ़ती उम्र के कारण आयी कमजोरी को भी दूर करने में मदद करता है।
पुरुष बांझपन को दूर करने में फायदेमंद कपिकच्छु बीज (Benefit of Kevanch in Impotency)
पुरुष के बांझपन की समस्या में कौंचबीज का सेवन फायदेमंद होता है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार इसमें वाजीकरण का गुण पाया जाता है जिससे ये पुरुष की अंदरुनी कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।
मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद कौंच के बीज (Kevanch Seed Beneficial to Boost Mental Health)
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में कौंच बीज का पाउडर का उपयोग फायदेमंद होता है क्योंकि कौंच बीज का चूर्ण टॉनिक की तरह काम करता है।
कामशक्ति (सेक्सुलअल स्टेमना) बढ़ाने के लिए कौंच के बीज फायदेमंद (Kevanch Increases Sexual Stamina)
2 ग्राम कौंच के बीज के चूर्ण में 1 ग्राम गोखरू के बीज का चूर्ण तथा 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ खाने से कामशक्ति बढ़ती है।
बराबर मात्रा में केवाँच के बीज (kaunch ke beej), गोक्षुर, अपामार्ग बीज, छिलका-रहित जौ तथा उड़द को लें। इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में लेकर गाय के दूध में मिलाकर या पकाकर सेवन करें। इससे सेक्सुअल स्टेमना में बढ़ोतरी होती है।
केवाँच बीज (कौंच बीज) तथा तालमखाना के (2-4 ग्राम) चूर्ण में शर्करा मिला लें। इसे तााजे दूध के साथ सेवन करें। इससे शुक्राणु रोग ठीक होता है।
20-30 मिली उड़द के सूप में 1-2 ग्राम केवाँच बीज का चूर्ण मिलाकर पीने से कामशक्ति बढ़ती है।
2 ग्राम कौंच बीज तथा 2 ग्राम गोखरू में बराबर भाग मिश्री मिलाकर पीस लें। इसकी 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद तथा दूध के साथ खिलाने से कामशक्ति में बढ़ोतरी (kaunch beej benefits) होती है।
और पढ़ें: तालमखाना के फायदे।
बिच्छू के डंक मारनरे पर कौंच के बीज फायदेमंद (Kevanch is Helpful in Scorpion Bite)
केवाँच के बीज (कौंच बीज) को पीस लें। इसे बिच्छू के डंक वाले स्थान पर लगाने से बिच्छू का विष उतरता है।
केवांच के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Kevanch (Kaunch)
आप कौंच के इन भागों का इस्तेमाल कर सकते हैंः-
■कौंच के बीज
■कौंच की जड़
■कौंच की फलियों पर रहने वाले रोम
कौंच के बीज का सेवन कैसे करें? (How to Use Kaunch?)
कौंच का इस्तेमाल इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-
कौंच के बीज का चूर्ण :- 3-6 ग्राम
कौंच की जड़ का काढ़ा – 20-50 मिली
कौंच के रोम का चूर्ण – 125 मिग्रा
यहां कौंच से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है ताकि आप कौंच से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में कौंच का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
कौंच के बीज के नुकसान (Side Effect of Kevanch(Kaunch)
कौंच के इस्तेमाल से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-
कौंच के बीजों का प्रयोग शोधन के बाद करना चाहिए।
इसकी फलियों पर लगे हुए रोम बहुत अधिक खुजली करते हैं। इसलिए इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
केवांच कहां पाया या उगाया जाता है?
केवांच (कौंच) की लता मैदानी इलाकों में पाई जाती है। यह हिमालयी क्षेत्रों में भी मिलती है। भारतवर्ष के सभी मैदानी भागों में तथा हिमालय में 1000 मीटर की ऊँचाई तक केवांच मिलती है। कई स्थानों पर इसकी खेती भी की जाती है।
साभार
ZBNF
केवांच अगर किसान भाई लगाना चाहते है तो सम्पर्क करें।
दीनबंधु यादव
मो.+91 75871 69372
गांव:-उमरगांव (बी)
जिला कोंडागाँव
राज्य-छत्तीसगढ़
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