रोचक:-हमारे देश मे पाई जाती है एक ऐसी लकड़ी जो इंटरनेशनल मार्केट में 2 से 40 लाख प्रति किलो की दर से बिकती है।
रोचक:- हमारे देश मे पाई जाती है एक ऐसी लकड़ी जो इंटरनेशनल मार्केट में 2 से 40 लाख प्रति किलो की दर से बिकती है।
अगर
गोंद युक्त है यह लकड़ी
दुनिया की सबसे दुर्लभ बेशकीमती गोंद युक्त लकड़ी है अगर जिसका इंटरनेशनल मार्केट में प्राइस दो लाख से लेकर ₹40 लाख प्रति किलो तक है|
तेल की कीमत भी करोड़ो में है।
इसके तेल की कीमत करोड़ों रुपए लीटर में है क्वालिटी के मुताबिक|
इन स्थानों में मिलते है अगर के पेड़
दुनिया में केवल अगर के पेड़ भारत इंडोनेशिया वियतनाम में ही पाए जाते हैं भारत में नॉर्थ ईस्ट राज्य मिजोरम असम में अगर के मात्र कुछ सैकड़ों पेड़ ही बचे हैं।International Union फोर नेचर कंजर्वेशन के मुताबिक अगर का पेड़ संकटग्रस्त है| जंगलों के तस्कर बेशकीमती लकड़ी की खोज में कम उम्र के पेड़ को ही काट गिराते हैं क्योंकि अगर पेड़ के अंदरूनी तने के मध्य भाग में बनती है यह केवल खास फफूंदी से संक्रमित पेड़ में ही बनती है ऐसे में अगर मिलने की संभावना मात्र केवल 2 से 3% होती है|
आयुर्वेद में है खास महत्त्व
अगर कि यह संक्रमित लकड़ी आयुर्वेद में बहुत ही गुण वर्धक मानी गई है मानसिक रोगों में बहुत ही सुगंधित यह लकड़ी होती है जलाने पर इसकी सुगंध सैकड़ों किलोमीटर में फैल जाती है मात्र कुछ ग्राम लकड़ी जलाने से|
अगरबत्ती शब्द इसी अगर की लकड़ी से बना है सदियों से मिश्र अरब वाले भारत से इस लकड़ी को ले जाते रहे हैं आज भी 80 फ़ीसदी मार्केट अगर कि सऊदी अरब दुबई के बाजार में ही है। दुबई के शेख अपने कार्यालय में आलीशान घरों में इसी अगर की लकड़ी को जलाते हैं। बौद्ध मठों में भी अगर की लकड़ी जलाई जाती है सुगंध मानसिक प्रसन्नता के लिए कहा जाता है गौतम बुध का अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ियों के बजाय अगर की लकड़ियों से ही किया गया था। इस्लाम , ईसाइयत में अगर को जलाना बहुत ही पवित्र माना गया है | दुनिया की अपेक्षा लाखों वर्ष पूर्व हमारे ऋषि मुनि पूर्वज अगर की खूबियों से वाकिफ थे वह हवन सामग्री में अगर की सुगंधित लकड़ी का इस्तेमाल करते थे।| महाभारत ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र आयुर्वेद के ग्रंथों में अगर की लकड़ी का चंदन से पहले उल्लेख मिलता है विविध प्रयोगों में| अगर की बहुत ही ज्ञात अज्ञात खूबियों के कारण यह दुनिया में आज भी सर्वाधिक सर्वोच्च बेशकीमती लकड़ी बनी हुई है इसकी मांग इसके उत्पादन से लाखों गुना अधिक है... अब कृत्रिम तौर पर इस लकड़ी का उत्पादन किया जा रहा है अगर के स्वस्थ पेड़ को अप्राकृतिक तौर पर संक्रमित कर... लेकिन प्राकृतिक अगर की गुणवत्ता अलग ही होती है...| दुनिया में दक्षिण पूर्वी एशिया में अगर के पेड़ की 15 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें सर्वाधिक उत्तम भारत के उत्तर पूर्वी राज्य कि अगर के पेड़ से प्राप्त अगर मानी जाती है|
सभी पेड़ो में यह लकड़ी नही बनती
खास बात यह है एकवूलेरिया नामक पेड़ के अंदरूनी तने के भाग से प्राप्त यह लकड़ी केवल पेड़ के दो या तीन प्रतिशत हिस्से में ही बनती है। अगर के स्वस्थ पेड़ से यह प्राप्त नहीं होती एक खास फफूंदी से पेड़ संक्रमित होता है या पेड़ पर किसी दुर्घटना से कट लगता है पेड़ की रोग प्रतिरोधक क्षमता खास पदार्थ रेसीन अर्थात गोंद का निर्माण करती है तब काली हल्की पपड़ी दार यह लकड़ी निर्मित होती है। अगर कि 1000 पेड़ों में से मात्र 10 या 20 पेड़ों में ही यह लकड़ी बनती है|
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