सावधान-धान में ब्लास्ट के साथ-साथ ये कीट भी लग सकते है कृषक रहे सावधान
छत्तीसगढ़ राज्य धान के कटोरे के रूप में जाना जाता है यहां अधिकांशतः कृषक धान की की खेती करते है आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर ने बताया कि अगस्त माह में धान की फसल में ब्लास्ट रोग का खतरा शुरू हो जाता है। पत्तों पर धब्बे दिखाई दें तो समझ लें कि रोग की शुरुआत हो चुकी है। धीरे-धीरे यह रोग पूरी फसल को अपनी चपेट में ले लेता है। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि इस रोग का शुरू में ही इलाज हो सकता है, बढ़ने के बाद इसको रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि किसान रोजाना अपनी फसल की जांच करें और धब्बे दिखाई देने पर तुरंत दवाई का छिड़काव करे।
लक्षण
धान की फसल में झुलसा (ब्लास्ट) का प्रकोप देखा जा रहा है। इस रोग में पौधों से लेकर दाने बनने तक की अवस्था में मुख्य पत्तियों, बाली पर आंख के आकार के धब्बे बनते हैं, बीच में राख के रंग का तथा किनारों पर गहरे भूरे धब्बे लालिमा लिए हुए होते हैं। कई धब्बे मिलकर कत्थई सफेद रंग के बड़े धब्बे बना लेते हैं, जिससे पौधा झुलस जाता है।
अपनाए ये उपाय
जैविक नियंत्रण
- इस रोग के प्रकोप वाले क्षेत्रों में बार-बार एक ही प्रजाति न उगाएं।
- रोग प्रतिरोधी या सहनशील किस्मो का चयन करे दंतेश्वरी, कर्मा मासुरी, इंदिरा राजेश्वरी, चंद्रहासिनी।
- पौधे ऐसी जगह न बोए जहा पिछली फसल के अवषेश पड़े हों या जहां छाया रहती हो।
- नाइट्रोजन खाद का प्रयोग अधिक न करें तथा रोपाई के 40 दिन बाद तो बिल्कुल न दें।
- खेतों में पानी लगातार न लगाए रखें।
- बीमारी वाले खेतों का पानी स्वस्थ खेतों में न लगाएं।
- बीज का उपचार अवश्य करें।
विशेष सलाह
रोग लगने की शुरुआती अवस्था मे 100 ग्राम फिटकरी व 100 ग्राम सेंधानमक को तवे में भून लेंवे।ततपश्चात पीस लेंवे।
फिर 200 लीटर पानी मे मिलाकर स्प्रे करें।
रसायनिक नियंत्रण
ट्राइसायक्लाजोल 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी 150 ग्राम या आइसोप्रोथोलिन 300 मिली या 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए।
ब्लास्ट के साथ तनाछेदक और लीफ फोल्डर है तो क्या करे
तना छेदक
इसके लिए आप निम्न कीटनाशकों को उपयोग में लाये।
Flubendiamide 3.5% +
Hexaconazole 5% WDG
या
Fipronil 5% + Isoprothaline 28% EC।
Dose /मात्रा:
2ml/लीटर + 2ml *सील जी* /लीटर ।
ब्लास्ट के साथ foot rot पाद गलन या ब्लैक root rot एवं जीवाणु जनित झुलसा
इसके उपचार के लिए आप
■स्ट्रेप्टोसाक्लीन 12 ग्रा.+ वेलिडामाईसीन 400 मि ली + SIL G 200 ml को प्रति एकड़ के हिसाब से ।
■500 ग्राम (कार्बेंडाजीन +मेंकोजेब) + 500 ग्राम Root H को यूरिया या कम्पोस्ट खाद के साथ कोटिंग करके जमीन में प्रति एकड़।
■जरवानी छिपछिपा 2 से 3 सेंटीमीटर पानी का स्तर रखे।
अगर ब्राउन स्पॉट लगा हो तो
इसके उपचार के लिए आप
■स्ट्रेप्टोसाक्लीन 12 ग्रा.+वेलिडामाईसीन 400 मि ली +SIL G 200 ml को प्रति एकड़ के हिसाब से ।
■500 ग्राम (कार्बेंडाजीन +मेंकोजेब) + 500 ग्राम Root H को यूरिया या कम्पोस्ट खाद के साथ कोटिंग करके जमीन में प्रति एकड़।
जैविक उपाय
1.ताम्रयुक्त छास 5 लीटर/एकड़
2.स्यूडोमोनास 1लीटर /एकड़
3.ताजा गोबर घोल 10kg:100लीटर पानी
■जरवानी छिपछिपा 2 से 3 सेंटीमीटर पानी का स्तर रखे।
Result जरूर शेयर करें।
Comments