पञ्चगव्य में 5 चीजे और मिलाकर बनाये समृद्ध पंचगव्य या (दशगव्य) जो भूमि और फसल के लिए संजीवनी का काम करेगी।
समृद्ध पंचगव्य या (दशगव्य)
किसान भाई जो कि जैविक खेती करते है वे पंचगव्य से भलीभांति परिचित है,जैविक खेती में पञ्चगव्य का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।
प्राचीन काल से ही भारत जैविक आधारित कृषि प्रधान देश रहा है। हमारे ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख किया गया है। पंचगव्य का अर्थ है पंच+गव्य (गाय से प्राप्त पाँच पदार्थों का घोल) अर्थात गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, और घी के मिश्रण से बनाये जाने वाले पदार्थ को पंचगव्य कहते हैं। प्राचीन समय में इसका उपयोग खेती की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने के साथ पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता था। इसे समय के साथ साथ थोड़ा और समृद्ध बनाने हेतु कुछ अन्य चीजों को मिला कर एक समृद्ध पंचगव्य या (दशगव्य) बनाया जा सकता है। जिसकी विधि आज की कड़ी में हम आपको बताएंगे जो कि कृषको के लिए अत्यंत उपयोगी और लाभकारी है।
विशेषतायें
i. भूमि में जीवांशों (सूक्ष्म जीवाणुओं) की संख्या में वृद्धि
ii. भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि
iii. फसल उत्पादन एवं उसकी गुणवत्ता में वृद्धि
iv. भूमि में हवा व नमी को बनाये रखना
v. फसल में रोग व कीट का प्रभाव कम करना
vi. स्थानीय संसाधनों पर आधारित
vii. सरल एवं सस्ती तकनीक पर आधारित
आवश्यक सामग्री
- पाँच किलो गाय का गोबर,
- तीन लीटर गौ-मूत्र,
- दो लीटर गाय का दूध,
- दही दो लीटर,
- एक किलो गाय का देशी घी,
- तीन लीटर गन्ने का रस,
- तीन लीटर कच्चे नारियल का पानी,
- 12 केलों को मसलकर तैयार पेस्ट
- अंगूर का रस 1 लीटर।
- ताड़ी का रस 1 लीटर।
निर्माण विधि:-
एक पात्र में गाय का गोबर और देशी घी में मिलाकर तीन दिनों तक सड़ने के लिए रख दें। बीच- बीच में इसे हिलाते रहना जरूरी है। चौथे दिन उपरोक्त सभी चीजें इसमें मिला दें और 15 दिनों के लिए (प्रतिदिन दो बार हिलाना जरूरी है) सड़ने को रख दें 18वें दिन यह तैयार हो जाएगा। गन्ने के रस के स्थान पर 500 ग्राम गुड़ 3 लीटर पानी के साथ मिलाकर उपयोग किया जा सकता है या यीस्ट पाउडर को 100ग्रा. गुड़ और दो लीटर गरम पानी के साथ मिलाकर में उपयोग कर सकते हैं।
उपयोग विधि
■ छिड़काव हेतु 3 से 4 लीटर दशगव्य को 100 लीटर पानी में मिला लें।
■मृदा (मिट्टी) में डालने हेतु 50 लीटर दशगव्य एक हैक्टेयर के लिए पर्याप्त है। इसे बीजोपचार हेतु भी उपयोग किया जा सकता है।
सावधानियाँ
i. दशगव्य का उपयोग करते समय खेत में नमी का होना आवश्यक है।
ii. एक खेत का पानी दूसरे खेतों में नहीं जाना चाहिए।
iii. इसका छिड़काव सुबह 10 बजे से पहले तथा शाम 3 बजे के बाद करना चाहिए।
iv. दशगव्य मिश्रण को हमेशा छायादार व ठण्डे स्थान पर रखना चाहिए।
v. इसको बनाने के 6 माह तक इसका प्रयोग अधिक प्रभावशाली रहता है।
vi. टीन, स्टील व ताम्बा के बर्तन में इस मिश्रण को नहीं रखना चाहिए। इसके साथ रासायनिक कीटनाशक व खाद का उपयोग नहीं करना चाहिए।
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