भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने जारी की सोयाबीन की खेती करने वाले कृषको के लिए समसामयिक सलाह (24 से 30 अगस्त 2020 तक)
समसामयिक सलाह - भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने जारी की सोयाबीन की खेती करने वाले कृषको के लिए समसामयिक सलाह (24 से 30 अगस्त 2020 तक)
कोरोना वायरस की स्थिति कृषि कार्य बाबत सावधानियाँ:
■ कृषि कार्य करते समय 4 से अधिक व्यक्तियों को इकट्ठा ना होने दें तथा उनके बीच 2 मीटर की पर्याप्त दूरी रखें। बुखार / सर्दी खांसी की स्थिति में अपने खेतों पर काम कर रहें श्रमिक / व्यक्तियों को चिकित्सकीय परामर्श की सलाह दें।
■ कोरोना वायरस से सुरक्षा हेतु अपने चेहरे पर मास्क/गमछा/रूमाल/कपड़ा लगाएं तथा हाथों में मौजे/ ग्लब्स लगाना अनिवार्य करें। कृषि कार्य करते समय मादक पदार्थ / तम्बाकू का सेवन ना करें। समय-समय पर 20 सेकंड तक अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह धोंये।
सोयाबीन कृषकों के लिए साप्ताहिक सलाह:
■ कृषकों को सलाह है कि अधिक वर्षा के कारण जल भराव की स्थिति से होने वाले नुकसान को कमकरने हेतु शीघ्रातिशीघ्र जल निकासी की व्यवस्था करें।
■अधिक वर्षा के कारण कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल में फफूंदजनित एन्थ्रेकनोज, राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट तथा राइजोक्टोनिया रूट रॉट नामक बीमारियों का प्रकोप होने की सूचना प्राप्त हुई है। अतः इनके नियंत्रण हेतु सलाह है कि टेबूकोनाझोल (625 मि.ली./है.) अथवा टेबूकोनाझोल + सल्फर (1 कि.ग्रा./है.) अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यू.जी. (500 ग्रा./है.) अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 प्रतिशत ई.सी. (800 मि.ली./है.) से छिड़काव करें।
■कई क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर पीला मोजाइक वायरस बीमारी का प्रकोप देखा गया है। अतःइसके नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही अपने खेत में जगह-जगह पर पीला चिपचिपा ट्रैप लगाएंजिससे इसका संक्रमण फैलाने वाली सफेद मक्खी का नियंत्रण होने में सहायता मिलें। इसके रोकथामहेतु यह भी सलाह है कि फसल पर पीला मोजाइक रोग के लक्षण दिखते ही ग्रसित पौधों को अपनेखेत से निष्कासित करें। ऐसे खेत में सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अनुशंसित पूर्व मिश्रित सम्पर्करसायन जैसे बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रीड (350 मिली./ है.) या पूर्व मिश्रित थायोमिथाक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मि.ली./है.) का छिड़काव करें जिससे सफेद मक्खी के साथ-साथ पत्तीखाने वाले कीटों का भी एक साथ नियंत्रण हो सकें।
■यह देखने में आया है कि कुछ क्षेत्रों में लगातार हो रही रिमझिम वर्षा की स्थिति में पत्ती खाने वाली इल्लियों द्वारा पत्तियों के साथ-साथ फलियों को भी नुकसान पहुँचा रही है जिससे अफलन की स्थिति भी बन रही है। इस प्रकार की फसल में दुबारा फूल एवं फलियों की संभावना होती है। ऐसी स्थिति में फसल की पैदावार (50 से 60 प्रतिशत) लेने हेतु आवश्यकतानुसार सिंचाई करें एवं कीट प्रबंधन के उपाय अपनायें।
अतः कृषकों को सलाह है कि पत्तियाँ खाने वाली इल्लियों के नियंत्रण हेतु संपर्क कीटनाशक जैसे इन्डोक्साकार्ब 333 मि.ली./है. या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सी.एस. 300 मि.ली./है. का छिड़काव करें। कीटनाशक को प्रभावी ढंग से इल्लियों तक पहुंचाने के लिए नैपसेक स्प्रेयर से 500 लीटर या पॉवर स्प्रेयर से 120 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर का उपयोग अवश्य करें। यदि पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ-साथ सफेद मक्खी का प्रकोप हो, तो कृषकों को सलाह है कि नियंत्रण हेतु बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड 350 मि.ली./है. या थायमिथोक्सम + लेम्बड़ा सायहेलोभिन 125 मि. ली./है. का छिड़काव करें।
■सोयाबीन की फसल में नुकसान करने वाले अन्य कीटों के प्रबंधन हेतु अनुशंसित कीटनाशकों की सूची तालिका में दी गई है। कृषकों को सलाह है कि अपने खेत में फसल निरीक्षण के उपरांत पाएं गए कीट विशेष के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशक की मात्रा को 500 लीटर/है. की दर से पानी केसाथ फसल पर छिड़काव करें। छिडकाव हेतु पावर स्प्रेयर का उपयोग किये जाने पर 120 लीटर/हे पानी की आवश्यकता होगी एवं छिडकाव भी प्रभावकारी होगा।
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