08 सूत्र जैविक खेती के, जिसे अपना कर किसान भाई अपने फसलों को कर सकते है रोग और कीट मुक्त
अधिकांश मानवीय बीमारियों का कारण जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ कृषि में उपयोग हो रहे रसायन भी हैं। इनमें मुख्य रूपसे मानव द्वारा उपयोग की जाने वाली विषाक्त सब्जियां,अनाज एवं फल हैं जिनकी सुरक्षा हेतु अंधाधुंध रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इन कीटनाशकों के प्रयोग से अत्यधिक प्रयोग से इनके प्रति कीटों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और कुछ प्रजातियों में तो प्रतिरोधक क्षमता विकसित भी हो चुकी है। इसके अलावा रासायनिक कीटनाशक अत्यधिक महगे होने के कारण किसानों को इन पर अत्यधिक खर्च करना पड़ता है। कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से फसलों, सब्जियों व फलों की गुणवत्ता पर भी विपरीत असर पड़ता है। इन वस्तुस्थिति के फलस्वरूप वैज्ञानिकों का ध्यान प्राकतिक एवं जैविक कीटनाशकों एवं रोगनाशकों की ओर गया है जोन केवल सस्ते हैं बल्कि जिनके उपयोग से तैयार होने वाली फसल के किसी प्रकार के रासायनिक दुष्प्रभाव भी नहीं रहते हैं। इसलिए कीट प्रबंधन की पारंपरिक विधियों का उपयोग काफी प्रभावी सिद्ध हो रहा है। आज की कड़ी में हम जैविक खाद ,जैविक कीटनाशक, टॉनिक ,व फफूंदीनाशक दवा के निर्माण की विधि बता रहे है जिसकी सहायता से किसान भाई जहरमुक्त खेती कर सकेंगे।
1. जीवामृत कैसे बनाएँ
■ देशी गाय (साथ में देसी बैल, भैंस मिश्रित गोबर 10 किलो)
■ देसी गाय का गोमूत्र (साथ में देसी बल, भैंस मिश्रित 5 से 10 लीटर)
■ गुड़ 1 किलो या 2 लीटर गन्ने का रस या 1 लीटर नारियल पानी।
■ मूग या उड़द या तुअर या चने का आटा 1 से 2 किलो।
■ खेतों के मेढ़ की मुट्ठी भर मिट्टी उस में डालें।
■ पानी 200 लीटर
इस मिश्रण को 2 या 3 दिन छांव में किण्वन क्रिया के लिए रखना है। दिन में 2 बार लकड़ी से घड़ी की सुई जिस दिशा में घुमती है उस दिशा में बायें से दायी ओर चक्राकर 2 मिनट के लिए घोलना है। उसे 48 घण्टे के बाद सिंचाई के साथ डालें ।
प्रान्त अध्यक्ष सी. पी. मिश्रा (छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि स्नातक अधिकारी संघ) द्वारा किसानों को जीवामृत निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया।
2. बीजामृत कैसे बनाएँ
■ 5 किलो देशी गाय का गोबर
■ देसी गाय का गोमूत्र (साथ में देसी बल, भैंस मिश्रित 5 लीटर)
■ चूना 50 से 100 ग्राम लें।
■ पानी 20 लीटर 100 किलो बीज के लिए।
■ खेतों के मेड़ की मुट्ठी भर मिट्टी उस में डालें।
■ इन सभी चिजों को 24 घण्टे के लिए एक साथ पानी में डाल कर रखें। दिन में दो बार घड़ी के अनुसार लकड़ी से घोले। बाद में बीज पर डाल कर अच्छी तरह मिला कर बिजाई करावें।
3. ब्रम्हास्त्र
■ 10 लीटर देसी गाय का गौमूत्र लें।
■ 3 किलो नीम पत्ती कूटकर डालें।
■ 2 किलो करंज पत्ती लें।
■ 2 किलो अकाय पत्ती लें।
■ 2 किलो अमरुद पत्ती लें।
■ 2 किलो पपीता पत्ती लें।
■ 2 किलो अरण्डी पत्ती लें।
■ 2 किलो सफेद धतूरा पत्ती ले। अब इन में से कोई पतीले व किसी पात्र में डालकर 3-4 उबाल आने तक उबाल दें।
48 घण्टे के लिए ठण्डा होने दें, उसके बाद इस मिश्रण को कपड़े से छान ले 100 लीटर
पानी में 3 लीटर मिलाकर छिड़काव करें।
6 माह तक उपयोग कर सकते है।
4. टॉनिक-शक्तीवर्धक दवा
■ 100 ग्राम तिल (काले तिल को प्रथमिकता) पानी में 12 घंटे डुबाए।
■ अगले दिन 100 ग्राम मूंग, 100 ग्राम उड़द, 100 गाम लोबिया, 100 ग्राम मोठ/ मटकी या मसूर, 100 ग्राम गेंहू , 100 ग्राम देसी चने पानी में 12 घंटे डुबोएं फिर निकाल कर कपडे की पोटली में बांध कर टांग दें। 1से.मी.अंकुरण निकलने पर चटनी बनाएँ। जिस पानी में दाने डुबोए है उसे संभालकर रखें । बाद में 200 लीटर पानी लेकर ऊपर वाला पानी एवं चटनी तथा 10 लीटर गोमूत्र डालकर लकड़ी से मिलाकर कपड़े से छानकर 48 घंटे के अंदर छिड़काव करें।
5. घनजीवामृत कैसे बनाएँ।
■100 किलो देशी गाय का गोबर लें।
■ 1 किलो गुड़ लें।
■ 2 किलो किसी भी दाल का आटा लें।
■ खेतों के मेढ़ की मुट्ठी भर मिट्टी उस में डालें।
■ थोड़ा गोमूत्र उसमें डालकर अच्छी तरह मिला लें।
■ 48 घण्टे के लिए सभी मिश्रण को मिला कर बोरी से छाया में ढक दें।
■ 48 घंटे बाद उसको छाए पर सुखाकर चूर्ण बनाकर भंडारण करें।
उपयोग
एक बार खेत जुताई के बाद घनजीवामृत का छिड़काव कर खेत तैयार करें।
6. नीमास्त्र कीटनाशी दवा
■5 किलो नीम पत्ती या 5 किलो नीम फल लें।
■ 5 लीटर गौमूत्र लें।
■ 1 किलो देसी गाय का गोबर लें।
■ 100 लीटर पानी लें।
इन सभी चीजों का पानी में मिलाकर 24 घण्टे रखें। दिन में 3 बार घोलें।24 घण्टे बाद इस मिश्रण को कपड़े से छान लें। और फसल पर छिड़काव करें।
7.अग्नि अस्त्र
■ 20 लीटर गौमूत्र लें।
■ 2 किलो नीम की टहनियाँ पची सहित की चटनी बनाकर डालें।
■ आधा किलो तम्बाकू का पावडर डालें।
■ आधा किलो तीखी हरी मिर्च की चटनी।
■ 250 ग्राम देशी लहसून की चटनी।
अब इसे घोल कर धीरे-धीरे मिलाएँ। ढक्कन से ढककर धीमी आँच पर एक उबाली आने तक गरम करें। इसके बाद डककर ही 48 घण्टे तक छाया में रखें। दिन में 2 वार सुबह शाम 1 मिनट तक घोले। 48 घण्टे बाद कपड़े से छानकर भण्डारण करें। 3 महीने तक उपयोग करें।
8. फंगीसाईड-फफुंदी नाशक दवा
■ 100 लीटर पानी में 3 लीटर खट्टा छाछ (लस्सी) मिलायें और स्प्रे कर।
यह कवक नाशक है। संजीवक है और विषाणु रोधक है।
साभार
सुभाष पालेकर
अमरावती महाराष्ट्र
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