लौकी में लगने वाले फल मक्खी का प्रबंधन कैसे करे?
लौकी की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी बुआई गर्मी एवं वर्षा के समय में की जाती है। यह पाले को सहन करने में बिलकुल असमर्थ होती है। इसकी खेती विभिन्न प्रकार की भुमि में की जा सकती हैं ।किन्तु उचित जल धारण क्षमता वाली जीवांश्म युक्त हल्की दोमट भुमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गयी हैं।लौकी की जूस की मांग पिछले कुछ सालों से काफी बढ़ी हुई है। आयुर्वेद में भी लौकी के जूस का काफी महत्त्व बताया गया है।जिसके कारण लौकी की खेती करने वाले किसानों की संख्या में काफी बढोत्तरी आई है।
आज की कड़ी में हम एक ऐसे कीट के बारे में बात करेंगे जो लौकी के प्रमुख कीटो में से एक है। जिसे किसान भाई फल मख्खी के नाम से जानते है।
लौकी की फल मख्खी
फल मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके अपने अंडे छोटे फलों में दे देती हैं जिससे निकला लार्वा फल को अंदर ही अंदर खाता हैं परिपक्व लार्वा फल छेद करके बाहर निकल जाता है इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैंं।
प्रबंधन के उपाय
■गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
■फल मक्खी को नियंत्रण करने के लिये लौकी के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती हैंं।
■ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
■अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में 1 प्रकाश प्रपंच प्रति एकड़ या फेरो मोन ट्रेप 3 प्रति एकड़ लगाना चाहिये, प्रकाश प्रपंच में मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता हैंं।
■परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
आने से पूर्व बचाव हेतु :-
■नीम का तेल 1000 पीपीएम @ 600 मिली प्रति 200 लीटर पानी प्रति एकड़ का छिड़काव दो बार फूल आने पर करें ।
■ बुआई के समय मेट्रिहिज़ियम ऐनिसोपला 3 किलो प्रति एकड़ 50 किलो गोबर की खाद में मिलाकर जमीन में मिलायें|
जैविक नियंत्रण :-
बेवेरिया बासियाना @ 1 किलो + मेट्रिहिज़ियम ऐनिसोपला 400 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी प्रति एकड़ में मिलाकर छिड़काव करें।
रासायनिक नियंत्रण :-
■ कार्बोफ्यूरान GR 8 किलो प्रति एकड़ अंतिम जुताई के समय खेत में मिलाय|
■डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 500 मिली 200 लीटर पानी प्रति एकड़ में मिलाकर छिड़काव करें।
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