*🤯 भिन्डी का पीला शिरा रोग 🟡*
🍂 भिन्डी का पीला शिरा रोग (यलो वेन मोजैक रोग ):-
इस रोग के कारण 50-90% तक उपज कम हो जाती हैं| 📉
➡️ पत्तियों की शिराएँ पीली दिखाई देने लगती हैं| पीली पड़ने के बाद पत्तियाँ मुड़ने लग जाती हैं|
➡️ इससे प्रभावित फल हल्के पीले, विकृत और सख्त हो जाते है|
➡️ यह रोग सफ़ेद मक्खी के द्वारा फैलता है|
➡️ यह रोग भिंडी की सभी अवस्था में दिखाई देता है|
✅ प्रबंधन:-
1️⃣ ट्रेप फसल के रूप में भिन्डी के बीच में गेंदे के पौधे लगायें|
2️⃣वायरस से ग्रसित पौधों और पौधों के भागों को उखाड़ के नष्ट कर देना चाहिए|
3️⃣ वायरस के प्रति सहनशील किस्मों का चयन करें|
4️⃣ पौधों की वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था में नाईट्रोजन उर्वरकों का अधिक उपयोग ना करें|
5️⃣ जहाँ तक हो सके भिंडी की बुवाई समय से पहले कर दें|
6️⃣ फसल में प्रयोग होने वाले सभी उपकरणों को साफ रखें ताकि इन उपकरणों के माध्यम से यह रोग अन्य फसलों में ना पहुँच पाए|
7️⃣ जो फसलें इस बीमारीं से प्रभावित होती है उन फसलों के साथ भिंडी की बुवाई ना करें|
8️⃣ सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ 10 नीले एवं पीले चिपचिपे प्रपंच स्थापित करें|
📌 आने से पूर्व बचाव हेतु :- नीम का तेल 1000 पीपीएम @ 600 मिली प्रति 200 लीटर पानी प्रति एकड़ का छिड़काव दो बार करे ।
📌 जैविक नियंत्रण :- बेवेरिया बासियाना @ 1 किलो + मेट्रिहिज़ियम ऐनिसोपला 400 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी प्रति एकड़ में मिलाकर छिड़काव करें।
रासायनिक नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी एक कीटनाशक का स्प्रे करें।
📌 इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. @ 100 मिली/एकड़ या थायोमिथोक्सोम 25 डब्लूजी @ 75 ग्राम/ एकड़ या डाईमिथोएट 30% ई.सी. 300 मिली 200 लीटर पानी प्रति एकड़ में मिलाकर छिड़काव करें। छिड़काव शाम के समय ही करें|
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