भिंडी में विल्ट (उकठा रोग ) का प्रबंधन
Dr. Gajendra Chandrakar
Sr.Scientist (IGKV) Raipur
भिंडी की खेती करने वाले किसान भाई सबसे ज्यादा तो यलो वाइन मोजेक नामक बीमारी से परेशान होते है इसके बारे में हमने पिछले लेखों में जानकारी दे दी है। उसके बाद नम्बर आता है "विल्ट" जिसे सामान्य भाषा मे हम उकठा कहते है। यह भी भिंडी के मुख्य रोगों में से एक है और इसकी समस्या दिनों दिन आम होती जा रही है।
अगर आप भी भिंडी की खेती कर रहे है तो आज का लेख आपके लिए ही है।
लक्षण
यह रोग एक फफुद जनित रोग है जो लम्बे समय तक मिटटी मे बने रहते है। शुरूआत मे पौघे अस्थाई रूप से सूखने लगते है तथा बाद मे सक्रमण बढने पर पौधे की लताऐ एवं पतियाँ पीली पडने लगती है तथा कवक पौधे के जड प्रणाली पर आक्रमण करते जिससे पौधे मे जल सवंहन अवरूध्द हो जाता है जिससे पौधे पुर्णत; मर जाते है।
प्रारंभिक अवस्था में पौधा दोपहर के समय अस्थाई रुप से मुरझा जाता है किंतु बीमारी का प्रभाव बढ़ जाने पर पौधा स्थाई रुप से मुरझाकर सूख जाता है। ग्रसित पौधों की पत्तियाँ पीली हो जाती है।
पहचान
ग्रसित पौधों के तने को काटने पर आधार गहरे भूरे रंग का दिखाई देता है।
प्रबंधन के उपाय
■भिण्डी को लगातार एक ही खेत में नहीं उगाना चाहिए।
■फसल चक्र अपनाना चाहिए।
बीजोपचार करे।
■कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 2.5 ग्राम /किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम /किलो बीज से बीज उपचार करे|
जैविक प्रबंधन
■माइकोराइज़ा @ 2 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
■ ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेंचिंग करें |
रसायनिक प्रबंधन
■मेटालेक्ज़ील 30 % WP 250 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेंचिंग करें |
एवं थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम + स्ट्रेप्ट्रोमाइसीन 6 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव स्प्रे करें|
या
■हेक्साकोनजोल 5%EC @250-400 मिलीलीटर/एकड़ स्प्रे करे।
अपने अनुभव अवश्य साझा करें।
जानकारी अच्छी लगी हो तो भिंडी लगाने वाले कृषको तक अवश्य पहुंचाए शेयर करे।
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