जैविक खेती-घर पर जैविक यूरिया कैसे बनाये
यूरिया में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होने के कारण यह मिट्टी में मिलाने पर अमोनिया में आसानी से परिवर्तित हो जाती है, इसलिए यह अधिक केंद्रित नाइट्रोजन उर्वरकों में से एक है। इसे मिट्टी में अकेले प्रयोग किया जा सकता है और फ़सलों पर इसका छिड़काव भी किया जाता है।
यूरिया एक रासायनिक उर्वरक है इसलिए जैविक खेती में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता। परन्तु पौधों और फ़सलों की बढ़ोत्तरी के लिए नाइट्रोजन का अपना महत्वपूर्ण स्थान है और स्वस्थ फसल एवं अच्छी पैदावार की नाइट्रोजन के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
जैविक खेती में नाइट्रोजन की आपूर्ति बायो और जैविक उत्पादों द्वारा पूरा किया जाता है। जैविक खेती करने वाले किसान अधिकतर जैविक उत्पादों को अपने आप ही स्थानीय सामग्री से बनाकर उपयोग करते है।
यहाँ पर हम आपको स्वयं नाइट्रोजन बनाने की एक विधि बताने जा रहे है।
आवश्यक सामग्री:-
■1 किलोग्राम गाजर घांस
■ 5 ग्राम फिटकिरी
■ 10 लीटर वेस्ट डी कम्पोजर
【गाजर घास】
पहले हमें चाहिए एक किलो गाजर घास। हम सभी इसके बारे में जानते है। यह खेतों में और उसके आस पास प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। इसे कांग्रेस घास भी कहा जाता है। इसके पौधे फूल आने से पहले बहुत गहरे हरे रंग के होते है। यह अक्सर सड़क के किनारे या खेतों के आस पास अधिक पायी जाती है।
【 फिटकरी】
दूसरी हमें चाहिए पांच ग्राम फिटकरी। यह साधारणतया पंसारी/किराना की दुकान पर सफ़ेद क्रिस्टल के रूप में मिलती है जिसे अक्सर हम रोगाणुरोधक (antiseptic) के रूप में अपने प्रयोग करते है।
तीसरा हमें चाहिए 10 लीटर वेस्टडीकम्पोजर (Waste Decomposer) का तैयार घोल।
निर्माण विधि:-
■सबसे पहले गाजर घास को बारीक़ काट ले।
■अब एक प्लास्टिक की बाल्टी ले। ध्यान रहे की हमें किसी भी धातु जैसे लोहे अथवा ताम्बे से बानी बाल्टी नहीं लेनी है।
■अब बाल्टी में गाजर घास डाल दे।
■इसके बाद इसमें वेस्ट डेकोम्पोजर डाले।
■फिटकरी को बारीक़ पीसकर इसमें डालें और सभी को अच्छी तरह मिलाये।
■अब बाल्टी को किसी कपड़े से अच्छी तरह ढक दे और सात दिन के लिए किसी छाया वाले स्थान पर रख दे।
कितने दिनों में तैयार होगा:-
■सात दिन में जैविक यूरिया तैयार हो जाता है, इसे छानकर अलग कर ले और पानी के साथ मिलाकर पौंधों और अन्य फ़सलों पर स्प्रे करें।
स्प्रे की मात्रा:-
■स्प्रे के लिए 15 लीटर वाली टंकी में 750 मिली लीटर जैविक यूरिया का तैयार घोल ले और शेष पानी मिलाये।
■ एक वर्ष के 200 पौधों में पंद्रह लीटर वाली 4 टंकियों की आवश्यकता होती है।
साभार
Jayeshbhai M Sanghavi
कृषि का ऋषि विज्ञान समूह
तकनीक प्रचारक
Comments
ये विधि नाइट्रोजन की आंशिक रूप से पूर्ति करती है।
सबसे अच्छी तकनीक जीवामृत, घन जीवामृत, एवं गौमूत्र से बनी दवाइयां है।