अदरक मृदु विगलन या प्रकंद सड़न
■इस रोग के लक्षण सर्वप्रथम पत्तियों पर दिखाई पड़ते हैं जिससे पत्तियों का रंग हल्का फीका हो जाता है।
■ पत्तियों का यह पीलापन पत्तियों की नोंक से शुरू होकर नीचे की ओर बढ़ता है। धीरे – धीरे पूरी पत्ती पड़ जाती है और सूख जाती है।
■पौधा जमीन की सतह के पास भूरे रंग का हो जाता है, तथा छूने पर पिलपिलापन महसूस होता है।
■ मृदु विगलन जड़संधि से शुरू होकर प्रकंद तक फैलते जाता है। कंदों के ऊपर का छिलका स्वस्थ प्रतीत होता है जबकि अंदर का गूदा सड़ जाता है।
■सूत्रकृमि, राइजोम मैगट, कूरमुला कीट आदि इस रोग की उग्रता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये गाठों में छेद कर फफूंद के प्रवेश को सुगम बना देते हैं जिससे सड़न रोग अधिक तीव्र गति से फैलता है।
प्रबंधन के उपाय
■बुवाई के समय अदरक प्रकंदों को जैव प्रकंदों को जैव अभिकर्ता ट्राईकोडर्मा हरजियानाम 6 – 8 ग्रा/ली. पानी के घोल से उपचारित करें अथवा कार्बेन्डाजिम (100 ग्रा.) + मैन्कोजेब (250 ग्रा) + क्लोरोपाइरीफास (250 मिली) को 100 ली. पानी में मिलाकर घोल से उपचारित करें। यदि जीवाणुजी म्लानि का प्रकोप होता है तो उपरोक्त रसायनों के साथ 20 ग्रा स्ट्रेप्टोसाइक्लिन भी मिला लें।
■ रोगग्रसित पौधों को प्रकंद सहित उखाड़ कर नष्ट कर दें तथा उस स्थान की मिट्टी को ट्राईकोडर्मा हरजियानाम ( 8 -10 ग्रा./ली.) के घोल अथवा कार्बेन्डाजिम 0.2 प्रतिशत अथवा रेडोमिल 0.25 प्रतिशत के घोल से तर के दें)
■Thiophanate Methyl 70% WP (रोको ROKO ) Dose /मात्रा: 20-30 gm +30 ml SIL G सील जी /pump की दर से ड्रेंचिंग एवं स्प्रे।
■ Carbendazim 12% + Mancozeb 63% WP 300-400 ml/acre & 40-50 gm /pump
बोनी से पूर्व 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कंद उपचार आवश्यक रूप से करे। ■Copper Oxychloride 50% WDG400 gm/acre
10 दिवस उपरांत आवश्यक लगने पर
Comments