कृषि तकनीक- जानिये गंगा माँ मंडल क्या है ?
Jayeshbhai M Sanghavi:
एक छोटे परिवार (पति, पत्नी और दो बच्चे) की जरूरत वाले सभी पोषक तत्व, सब्जियों और फलों द्वारा प्राप्त करने के लिए, यह ढाँचा तैयार किया जाता है। इसमें 1000 वर्गफुट से ज्यादा जगह की जरूरत नही पड़ती। इसका उद्देष्य जैविक सब्जियों के लिए परिवार की बाजार पर निर्भरता कम करना और परिवार के सदस्यों की पोषण की जरुरत को पूरा करना है। यह 'अपनी सहायता अपने आप करो'' के महत्वपूर्ण सूत्र को पूरा करने में मदद करता है। एक गोल घेरे में इसे बनाया जाता है और इसमें जाने के लिए 7रास्ते होते है, ये जब बन के तैयार हो जाता है तो हम रोज सुबह 1 नंबर के रास्ते से गंगा मां मंडल के केंद्र की ओर अन्दर जाते है और वहा बने गोल घेरे में पानी देते है वो पानी सभी पौधो तक पहुँच जाता है और वापस लौटते समय उस रास्ते पे लगी सब्जीयों को तोड़ कर ले आते है.. और अगले दिन हम 2 नंबर के रास्ते से अन्दर जाते है और उस रास्ते की सब्जियों को लाते है इसी तरह हम रोज एक-एक कर के 7 रास्तो से सब्जिय्या तोड़ते हे और तब तक 1 नंबर के रास्ते पर 7 दिनों में फिर से उतनी ही सब्जिया फिर से आ जाती है और यह क्रम लम्बे समय तक चलता रहता है ।
गंगा मां मंडल के केंद्र की ओर जाने वाले सभी रास्तों के दोनों ओर ढेरों पर बेलवर्गीय पौधे लगाए जाते हैं। बाहर के 7 बड़े ढेरो पर प्याज, लहसुन मूली, शकरकंद और आलू जैसी कंद सब्जियाँ टमाटर, बैंगन और भिंडी जैसी फलदार सब्जियाँ तुलसी, पुदीना, कढ़ी पत्ता जैसे औषधीय पौधे लगाये जाते है । अंदर के 7 छोटे ढेरों पर मेथी, चायपत्ती, मिर्ची, धनिया जैसे मसाले, बरबरटी, ग्वारफली, तूर, मूँग, उड़द और सेम जैसे प्रोटीनयुक्त पौधे लगाये जाते है । सबसे अंदर के गोल घेरे में नमी ज्यादा रहती है, इसलिए यहां केले, पपीते के पौधे लगाए जा सकते हैं।
गंगा मां मंडल के केंद्र की ओर जाने वाले सभी रास्तों के दोनों ओर ढेरों पर बेलवर्गीय पौधे लगाए जाते हैं। बाहर के 7 बड़े ढेरो पर प्याज, लहसुन मूली, शकरकंद और आलू जैसी कंद सब्जियाँ टमाटर, बैंगन और भिंडी जैसी फलदार सब्जियाँ तुलसी, पुदीना, कढ़ी पत्ता जैसे औषधीय पौधे लगाये जाते है । अंदर के 7 छोटे ढेरों पर मेथी, चायपत्ती, मिर्ची, धनिया जैसे मसाले, बरबरटी, ग्वारफली, तूर, मूँग, उड़द और सेम जैसे प्रोटीनयुक्त पौधे लगाये जाते है । सबसे अंदर के गोल घेरे में नमी ज्यादा रहती है, इसलिए यहां केले, पपीते के पौधे लगाए जा सकते हैं।
गंगा माँ मंडल तैयार करने का तरीका क्या है ?
इसे तैयार करने का तरीका इस प्रकार है-
(1) 1000 वर्गफुट जगह के ठीक बीच में खूँटी गाड़कर उसमें 15 फुट लंबाई नाप सकने वाली रस्सी बांधिए। अब इस रस्सी की सहायता से खूंटी से 15 फुट दूर एक गोलाकार घेरा खींचिए। इसकी सीमा पर राख डालिए ताकि यह दिखाई दे सके।
(2) अब खूंटी से क्रमषः 10.5, 9, 6, 4.5, 3 फुट पर गोल घेरे खींचिए। और इनकी सीमा पर राख डालिए।
(3) सबसे बाहरी घेरे की परिधि पर टेप रखकर उसके 13.5 फुट लंबाई वाले इसके 7 समान भाग कीजिए। राख डालकर निशान लगाते रहें।
(4) ऐसे दो भाग जहाँ मिलते हैं, उसे मध्य बिंदु मानकर 4.5 फुट के घेरे तक एक सीधी रेखा खींचिए। इस रेखा के दोनों ओर 9-9 इंच नापकर 4.5 फुट के घेरे तक दो सीधी लाइनें खींचिए। इस प्रकार इन दोनों रेखाओं के बीच 1.5 फुट का एक रास्ता तैयार हो जाएगा। यह रास्ता बाहरी घेरे से 4.5 फुट के घेरे तक जाएगा।
(5) बाहरी घेरे पर बनाए गए सभी 7 भागों के बीच इसी प्रकार 1.5 फुट चौड़े 7 रास्ते बनाइए।
(6) अब सबसे अंदर वाले 3 फुट के घेरे में कुप्पी यानि फनल के आकार का 2 फुट गहरा खोदिए। इस गड्ढे में ऐसी जैविक वस्तुएँ डालिएजिन्हें विघटित होने में 6 माह से ज्यादा लगते हैं। जैसे-नारियल की जटाएँ, तूर, कपास और पौधों की डालियाँ, गन्ने का बगास आदि। देर से विघटित होने वाली चीजों को नीचे और जल्दी विघटित होने वाली वस्तुओं को इनके ऊपर डालिए जैसे-पेड़ों के सूखे पत्ते।
(7) सबसे अंदर के गड्ढे को भरने के बाद उस पर एक इतना बड़ा पत्थर रखा जाता है, जिस पर बैठकर नहाया जा सके या बर्तन और कपड़ेधोए जा सकें।
(8) सभी रास्तों के दोनों ओर बाँस और बल्लियाँ गाड़कर मंडप तैयार किया जाता है। इस मंडप के ऊपर रस्सी का जाल तैयार किया जाता है।
(9) रास्तों को छोड़कर बची जगहों पर सीधे ढेर लगाए जा सकते हैं या कहीं ओर तैयार अमृत मिट्टी यहाँ लाकर डाली जा सकती है। पहले तरीके से ज्यादा फायदा होता है। इस तरीके से अमृत मिट्टी कम नहीं पड़ती और सूक्ष्मजीवों द्वारा तैयार सभी जैविक रसायन पौधों की जड़ों को मिलते रहते हैं। |
गंगा माँ मंडल बनाते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ क्या हैं ?
सावधानियाँ इस प्रकार हैं-
1 गंगा माँ मंडल ऐसी जगह बनाना चाहिए जहां तेज हवाओं से बेल वर्गीय पौधे न टूटें।
2 जहाँ ज्यादा समय तक धूप पड़ती हो।
3 जहाँ पशुओ से इसकी सुरक्षा हो सके।
4 जहाँ घरेलू कामों (नहाना, कपड़े धोना, बर्तन धोना आदि) में उपयोग हो चुका ज्यादा से ज्यादा पानी इसमें जा सके। इस पानी में बाजारु रसायनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
5 बेल वर्गीय पौधों को ढेर और रास्तों पर नहीं फैलने देकर मंडप के ऊपर ही फैलने देना चाहिए। इन्हें वहाँ तक पहुँचाने के लिए रस्सियाँ बाँधनी चाहिए।
6 गंगा माँ मंडल रसोईघर के पास बनाया जाए। ऐसा करने से रसोई का पानी और जैविक कचरा गंगा माँ मंडल तक पहुँचाना आसान और सुविधाजनक होगा। साथ ही रसोई तक सब्जियाँ भी आसानी से पहुँचाई जा सकेंगी।
गंगा माँ मण्डल :
कुदरती खेती एवं ज़हर मुक्त घरेलू बगीची हेतु एक टेक्निकल मॉडल है।
टीम खेती विरासत मिशन की तरफ़ से किसानो के पास शरद ऋतु की सब्जीयों के लिए गंगा माँ मण्डल का निर्माण कराया जा रहा है।
बनने के बाद ये मॉडल ऐसा दिखेगा।
यदि आप भी अपने यहाँ गंगा माँ मण्डल लगवाने के इच्छुक हैं तो सम्पर्क करें :
साभार
खेती विरासत मिशन
जगतार सिंह धालीवाल : 8307291198
रमेश मांडिया :7087107164
सौरभ सैनी : 9050349003
यू ट्यूब वीडियो साभार
रितेश कार्णिक
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