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औषधीय ज्ञान:- जानिए एक ऐसे औषधि के बारे में जो "खून की उल्टियों " तक को तत्काल रोकने में है सक्षम【शंख पुष्पी】

 
शंखपुष्पी

शंखपुष्पी के कई औषधीय गुण होने के कारण इसे चमत्कारी जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। इसे ज्यादातर आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके साभी भाग जैसे पत्ते, जड़, तने और अन्य वानस्पतिक भाग काफी दवाइयां तैयार करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। शंखपुष्पी से तैयार दवाइयों का प्रयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, अनिद्रा, पागनपन, हेमेटेमिसिस, कब्ज और अल्सर के इलाज के लिए किया जाता है। यह एक सदाबहार जड़ी बूटी है जिसकी औसतन ऊंचाई 2-3 इंच होती है। इसके पत्ते लम्भाकार, फूल हल्के नीले रंग के और 6-10 काले बीज होते हैं। यह मुख्य रूप से भारत, श्री लंका और मयनमार में उगाई जाती है। भारत में मेहरौनी और ललितपुर शंखपुष्पी उगाने वाले मुख्य क्षेत्र हैं।

वानस्पतिक नाम:
Convolvulus pluricaulis एक पादप है। शंख के समान आकृति वाले श्वेत पुष्प होने से इसे शंखपुष्पी कहते हैं।

■इसे क्षीरपुष्प (दूध के समान सफेद फूल वाले), मांगल्य_कुसुम भी कहते हैं।

■ अंग्रेजी में Bindweeds कहते है।



■ पुष्पभेद से शंखपुष्पी की तीन जातियाँ बताई गई हैं। श्वेत, रक्त, नील पुष्पी। इनमें से श्वेत पुष्पों वाली शंखपुष्पी ही औषधि मानी गई है।



■ मासिक धर्म मे सहायक है।

■शंखपुष्पी के क्षुप प्रसरणशील, छोटे-छोटे घास के समान होते हैं।


■इसका मूलस्तम्भ बहुवर्षायु होता है, जिससे 10 से 30 सेण्टीमीटर लम्बी, रोमयुक्त, कुछ-कुछ उठी शाखाएँ चारों ओर फैली रहती हैं।

■ जड़ उंगली जैसी मोटी 1-1 इंच लंबी होती है। सिरे पर चौड़ी व नीचे सकरी होती है।

■ अंदर की छाल और लकड़ी के बीच से दूध जैसा रस निकलता है, जिसकी गंध ताजे तेल जैसी दाहक व चरपरी होती है।

■तना और शाखाएँ सुतली के समान पतली सफेद रोमों से भरी होती हैं। पत्तियाँ 1 से 4 सेण्टीमीटर लंबी, रेखाकार, डण्ठल रहित, तीन-तीन शिराओं से युक्त होती हैं।

■पत्तियों के मलवे पर मूली के पत्तों सी गंध आती है।

■फूल हल्के गुलाबी रंग के संख्या में एक या दो कनेर के फूलों से मिलती-जुलती गंध वाले होते हैं।

■फल छोटे-छोटे कुछ गोलाई लिए भूरे रंग के, चिकने तथा चमकदार होते हैं।

■ बीज भूरे या काले रंग के एक ओर तीन धार वाले, दूसरी ओर ढाल वाले होते हैं।

■ बीज के दोनों ओर सफेद रंग की झाई दिखती है।

■मई से दिसम्बर तक इसमें पुष्प और फल लगते हैं। शेष समय यह सूखी रहती है।

■ गीली अवस्था में पहचानने योग्य नहीं रह पाती। श्वेत पुष्पा शंखपुष्पी के क्षुप दूसरे प्रकारों की अपेक्षा छोटे होते हैं तथा इसके पुष्प शंख की तरह आवर्त्तान्तित होते हैं।

शंखपुष्पी के आयुर्वेदिक (गुण -कर्म)और प्रभाव

■शंखपुष्पी कषाय, स्निग्ध, पिच्छिल, तिक्त, मेध्य, रसायन, अपस्मार आदि मानसिक -रोगों को दूर करने वाली; स्मृति, कान्ति तथा बलवर्धक है।

■यह कुष्ठ कृमि और विष को नष्ट करती है। यह मेध्य, शामक, वाजीकरण, आक्षेपरोधी, कृमिघ्न, ज्वरघ्न होती हैं।

शंखपुष्पी के फायदे :

■आयुर्वेद के अनुसार, शंखपुष्पी एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह की बीमारियों को दूर करने वाली औषधि के रूप में काम आती है। यह वनस्पति मुख्य रूप से दिमाग को बल देने वाली, याददाश्त और बुद्धि को बढ़ाने वाली औषधि है। शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी होती है और यह स्वाद में कसैली होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, आज के तनावपूर्ण वातावरण में प्रत्येक व्यक्ति को इसका सेवन करना चाहिए। इस पौधे के फूल, पत्ते, तना, जड़ और बीज समेत लगभग सभी हिस्सों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।



■ दिमाग की मजबूती बढ़ाने के लिए शंखपुष्पी से अच्छी कोई औषधि नहीं मानी जाती। इसके अद्भुत गुणों के कारण प्राचीन काल से ही गुरुजन अपने शिष्यों को बह्म मुहूर्त में जड़ सहित इसके पूरे पौधे को ताजा पीसकर दूध या मक्खन के साथ शहद, मिश्री या शक्कर मिलाकर सेवन करने का उपदेश देते रहे हैं ताकि उनकी बुद्धि प्रखर हो जाए। शंखपुष्पी और गिलोय का सत्व,अपामार्ग की जड़ का चूर्ण, विडंग के बीजों का चूर्ण, कूठ, वचा, शतावरी और छोटी हरड़ को समान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा दूध के साथ सेवन करने से याददाश्त तेज होती है।

बाल बनें लंबे और चमकदार



यह औषधि बालों को बढ़ाने वाली तथा इन्हें चमकदार बनाने वाली है। इसका जड़ सहित पूरा पौधा पीसकर उसका लेप सिर पर लगाने से बाल लंबे, सुंदर और चमकदार होते हैं। शंखपुष्पी की जड़ को पीसकर उसके रस की कुछ बूंदें नाक में डालने से समय से पहले बाल सफेद नहीं होते। इसके रस को शहद में मिलाकर पीने से बालों का झड़ना रुक जाता है और बाल घने, मजबूत और चमकदार हो जाते हैं। शंखपुष्पी, भृंगराज और आंवला से निर्मित तेल बालों में लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं।

खून की उल्टी रोके



■शंखपुष्पी खून की उल्टी रोकने वाली उत्तम औषधि है। यदि किसी को खून की उल्टी हो रही हो, तो 4 चम्मच शंखपुष्पी का रस, 1 चम्मच दूब घास तथा 1 चम्मच गिलोय का रस मिलाकर पिलाने से तत्काल लाभ होता है

नाक से खून आना रोके



■नाक से खून बहने पर भी इसकी बूंद नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता है।


(संकलित)
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