वैज्ञानिक सलाह - धान में लगने वाले रोग ब्लाइट,शीथ रॉट,शीथ ब्लाइट,ब्लास्ट का प्रबंधन
चावल दुनिया की आधी आबादी का मुख्य भोजन है और इसकी खेती वैश्विक स्तर पर की जाती है। विश्व में धान लगभग 148 मिलियन हेक्टेयर भूमि में उगाया जाता है, जिसका लगभग 90 प्रतिशत एशियाई देशों में होता है। वहीँ देश में किसानों के लिए धान की फसल आय का प्रमुख स्त्रोत है, इसलिए यह जरूरी है की किसान धान की फसल का कम लागत में अधिक उत्पादन कर अधिक आय प्राप्त कर सकें ।
धान की फसल में इस समय ब्लाइट,शीथ रॉट, शीथ ब्लाइट, ब्लास्ट रोग लगने की संभावना अधिक है अतः आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए इन रोगों के लक्षण एवम प्रबंधन के उपाय बता रहे है जो कि निम्नानुसार है।
जीवाणु झुलसा
यह एक जीवाणुजनित रोग है। प्रारंभिक लक्षण बीज बुवाई या पौध रोपाई के लगभग 25 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। पत्तियों जीवाणु झुलसा के एक अथवा दोनों किनारों पर पीले रंग की लहरदार धारियां बन
जाती हैं व पत्ती सूख जाती हैं। इस रोग की तीव्रता कंसे की अवस्था से लेकर गभोट अवस्था तक अधिकतम होती है।
पर्णच्छंद याशीथ रॉट
यह रोग गभोट की अवस्था में दिखाई देता है। बालियां निकलने के समय कत्थई भूरे रंग के धब्बे बनते हैं। बाली के अधिकांश दाने कत्थई रंग के एवं अंदर से खाली रह जाते हैं।
शीथ ब्लाइट
यह रोग कंसे की अवस्था में तीव्रता से आता है। तने परअनियमित आकार के गहरे भूरे किनारे वाले धब्बे बनते हैं। धब्बों के बीच का भाग मटमैला हो जाता है। रोग खेत में पानी की सतहसे आरंभ होकर पौधे में ऊपर की ओर फैलता है।खेत में रोग के लक्षण छोट-छोटे भाग में बिखरे हुए दिखाई देते हैं। पत्तियां भूरे से कास्य रंग के धब्बों से ढंक जाती है व पत्तियां सूखने लगती है।
ब्लास्ट/ पत्तीझौंका
पत्तियों का कत्थई रंग के आंख के आकार के धब्बे बनते हैं।धब्बों के बीच का रंग राख के समान और धब्बे की परिधि गहरे भूरे रंग की होती है। धब्बों के आपस में मिलने से पूरी पत्ती झुलस जाती हैं। रोग का प्रकोप बालियों की गर्दन पर भी होता है, जिससे वे गर्दन भाग से पकने के पूर्व ही टूट जाती है।
ब्लाइट,ब्लास्ट ,शीथ रॉट, शीथ ब्लाइट के उपचार के लिए किसान भाई प्रोपिकॉनाज़ोल 10 .7 % + ट्रायसायक्लाजोल 34.3 % SE (COVER कवर) 250 ml + स्ट्रेप्टोसायक्लीन 12 ग्राम SIL G सील जी 200 ml को प्रति एकड़ के हिसाब से ।
500 ग्राम Root H को यूरिया+ पोटाश की बराबर मात्रा को कोटिंग करके जमीन में प्रति एकड़।
जरवानी छिपछिपा 2 से 3 सेंटीमीटर पानी का स्तर रखे।
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साभार
डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर
(वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़
तकनीक प्रचारक
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