टमाटर में समन्वित कीट प्रबंधन
Dr. Gajendra Chandrakar Sr.Scientist & Homesh sahu & Rajkumari Sidar M.Sc.(IGKV) Raipur
टमाटर की फसल दक्षिण अमेरिका के पेरू इलाके में पहली बार पैदा की गई। यह भारत की महत्तवपूर्ण व्यापारिक फसल है। यह फसल दुनिया भर में आलू के बाद दूसरे नंबर की सब से महत्तवपूर्ण फसल है। इसे फल की तरह कच्चा और पकाकर भी खाया जा सकता है। यह विटामिन ए, सी, पोटाश्यिम और अन्य खनिजों का भरपूर स्त्रोत है। इसका प्रयोग जूस, सूप, और कैचअप बनाने के लिए भी किया जाता है।
इस फसल की प्रमुख पैदावार बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, महांराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिमी बंगाल में की जाती है। टमाटर की खेती करने वाले किसान भाइयों को टमाटर में लगने वाले कीटो से काफी परेशानी होई है जिसका उचित प्रबंधन ना करने पर उत्पादन में काफी क्षति की सम्भावना होती है।
आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय टमाटर में लगने वाले मुख्य कीटो के नियंत्रण के बारे में बताएंगे।
सफेद मक्खी (वाइट फ्लाई)
इस कीट के वयस्क सफेद मोम फूल से ढकी सफेद छोटी परत की तरह दिखते हैं। अर्भक एवं वयस्क मक्खियाँ पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं। संक्रमित भाग पीला पड़ जाता है तथा पत्तियाँ अन्दर की ओर मुड़ कर अंततः मुरझा जाती हैं। रस चूसने के साथ-साथ ये कीट मधुरस मल त्याग करते हैं जिससे फफूंदी के विकास को बढ़ावा मिलता है तथा प्रकाष संष्लेषण की क्रिया में बाधा आने से पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
प्रबंधन
1. रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को आधे घंटे के लिए इमिडाक्लोरप्रिट 1 मि.ली./3 लीटर में डुबोएं ।
2. नर्सरी को 40 मैश की नाइलोन नेट से ढक कर रखें।
3. नीम बीज अर्क (4 प्रतिशत) या डाईमेथोएट 30 ई.सी. 2 मि.ली./लीटर या मिथाइडेमीटोन 30 ई.सी. 2 मि. ली/लीटर पानी का छिडकाव करें।
टमाटर फल छेदक (टोमेंटो फ्रूट बोरर)
इस कीट की सूड़ियाँ फलों में छेदकर इनके पदार्थ को खाती हैं तथा आधी फल से बाहर लटकती नजर आती है। एक सूंडी कई फलों को नुकसान पहुंचाती हैं इसके अतिरिक्त ये पत्तों को भी हानि पहुंचाती है ।
प्रबंधन
1. टमाटर की प्रति 18 पंक्तियों पर ट्रैप फसल के रूप में एक पंक्ति गेंदा की लगाएं।
2. सूड़ियाँ वाले फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें।
3. इस कीड़े की निगरानी के लिए 5 फेरोमैन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएँ।
4. जरुरत पड़ने पर नीम की बीज अर्क (6 प्रतिशत) या एन.पी.बी. 250 मि.ली./हेक्टेयर या बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर एमामेक्टिन बैन्जोएट 5 एस.जी. 1.0 ग्रा./2 लीटर स्पिनोसेड 45 एस.सी. 1.0 मि.ली./4 लीटर या डेल्टामेथिन 25 ई.सी. 1.0 मि.ली./लीटर पानी का इस्तेमाल करें।
तम्बाकू की इल्ली (टोबैको कैटरपिलर)
इस कीट की इल्लियाँ पौधों व पत्तों व नई कोपलों को नुकसान पहुंचाती है। अधिक प्रकोप की अवस्था में पौधे पत्ती रहित हो जाते हैं। यह फलों को भी खाती हैं।
प्रबंधन
1. इल्लियों के झुडं वाले पौधों को निकालकर भूमि में दबा दें।
2. कीट की निगरानी के लिए 5 फेरोमैन ट्रेप प्रति हेक्टेयर लगाएं।
3. बी.टी. 1 ग्राम/लीटर या नीम की बीज अर्क (5 प्रतिशत) या स्पिनोसेड 45 एस.सी. 1.0 मि.ली./4 लीटर या डेल्टामेथ्रिन 25 ई.सी. 1.0 मि.ली./लीटर पानी छिडकें।
पत्ती सुरंगक कीट (लीफ माइनर)
इस कीट के शिशु पत्तों के हरे पदार्थ को खाकर इनमें टेढ़ी-मेंढी सफेद सुरंगे बना देते हैं। इससे पौधों का प्रकाश संश्लेषन कम हो जाता है। अधिक प्रकोप से पत्तियां सूख जाती हैं।
प्रबंधन
1 ग्रसित पत्तियों को निकाल कर नष्ट कर दें।
2. डाइमेंथोएट 2 मि.ली./लीटर या इमीडाक्लोप्रिड 1 मि.ली./3 लीटर या मिथाइल डेमीटोन 30 ई.सी. 2 मि.ली./लीटर पानी का छिडकाव करें।
कुछ विशेष प्रभावकारी सलाह:-
■थायोमेथॉक्ज़ाम 12.6% SC+ लैम्ब्डा सायहलोथ्रिन 9.5 % SC की मिश्रित दवा की 10 ml इसके लिए आप सील जी SIL G 30 ml को प्रति टैंक के हिसाब से समान रूप से छिड़काव करें।
■ फ्लूबैन्डामाईट 480 एससी का 150 मिली प्रति हेक्टेयर।
■ क्लोरोन्टनीलीप्रोली 18.5 एससी 150 मि.ली. प्रति हेक्टेयर ।
■ इमामेक्टीन बेन्जोएट 5 एसजी का 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर ।
■ स्पीनोसेड 45 एससी का 200 मिली. प्रति हेक्टेयर उपयोग करें ।
■ कीटनाशकों उपयोग बदल-बदल कर करना चाहिये.
■ कीटनाशकों की क्षमता को बढ़ाने के लिए दवा के साथ 2 ml प्रति लीटर पानी की दर से SIL G सील जी का उपयोग अवश्य करे।
साभार
Dr. Gajendra Chandrakar
sr.Scientist &
Homesh sahu&
Rajkumari sidar
M.Sc. (IGKV) Raipur
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