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"पौध काया कल्प टॉनिक" सभी प्रकार के फसलों पर काम करता है ये टॉनिक


पौध काया कल्प टॉनिक



किसान भाई अपनी फसल को सुरक्षित रखने व फल फूल बढ़ाने के लिए कई प्रकार के रसायनिक दवाओं व हार्मोन्स का प्रयोग करते है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए काफी घातक है,एवम कई घातक बीमारियों को आमंत्रित भी करता है। कई प्रकार के टॉनिकों का निर्माण किसान भाई खुद अपने घर पर आसानी से बिना किसी बड़े खर्च के बना कर अपने पौधों पर प्रयोग कर लाभ कमा सकते है। इससे किसान भाइयों की खेती की लागत काफी कम होगी और एक जहरमुक्त उत्पाद प्राप्त होगा।

आज की कड़ी में हम बताएंगे एक ऐसे टॉनिक के बारे में, जिसे किसान भाई अपने घर पर आसानी से बना कर प्रयोग कर सकते है। इस टॉनिक का नाम है "पौध कायाकल्प टॉनिक"

आवश्यक सामग्री
■ किलोग्राम जैविक मिट्टी (बरगद के नीचे की हो तो बेहतर)
■ मीठे पक्व केले 2 किलो का गुदा, अथवा जैविक /जहर मुक्त गुड़।
■2 लीटर छांछ/लस्सी/मठ्ठा
■1 किलो देशी गाय के गोबर को पोटली बांध कर रखना है।
■1 किलोग्राम यज्ञ अथवा कंडे की राख।
■5 लीटर गौमूत्र (देशी गाय का ही हो)
■2 किलो अंकुरित बीज (जिस फसल हेतु टॉनिक बनाना है) की चटनी, जैसे धान है तो उसे अंकुरित कर उसकी चटनी।

निर्माण विधि 

■ सर्वप्रथम हम उपरोक्त दी गई सभी सामाग्री एकत्र करेंगे।
■धान/बीज को अंकुरित कर चटनी तैयार करेंगे। मिक्सी में नहीं पत्थर में पिसेंगे।
■ ड्रम में 200 लीटर साफ ताजा पानी भर लें।
■अभी ड्रम में बारी बारी से सभी सामग्री डालें। पहले गुड़ को एक पतीले में गर्म पानी कर अच्छे से चासनी बना लें।(केले या मीठे फल हों तो उसे अच्छे से हाथों से कुचल लें)
■इस चासनी को ठंडा करें, हल्का शरीर का तापमान आजाएं तो इसमें मिट्टी को घोल लें। तत्पश्चात इसे ड्रम में डाल दें।
■ ड्रम में अग्निहोत्र भस्म को डालें।
■ ड्रम में अंकुरित अनाज की चटनी डालें।
■ ड्रम में छाछ अथवा लस्सी डालें।
■अब सभी सामाग्री को डालने के पश्चात अछि तरह घोलें। इस हेतु एक बाँस का डंडा की सहायता से ड्रम में डाली हुए सामाग्री को 10 मिनट तक घोलें।

■अंततः जब घोल में ठहराव आजाएँ और पानी हिलना बंद हो जाए, तब एक किलो देशी गाय के गोबर जिसकी पोटली बना रखी है उसे एक रस्सी और बांस की सहायता से ड्रम के बीचों बीच लटकाएं। इस तरह की यह पोटली घोल के बीचों बीच लटक जाए।

■ इस घोल को हम 48 घंटे ढंक कर रखेंगे। इस दौरान दिन में 3 बार इसे 5-5 मिनट के लिए बाँस के डंडे की सहायता से घड़ी की दिशा में घुमाएंगे।

■ 2 दिन में हमे 6 बार सुबह दोपहर शाम इसे घोलना है।

■ जब भी हम घोलेंगे उससे पूर्व उस गोबर से भरी पोटली (जो रस्सी से लटकी है) ऊपर उठाएंगे और हल्के हांथों से उसे निचोड़ेंगे। तत्पश्चात घोलने के उपरांत फिर से उसे पूर्वानुसार लटका देंगे।
■ इस तरह से जो रसायन तैयार होगा उसे पौध कायाकल्प टॉनिक कहेंगे।

उपयोग ऐसे करे

■ उपयोग से पहले पोटली को निकालें उसे निचोड़ कर अंदर बचे गोबर के अवशेष को किसी पौधे की जड़ों में डाल दें।
■अब जो तैयार रसायन है उसे आखरी बार अच्छे से घोल ले।
■ 100% की दर से अतः बगैर पानी मिलाए इसे स्प्रे करें।
■ चाहें तो इसे पानी की सहायता से भी जड़ों में दे सकते हैं।
■ पौधों पर स्प्रे करते वक़्त ध्यान रखें। इस तरह से स्प्रे करें जैसे फसल में बारिश होती है। अर्थात फसलों को नहलाना है ताकि स्प्रे का एक अंश जमीन पर भी गिरे।

पौध काया कल्प टॉनिक के लाभ

■ फसलों को बीमारी, रोग आदि से सुरक्षा देगा।
■ फसल को रोगप्रतिरोधी बनाएगा।
■ मिट्टी को लाभकारी जीवाणु से परिपूर्ण करेगा।
■पौधों की पत्तियों को हरा करेगा, पौधों की शाखाओं को विकसित करेगा, फूल में वृद्धि करेगा। अर्थात जैविक NPK को बढ़ाएगा।
■पुष्पन के साथ साथ फलन भी बढ़ाएगा, अर्थात फूल से फल बनने की प्रवृत्ति में वृद्धि करेगा।
■मित्र कीटों को आकर्षित करेगा। ये मित्र कीट शत्रु कीटों से रक्षा करेंगे।
■फल में सभी पोषक तत्वों जैसे तत्रजन, फॉस्फोरस, पोटाश, लोहा, जस्ता, ताम्र, मैंगनीज़, जिंक, कैल्शियम एवं ट्रेस एलिमेंट्स की पूर्ति करेगा
■फलों को वजनदार, चमकदार और फंगस रहि त बनाएगा।
■कम पानी में भी फसल हरा रखने की प्रवृति प्रदान करेगा, और अधिक गर्मी में सूखे से सुरक्षा देगा, अधिक ठंड से रक्षा करेगा।
■फसल को अत्यधिक स्वादिष्ट और पोषक बनाएगा। पैदावारी को भी बढ़ाएगा।

किस फसल में यह काम करेगा

■सभी फसल में डाल सकते हैं। अगर किसी एक फसल के लिए तैयार करना है तो उसी फसल के बीजों को अंकुरित कर उसकी चटनी डालें।

■अगर एक से अधिक फसल हैं कोई भी एक अनाज, एक दलहन और एक तिलहन फसल के अंकुरित बीजों की चटनी।

■ यह छिड़काव करने के दो तरीके हैं। 
1.रूटीन छिड़काव- प्रति माह एक बार ) फसल अवस्था के हिसाब से छिड़काव
 
2.बाल्यकाल अर्थात फसल के पांच पत्ती वाली स्थिति, युवा अवस्था अर्थात फसल के पुष्पन से ठीक पहले।
 
3.फलन की स्थिति जब फसल में फल लग चुके हों तब।

ये सावधानियां बरते-

■ सभी सामग्री और प्रक्रिया में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें । उत्तम होगा कि सामग्रियां सभी जहर मुक्त हों।

■अंग्रेजी गाय का गोबर, मट्ठा या मूत्र का प्रयोग ना करे । सिर्फ देशी भारतीय गायों का ही पंचगव्य ईस्तेमाल में लाएँ।

■ नियमित तरीके से घोल को गुमाना अत्यंत आवश्यक है।

■ समय और बताई गई मात्रा का विशेष ध्यान रखें।

■ रसायन बनाने की पूरी प्रक्रिया के दौरान घोल को जुट की बोरी या फिर सूती के कपड़े से ढंक कर रखें। ध्यान दें ड्रम के अलावा और किसी भी प्लास्टिक या अप्राकृतिक पदार्थ का या सामाग्री का उपयोग नहीं करना है।
■ पुष्प आने के समय फोलियर स्प्रे से परहेज करें
,इस अवस्था मे फूल झड़ जाने की शिकायत रहेगी। अतः फूल से पहले की स्थिति जिसे गर्भावस्था भी कहते हैं इस समय स्प्रे बहुत लाभकारी होगा।


ऐसे जांचे की टॉनिक काम करता है या नही

जब भी यह रसायन इस्तेमाल करें, तो फसल का कोई भी एक हिस्सा छोड़ दें। ऐसा इसलिए करना है कि हमे पता चल सके कि जिस हिस्से में डाला और जिस हिस्से में नहीं उन दोनों में क्या फर्क नजर आता है।

निश्चित ही यह जानकारी किसान भाइयों के लिए उपयोगी होगी। अधिक से अधिक किसानों तक इस जानकारी को पहुंचाने में मदद करे।


 अपने अनुभव साझा करें। 

साभार
दीपक सार्वा 
8743013319


तकनीक प्रचारक

हम कृषकों तक तकनीक पहुंचाते हैं




Comments

Unknown said…
Your posts are very helpful, easy to follow and result oriented. Thanks for all the benefits we got from your write-ups.

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