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जैविक खेती-जानिए क्या है "गो-कृपा अमृतम"


गो-कृपा अमृतम
(बैक्टीरिया और कल्चर)
 किसान भाई जो जैविक खेती कर रहे है उनके लिए आज का पोस्ट काफी महत्त्वपूर्ण है। आज हम गो कृपा अमृतम के बारे में बताएंगे जिसका प्रयोग कई किसान भाई कर रहे है और अच्छी उपज प्राप्त कर जहरमुक्त खेती को बढ़ावा दे रहे है। 
 बंशी गिर गौशाला अहमदाबाद ,गुजरात इसका द्रावण निःशुल्क किसान भाइयों को उपलब्ध कराता है। 
एवम जिन किसान भाइयों को द्रावण दिया जाता है उन्हें भी निःशुल्क अन्य किसान भाइयों को उपलब्ध कराने का आग्रह किया जाता है। आइए जानते है आखिर है क्या  ये "गो कृपा अमृतम"

गो-कृपा अमृतम एक प्राकृतिक गौ आधारित द्रव्यों और अन्य औषधियों से बना मिश्रण है,जो विस्तृत संशोधन का परिणाम है।
गो-कृपा अमृतम के लाभ
१) धरती में मित्र सुक्ष्म कीटाणुओं का संचार करता है - वनस्पति की रोग प्रतिकारक शक्ति और गुणवत्ता बढ़ता है।
२) वनस्पति को सुपाच्य स्वरुप में पोषक तत्त्व उपलब्ध कराता है और केचुओं की वृद्धि करता है।
३) धरती ज़्यादा नरम बनती है - बारिश का पानी ज़्यादा अच्छी तरीके से सोख लेती है - और समय के साथ खेती में पानी की ज़रूरत कम होती है।धरती में भूजल का प्रमाण बढ़ता है।
४) किसान कम से कम खर्च कर के स्वाभिमान से गौ आधारित खेती कर सकता है। यह सभी प्रकार की फसलों में बहोत उपयोगी है।
गो-कृपा अमृतम का उपयोग अपनी ज़मीन के एक भाग में करें। उसके परिणाम देखने के बाद अपनी बाकि की ज़मीन पर इसका प्रयोग करें। इस उत्पाद के उचित प्रयोग से कोई हानि नहीं है। और इसका प्रयोग आप दूसरी प्राकृतिक खेती की पद्धतिओं के साथ भी कर सकते हैं।गो-कृपा अमृतम दिव्य गोमाता की कृपा है। हमारी नम्र बिनती है की हम इस वास्तु का प्रयोग गोमाता को वंदन करके करें और समृद्ध बनें।
गो-कृपा अमृतम से बने द्रावण की विशेषताएं
हरित क्रांति के पहले १९७० में १ ग्राम मिटटी में २ करोड़ उपयोगी सूक्ष्म जीवाणु मिलते थे। पर अब मात्र 20% भी नहीं बचे हैं। चाहे मानव शरीर हो याधरती, यह मित्र सूक्ष्म कीटाणु स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक हैं। गो-कृपा अमृतम में ४० से अधिक अलग अलग प्रकार के मित्र बैक्टीरिया (मित्र सूक्ष्म कीटाणु) हैं जो धरती में प्रवेश करके अपने आप फैलने लगते हैं।इन में ४-६ प्रकार के बैक्टीरिया ऐसे हैं जो रोग नियंत्रक और किट नियंत्रक का काम करते हैं।४ प्रकार के बैक्टीरिया ऐसे हैं जो हवा में से नाइट्रोजन ले कर सुपाच्य स्वरूप में जड़ों को उपलब्ध करते हैं। इस लिए किसानों का यूरिया में खर्च बच जायेगा।
 यह बैक्टीरिया गोमय, गोमूत्र और धरती में रहे धातु और खनिज पदार्थों को सुपाच्य स्वरूप में जड़ों को उपलब्ध करते हैं।बैक्टीरिया ऐसे हैं जो खाद को कम्पोस्ट करने का कम करते हैं।लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया जो पौधे और फल के विकास में अच्छा कार्य करते हैं।फॉस्फोरस पे काम करने वाले बैक्टीरिया जो फॉस्फोरस को सुपाच्य रूप में पौधे को उपलब्ध करते हैं।बहोत बैक्टीरिया ऐसे हैं जो वनस्पति को अच्छी तरह से विकसित होने और बेहतर फल देने में मदद करते हैं।

गौ कृपा अमृतम खेत मे प्रयोग करने के लिए द्रावण तैयार करने की विधि
२०० लीटर पानी लीजिये। इसमें १-2 लीटर गिर गो-कृपा अमृतम मिलाइये।इसमें 2 किलो गुड़ और 2 किलो देसी गाय से प्राप्त हुई ताज़ी छाछ मिलाइये। ऊपर का मिश्रण कोई पेड़ के निचे सूती कपडे से ढक कर रखें (ताकि हवा आ-जा सके) ५-७ दिनों के अंदर २०० लीटर जितना द्रावण तैयार हो जायेगा।
विशेष सूचना
जब द्रावण ख़तम होने लगे या आधा हो जाये तो ऊपर समजायी गई विधि के अनुसार आप उसमें १-२ किला गुड़, १-२ लीटर देसी गाय से प्राप्त हुई५ दिन तक दिन में एक बार डंडे से क्लॉक वाइज़ (घडी की दिशा में) धीरे से ५.७ बार हिलाएं।ताज़ी छाछ और बाकि का पानी मिला कर दुसरा द्रावण तैयार कर सकते हैं।
बैक्टीरिया का निर्माण
यह द्रावण एक एकर में १००० लीटर तक फसल में पानी के साथ (ट्रेचिंग) या ड्रिप और फुनारे पढती से प्रयोग कर सकते हैं। जितना ज़्यादा धरती माता को प्राप्त होगा उतना ज़्यादा फसल के लिए लाभ दायी होगा।अब आपको अगले ३ साल तक साल में एकाद बार द्रावण का मदर कल्चर यानि की गो-कृपा अमृतम बदलना होगा। उसके पश्चात आपके पास भी उत्तम गुणवत्ता वाला मदर कल्चर तैयार हो जायेगा।गो-कृपा अमृतम में रहे मित्र सूक्ष्म कीटाणुओं को देसी गाय का ही छाछ, गोबर और गोमूत्र पसंद है। इस लिए भैस या विदेशी गाय के गोबर काइस्तेमाल नहीं करना है। आपको देसी गाय के पंचगव्यों के साथ सबसे उत्तम परिणाम मिलेंगे। इस लिए हमारी बिनती है की अगर आप के पासदेसी गाय नहीं है तो किसी गौशाला से देसी गाय का खाद खरीद कर इस्तेमाल कीजिये। और अगर आप देसी गाय रखते हैं तो उसे ज़्यादा सरलता से सभाल सकेगे। आप की यूरिया और DAP सब्सिडी से आप गाय के लिए दाना (कंसन्ट्रेट फीड) खरीद सकते हैं। गो-कृपा अमृतम बैक्टीरिया का उपयोग करके गाय के गोबर और गोमूत्र से आप उत्तम गुणवत्ता का खाद और कीटनाशक द्रव्य का निर्माण खुद ही कर सकते हैं। किसान भाइयों से बिनती है की वह गो-कृपा अमृतम का उपयोग अपनी ज़मीन के एक हिस्से में करे, और उसके परिणाम के अनुसार बाकि की ज़मीन में उपयोग करना शुरू करे । उदारहरण स्वरूप, अगर आप के पास २० एकर ज़मीन है तो पहले आप आधे एकर जमीन में उपयोग करें।अगर आप को सफल परिणाम प्राप्त हो तो बड़े पैमाने पर गाय रख कर स्वाभिमान के साथ स्वनिर्भर हो कर खेती करें।
गो-कृपा अमृतम से खाद कैसे बनाएं?
देसी गोमाता का ताज़ा गोबर का २ फुट ऊचा और ५ फूड चौड़ा ढेर करें और किसी पेड़ या अन्य छाव के निचे उसकी लम्बी लाइन करें। इस पे ऊपर दी गयी विधि के अनुसार तैयार किये गए २०० लीटर द्रावण में से १०-15 लीटर का छिटकाव करें (इस से ज्यादा लिया तो भी कोई हानि नहीं है)। अब इस ढेर में ड्रिप से या नियमित छिटकाव से नमी बनाये रखें। इस से लगभग ४०-४५ दिनों में उत्तम गुणवत्ता का खाद तैयार हो जायेगा। इस खाद का सभी प्रकार की फसल में अवश्य उपयोग करें जिस से आपको बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
गो-कृपा अमृतम का कीटनियंत्रक की तरह कैसे उपयोग करेंगे?
२०० लीटर में से २ लीटर द्रावण लें। बराबर साफ किये पंप में बाकि का पानी मिलाइये।
इस मिश्रण का ५ दिन में एक बार नियमित छिटकाव कीजिये। इस से उत्पाद में रोग न आ सके ऐसी परिस्थिति का निर्माण होगा, और अगर अये भी तो उसे नियंत्रित करना ज़्यादा सरल होगा।
१) खेत में डांगर, गेहूँ और अन्य फसल लेने के बाद फसल के बाकि का हिस्सा जलाया जाता है वह न करके रोटरी के माध्यम से खेत में मिला देंगे तो
वह बैक्टीरिया का खुराक बनकर अच्छी खाद बनेगा, किसान को अच्छा फायदा होगा और प्रदुषण भी नहीं होगा।
२) बैक्टीरिया की बोतल रस्ते में ले जाते समय हर दो घंटे इसका ढक्कन खोलते रहे जिस से बैक्टीरिया को हवा मिलती रहे और ज़िंदा रहे। घर जा कर
बैक्टीरिया की बोतल तुरंत खोल दे और बनाते समय उपयोग में लेने वाले साधन (ड्रम) सही तरह साफ करके उपयोग करें।




 द्रावण के लिए निम्न जैविक किसान भाइयों से सम्पर्क करें।

■  जीतेंद्र कुमार रायपुर
छत्तीसगढ़
मो नम्बर :-77719 99902

थनेन्द्र कुमार साहू 
ग्राम -हथबंद अभनपुर से 8  किलोमीटर राजीम रोड मे पूर्व की ओर हसदा गाव से लगा हुआ है।

■ असीम तिवारी
ग्राम -अभनपुर जिला गरियाबंद
मो नम्बर +91 70899 70496

■अजय केला
ग्राम भखारा
जिला-धमतरी
छत्तीसगढ़
+919301812190

सूरज सिंग ठाकुर 
बिलासपुर छत्तीसगढ़
+91 89594 12022

■परमेश्वर निषाद
 धरमजयगढ़ छत्तीसगढ़
+91 75808 27442

■ राकेश साहू
ग्राम- करमतरा
तह. - खैरागढ़
जिला- राजनांदगांव
छत्तीसगढ़
 मो नम्बर -9340594127

■अनिल चौहरिया
ग्राम पिसेगांव
 तह.व जिला दुर्ग छत्तीसगढ़
 मो.9165436249

■भुनेश्वर कुमार साहू
ग्राम-दतान(ख)
तहसील-पलारी
जिला-बलौदाबाजार
छत्तीसगढ़
मो.न.6263159881


ओम प्रकाश सेन
ग्राम निसदा, आरंग
जिला रायपुर छ. ग.
मो न.9926199426

■डी. के.भास्कर 
भानुप्रतापपुर कांकेर
छत्तीसगढ़
 मोबाइल +917771928189

बिंदु शर्मा मैडम जी गौशाला
कोंडागांव छत्तीसगढ़
मोबाइल +919406078877

(दाई सतबहिनियाँ गोधाम )
नवा बिहान हटरी श्री बगलामुखी 
मां बगदई माता मंदीर ग्राम कान्दुल 
वि,ख,धरसीवा रायपुर छत्तीसगढ़ 
मो,98261-27472, 8109804472

राजेश शर्मा 
गांव ,,, बासाझाल
ब्लाक,,, कोटा
जिला,,, बिलासपुर
छत्तीसगढ़
मो,,, 7987371104

सर्वेश शर्मा
ग्राम लफंदी,राजिम
जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़
मो न.9826430004

उमीत साहू
ग्राम-गोजी
वि.ख- कुरुद जिला-धमतरी छत्तीसगढ़
मो.न.9827403571

रोहित साहू
मो.न.+91 84628 19558
ग़ाम अचानकपुर पोस्ट तर्रा
विकास खन्ड पाटन जिला दुर्ग
छत्तीसगढ़

निखार ब्रदर्स जैविक कृषि फार्म सोमाझिटिया, डोंगरगांव, जिला - राजनाँदगाँव छत्तीसगढ़ - 491661 
मो न -- 7000046266, 9098924606

पुरुषोत्तम लाल ताम्रकार
ग्राम तुमाखुर्द
तह बोरी
जिला दुर्ग
छत्तीसगढ़
9691010147


राजेश सिंह ठाकुर ..(पार्षद)  
निवास : तिलक नगर..
गौ शाला :दर्रीघाट बिलासपुर
छत्तीसगढ़
फोन:9300310603
9827116476(what's app)

विनय शर्मा
ग्रा.कृ.वि. अधिकारी
विकासखण्ड साजा
जिला- बेमेतरा
छत्तीसगढ़
मो +91 98938 47044

टोकेश्वर साहू
मौहा भांटा
जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़
मो +91 93409 85665

रोहित पटेल
ग्राम कंदई पोस्ट निनवा
विकासखण्ड-साजा
जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़
 मो न.-7000273073


जितेंद्र साहू
थान खम्हारिया
जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़
मो+91 77710 76420


अकोला - श्री राजेश भाऊ टिकार
 +918329313123

वणी - श्री सतीश जी पिंपळे 
+919423690550

नांदेड - केशव राहेगावकर
 8668590511
नांदेड- किरण बिच्चेवार, 
संचालक, देवकृपा गोशाला तथा गोविज्ञान केंद्र पवना तालुका हिमायतनगर जिल्हा नांदेड
7875004500

परभणी - श्री नरेश भैय्या शिंदे
 +919588639393

पुणे - श्री संतोष इरलापल्ले 
7020111543

पंढरपूर ( खेड भाळवणी )
 डॉ शिवाजी पाटील 
 +919325560094

सोलापूर
संदीपान चव्हाण (चव्हाणवाड़ी ) नातेपुते
ता माळशिरस 
+918329891963

सोलापूर-ज्ञानेश्वर देवळे , 
गोडसे वाडी ( कमलापुर)  सांगोला
 9960205674 

औरंगाबाद 
श्री रवींद्र जी देशपांडे काका 
09987539085

नागपुर: 
श्री संदेश कळमकर 8485884758

नागपूर: 
सौ. सुनीता चौहान
9422304948

नागपूर: 
वानखेडेजी
820 871 5834

चिमूर: निरंजन शेंडे
90961 69690

अमरावती : 
श्री .गजेन्द्रजी 7588545665

वर्धा: 
श्री व्यंकटेश 7083532759

यवतमाळ:
 श्री कमीलभाई 8805950495

धामणगाव: 
श्री पवारजी 9764977900

परतवाड़ा:
 श्री. गजानन खडके
परतवाडा,जी.अमरावती
 9422657574

तिवसा - आशिष घाटोळ
 9822943727

समीर लुटे 7020482730
कळंब , राळेगाव 
जिल्हा: यवतमाळ 

किरण सुलताने 9921544260
 मोचर्डा , दर्यापूर 
 जिल्हा  अमरावती 

रविंद्र कोथळे, हुपरी- कोल्हापूर 
9028724605,

राजू भोजकर, 
तळंदगे फाटा, - कोल्हापूर
9881027380,

रविंद्र बेळंके, गणेशवाडी, 
कुरूंदवाडजवळ, कोल्हापूर
9823575130  

कोल्हापूर:- 
ऋषीकेश मगदूम, 
कुंभोज ता. 
हातकणंगले -
 9767318287 , 

कोल्हापूर:- 
स्वाप्निल शहा रा कागल
 मो नं   9373429819 ,             

कोल्हापूर:- 
सुनील नाईक मु पो हेब्ब।ळ -जलधाळ
 ता.गडहिंग्लज 
फोन.9773093032. 

कोल्हापूर:- हणमंत गायकवाड
 रा. काखे
 ता. पन्हाळा 9999631454 

कोल्हापूर:- आनंदराव पाटील
 रा. पोखले 
ता. पन्हाळा 98235 71810

सांगली:- 
श्री शिवाजी महादेव साळुंखे 
मु पो कोंगनोळी
 ता़ कवठेमहांकाळ
 मो.नं९४२११८३५९४

सांगली:-  
Name- vijayraj Shankar salunkhe
 add- at post nimblack,
 taluka- Tasgaon ,
 dist- Sangli pincode no-  416312 .
Phone:- 9922577882
 
कोल्हापूर:- नशीर मुजावर आळते
 ता हातकणंगले मो 989048129

आनंदा रामचंद्र अहिर.
मुक्काम पोस्ट तालुका :- वाळवा
जिल्हा:- सांगली
फोन नंबर :- 98 23 89 21 54

सांगली:- श्री शिवाजी महादेव साळुंखे 
मु पो कोंगनोळी 
ता़ कवठेमहांकाळ 
मो.नं९४२११८३५९४

कोल्हापूर:-  सुरेश  कुलकर्णी 
 गाव  आव‌ळी बु   
 तालुका  राधानगरी  
मोबाइल  ९८६९२२१०८६

बेळगांव:- सिदराम खांडेकर 
 मु  पो  जकराहटी  
ता. आथणी, 9021606772

कोल्हापूर:-  
राहुल मटकरी 
मुरगुड 9309597795

कोल्हापूर:-  संजय कृष्णा क्षीरसागर , 913/1, राधानगरी रोड , सानेगुरूजी वसाहती जवळ , कोल्हापूर 416011, 9421207123

कोल्हापूर:-  रामचंद्र चौगुले, आलाबाद. 
ता. कागल, जि. कोल्हापूर.9420011233

सातारा:-  सुरेश पोळ कराड 9146846082

मुंबई:-  B. D. Koshti. A-1/25, BEST OFFICER'S QTRS PANTNAGAR, BEHIND GHATKOPAR BUS DEPOT, GHATKOPAR EAST,  MUMBAI 400075 फोन 9867252852

वाशिम:- पी. यन. वानखेडे, आंचळ, ta.रिसोड, जि. वाशिम, 8788342210

पुणे:- सुर्यकांत हगारेपाटील 
डिकसळ भिगवण,
ता.इंदापूर जि.पुणे.
9890563119 
7020267829 

पुणे - विशाल विजय व्यवहारे 
माळवाड़ी न- 1
ता - इंदापुर , जि-  पुणे 
9168446266


पुणे:- संदिप गावडे. 
गुणवडी.ता.बारामती जि.पुणे
9011391777.   

जालना:-  राजू घारे, साळेगाव ता. जी.जालना  9011707898

कोल्हापूर:- अमोल आनंदराव परीट, मु. पो. टोप, ता. हातकणंगले, जि. कोल्हापूर.
8308721999

जळगाव:-
सुरेंद्र चौधरी MIDCजळगाव 
मो नंबर 8766778416

गणेश लाड 
वडनेर भोलजी ता नांदुरा जि बुलढाणा 
9860136801

अहमदनगर-  ज्ञानेश्वर भगवान कंदारे मु. पो.- घोटण, ता, शेवगाव. मोबाईल 8787317365/973536765
 
सुनिल धांडे अंजनगाव सुर्जी जी अमरावती 9096914044 
           
श्री पंढरीनाथ सुर्याजी महाजन मु पो विखरण ता एरंडोल जि जळगांव मो,9420215155       बुलढाणा :ता जळगांव जा .भागवत ठाकरे 9881176127
   
मनोज पाल 
रतलाम 
मध्य प्रदेश
मो 7024130337
      
भगवान सिंह सिंगोरिया जिला रायसेन म.प्र.
9407267055, 9893800166

दीपक राव ग्राम खेर खेड़ा पोस्ट पीपल कोटा तहसील सतवास जिला देवास मध्य प्रदेश 
मो नम्बर +91 97708 34465

प्रवीण कुमार शाही ग्राम बरैठा 
पोस्ट  अहियापुर  जिला गोपालगंज 
राज्य-बिहार
पिन न.841426
मो नम्बर +91 95653 59565


भूपेंद्र सिंह चौहान गांव बनेडिया 
तहसील रेलमगरा जिला राजसमंद
 राजस्थान 
मो नम्बर  7665331551


नाम-  राकेश मीना 
पिता- श्री जगदीश प्रसाद मीना 
ग्राम+ पोस्ट - सेमल पानी (कदीम)
तेहः-  नस्रूल्लागंज 
जिला - सीहोर 
(मध्य-प्रदेश )

सुन्दर सिंह अन्ना
कनालीछिना, पिथौरागढ़
उत्तराखण्ड
7770863227

V. G. Khandgaonkar
P. W. Housing Socity Shankarnagar Tq Naigaon 
Dist Nanded  Pin No) 431709
Mo no. - +917020824662

Vinod sharma,,
Mandsor Madhya Pradesh
Mo no- 9754965478

राजेश तिवारी, बाघामुड़ा, जिला - मुंगेली 
मो न - +91 98261 28191

Girdhar hirwani
Vill_khamhariya
Durg,. C.G
Mob. 8319463418
Hamare pas
Gau kripa amritam
Uplabdh h.


शुभम यादव
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) 
मो-8445609776



साभार
बंशी गिर गौशाला
अहमदाबाद गुजरात
9316746990
635100349


तकनीक प्रचारकर्ता
"हम कृषकों तक तकनीक पहुंचाते हैं"





Comments

कृपया मुझे यह बताने की कृपा करें कि यह गौ कृपा अमृतम हिमाचल प्रदेश में कैसे और कहाँ उपलब्ध हो सकता है । मैं इसके भेजने का खर्चा उठाने के लिए तैयार हूँ ।
मेरे पास भी गौ कृपा अमृतं का जामन उप्लब्ध है। पता ग्राम दतान(ख), तहसील पलारी, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा (छत्तीसगढ़) 493526 मोबाईल नम्बर 6263159881
जी आपका नम्बर भी सूची में शामिल कर लिया गया है।,🙏सादर धन्यवाद,🌳🙏
Unknown said…
मैं बीकानेर राजस्थान में कहा से गौ कृपा अमरतम प्राप्त कर सकता हु करपाया गाइड करे
Unknown said…
गौ कृपा अमृतम कल्चर उपलब्ध हैं : ---
निखार ब्रदर्स जैविक कृषि फार्म
सोमाझिटिया, डोंगरगांव, जिला - राजनाँदगाँव
छत्तीसगढ़ - 491661
मो न -- 7000046266, 9098924606
भूपेंद्र सिंह चौहान गांव बनेडिया
तहसील रेलमगरा जिला राजसमंद
राजस्थान
मो नम्बर 7665331551
Anonymous said…
सर जी नमस्कार। में मध्यप्रदेश जबलपुर से हूं कृपया बताएं मुझे गौ कृपा अमृतमय कहां से प्राप्त होगा ।
जी जितने लोगो का संपर्क सूत्र था मेरे पास मैने डाल दिया है उसमें से देखिये यदि कोई आपके पास हो तो।
Anonymous said…
Jitendra Singh naruka Nagda Madhya Pradesh Ujjain Gokul Amrit uplabdh hai
जी आप सीधे बंशी गिर गौशाला से सम्पर्क कर प्राप्त कर सकते हसि।

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  वैज्ञानिक सलाह-"चूहा नियंत्रण"अगर किसान भाई है चूहे से परेशान तो अपनाए ये उपाय जैविक नियंत्रण:- सीमेंट और गुड़ के लड्डू बनाये:- आवश्यक सामग्री 1 सीमेंट आवश्यकता नुसार 2 गुड़ आवश्यकतानुसार बनाने की विधि सीमेंट को बिना पानी मिलाए गुड़ में मिलाकर गुंथे एवं कांच के कंचे के आकार का लड्डू बनाये। प्रयोग विधि जहां चूहे के आने की संभावना है वहां लड्डुओं को रखे| चूहा लड्डू खायेगा और पानी पीते ही चूहे के पेट मे सीमेंट जमना शुरू हो जाएगा। और चूहा धीरे धीरे मर जायेगा।यह काफी कारगर उपाय है। सावधानियां 1लड्डू बनाते समय पानी बिल्कुल न डाले। 2 जहां आप लड्डुओं को रखे वहां पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। 3.बच्चों के पहुंच से दूर रखें। साभार डॉ. गजेंद्र चन्द्राकर (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ संकलन कर्ता हरिशंकर सुमेर तकनीक प्रचारकर्ता "हम कृषकों तक तकनीक पहुंचाते हैं"

सावधान-धान में ब्लास्ट के साथ-साथ ये कीट भी लग सकते है कृषक रहे सावधान

सावधान-धान में ब्लास्ट के साथ-साथ ये कीट भी लग सकते है कृषक रहे सावधान छत्तीसगढ़ राज्य धान के कटोरे के रूप में जाना जाता है यहां अधिकांशतः कृषक धान की की खेती करते है आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर ने बताया कि अगस्त माह में धान की फसल में ब्लास्ट रोग का खतरा शुरू हो जाता है। पत्तों पर धब्बे दिखाई दें तो समझ लें कि रोग की शुरुआत हो चुकी है। धीरे-धीरे यह रोग पूरी फसल को अपनी चपेट में ले लेता है। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि इस रोग का शुरू में ही इलाज हो सकता है, बढ़ने के बाद इसको रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि किसान रोजाना अपनी फसल की जांच करें और धब्बे दिखाई देने पर तुरंत दवाई का छिड़काव करे। लक्षण धान की फसल में झुलसा (ब्लास्ट) का प्रकोप देखा जा रहा है। इस रोग में पौधों से लेकर दाने बनने तक की अवस्था में मुख्य पत्तियों, बाली पर आंख के आकार के धब्बे बनते हैं, बीच में राख के रंग का तथा किनारों पर गहरे भूरे धब्बे लालिमा लिए हुए होते हैं। कई धब्बे मिलकर कत्थई सफेद रंग के बड़े धब्बे बना लेते हैं, जिससे पौधा झुलस जाता है। अपनाए ये उपाय जैविक नियंत्रण इस रोग के प्रकोप वाले क्षेत्रों म

रोग नियंत्रण-धान की बाली निकलने के बाद की अवस्था में होने वाले फाल्स स्मट रोग का प्रबंधन कैसे करें

धान की बाली निकलने के बाद की अवस्था में होने वाले फाल्स स्मट रोग का प्रबंधन कैसे करें धान की खेती असिंचित व सिंचित दोनों परिस्थितियों में की जाती है। धान की विभिन्न उन्नतशील प्रजातियाँ जो कि अधिक उपज देती हैं उनका प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है।परन्तु मुख्य समस्या कीट ब्याधि एवं रोग व्यधि की है, यदि समय रहते इनकी रोकथाम कर ली जाये तो अधिकतम उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। धान की फसल को विभिन्न कीटों जैसे तना छेदक, पत्ती लपेटक, धान का फूदका व गंधीबग द्वारा नुकसान पहुँचाया जाता है तथा बिमारियों में जैसे धान का झोंका, भूरा धब्बा, शीथ ब्लाइट, आभासी कंड व जिंक कि कमी आदि की समस्या प्रमुख है। आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक बताएंगे कि अगर धान की फसल में फाल्स स्मट (कंडुआ रोग) का प्रकोप हो तो इनका प्रबंधन किस प्रकार करना चाहिए। कैसे फैलता है? फाल्स स्मट (कंडुआ रोग) ■धान की फसल में रोगों का प्रकोप पैदावार को पूरी तरह से प्रभावित कर देता है. कंडुआ एक प्रमुख फफूद जनित रोग है, जो कि अस्टीलेजनाइडिया विरेन्स से उत्पन्न होता है। ■इसका प्राथमिक संक्रमण बीज से हो

धान के खेत मे हो रही हो "काई"तो ऐसे करे सफाई

धान के खेत मे हो रही हो "काई"तो ऐसे करे सफाई सामान्य बोलचाल की भाषा में शैवाल को काई कहते हैं। इसमें पाए जाने वाले क्लोरोफिल के कारण इसका रंग हरा होता है, यह पानी अथवा नम जगह में पाया जाता है। यह अपने भोजन का निर्माण स्वयं सूर्य के प्रकाश से करता है। धान के खेत में इन दिनों ज्यादा देखी जाने वाली समस्या है काई। डॉ गजेंद्र चन्द्राकर(वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के अनुुसार  इसके निदान के लिए किसानों के पास खेत के पानी निकालने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहता और पानी की कमी की वजह से किसान कोई उपाय नहीं कर पाता और फलस्वरूप उत्पादन में कमी आती है। खेतों में अधिकांश काई की समस्या से लगातार किसान परेशान रहते हैं। ऐसे नुकसान पहुंचाता है काई ◆किसानों के पानी भरे खेत में कंसे निकलने से पहले ही काई का जाल फैल जाता है। जिससे धान के पौधे तिरछे हो जाते हैं। पौधे में कंसे की संख्या एक या दो ही हो जाती है, जिससे बालियों की संख्या में कमी आती है ओर अंत में उपज में कमी आ जाती है, साथ ही ◆काई फैल जाने से धान में डाले जाने वाले उर्वरक की मात्रा जमीन तक नहीं

सावधान -धान में लगे भूरा माहो तो ये करे उपाय

सावधान-धान में लगे भूरा माहो तो ये करे उपाय हमारे देश में धान की खेती की जाने वाले लगभग सभी भू-भागों में भूरा माहू (होमोप्टेरा डेल्फासिडै) धान का एक प्रमुख नाशककीट है| हाल में पूरे एशिया में इस कीट का प्रकोप गंभीर रूप से बढ़ा है, जिससे धान की फसल में भारी नुकसान हुआ है| ये कीट तापमान एवं नमी की एक विस्तृत सीमा को सहन कर सकते हैं, प्रतिकूल पर्यावरण में तेजी से बढ़ सकते हैं, ज्यादा आक्रमक कीटों की उत्पती होना कीटनाशक प्रतिरोधी कीटों में वृद्धि होना, बड़े पंखों वाले कीटों का आविर्भाव तथा लंबी दूरी तय कर पाने के कारण इनका प्रकोप बढ़ रहा है। भूरा माहू के कम प्रकोप से 10 प्रतिशत तक अनाज उपज में हानि होती है।जबकि भयंकर प्रकोप के कारण 40 प्रतिशत तक उपज में हानि होती है।खड़ी फसल में कभी-कभी अनाज का 100 प्रतिशत नुकसान हो जाता है। प्रति रोधी किस्मों और इस किट से संबंधित आधुनिक कृषिगत क्रियाओं और कीटनाशकों के प्रयोग से इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है । आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक बताएंगे कि भूरा माहू का प्रबंधन किस प्रकार किया जाए। लक्षण एवं पहचान:- ■ यह कीट भूर

समसामयिक सलाह:- भारी बारिश के बाद हुई (बैटीरियल लीफ ब्लाइट ) से धान की पत्तियां पीली हो गई । ऐसे करे उपचार नही तो फसल हो जाएगी चौपट

समसामयिक सलाह:- भारी बारिश के बाद हुई (बैटीरियल लीफ ब्लाइट ) से धान की पत्तियां पीली हो गई । ऐसे करे उपचार नही तो फसल हो जाएगी चौपट छत्त्तीसगढ़ राज्य में विगत दिनों में लगातार तेज हवाओं के साथ काफी वर्षा हुई।जिसके कारण धान के खेतों में धान की पत्तियां फट गई और पत्ती के ऊपरी सिरे पीले हो गए। जो कि बैटीरियल लीफ ब्लाइट नामक रोग के लक्षण है। आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर बताएंगे कि ऐसे लक्षण दिखने पर किस प्रकार इस रोग का प्रबंधन करे। जीवाणु जनित झुलसा रोग (बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट): रोग के लक्षण ■ इस रोग के प्रारम्भिक लक्षण पत्तियों पर रोपाई या बुवाई के 20 से 25 दिन बाद दिखाई देते हैं। सबसे पहले पत्ती का किनारे वाला ऊपरी भाग हल्का पीला सा हो जाता है तथा फिर मटमैला हरापन लिये हुए पीला सा होने लगता है। ■ इसका प्रसार पत्ती की मुख्य नस की ओर तथा निचले हिस्से की ओर तेजी से होने लगता है व पूरी पत्ती मटमैले पीले रंग की होकर पत्रक (शीथ) तक सूख जाती है। ■ रोगग्रसित पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनमें कंसे कम निकलते हैं। दाने पूरी तरह नहीं भरते व पैदावार कम हो जाती है। रोग का कारण यह रोग जेन्थोमोनास

वैज्ञानिक सलाह- धान की खेती में खरपतवारों का रसायनिक नियंत्रण

धान की खेती में खरपतवार का रसायनिक नियंत्रण धान की फसल में खरपतवारों की रोकथाम की यांत्रिक विधियां तथा हाथ से निराई-गुड़ाईयद्यपि काफी प्रभावी पाई गई है लेकिन विभिन्न कारणों से इनका व्यापक प्रचलन नहीं हो पाया है। इनमें से मुख्य हैं, धान के पौधों एवं मुख्य खरपतवार जैसे जंगली धान एवं संवा के पौधों में पुष्पावस्था के पहले काफी समानता पाई जाती है, इसलिए साधारण किसान निराई-गुड़ाई के समय आसानी से इनको पहचान नहीं पाता है। बढ़ती हुई मजदूरी के कारण ये विधियां आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं है। फसल खरपतवार प्रतिस्पर्धा के क्रांतिक समय में मजदूरों की उपलब्धता में कमी। खरीफ का असामान्य मौसम जिसके कारण कभी-कभी खेत में अधिक नमी के कारण यांत्रिक विधि से निराई-गुड़ाई नहीं हो पाता है। अत: उपरोक्त परिस्थितियों में खरपतवारों का खरपतवार नाशियों द्वारा नियंत्रण करने से प्रति हेक्टेयर लागत कम आती है तथा समय की भारी बचत होती है, लेकिन शाकनाशी रसायनों का प्रयोग करते समय उचित मात्रा, उचित ढंग तथा उपयुक्त समय पर प्रयोग का सदैव ध्यान रखना चाहिए अन्यथा लाभ के बजाय हानि की संभावना भी रहती है। डॉ गजेंद्र चन्

समसामयिक सलाह-" गर्मी व बढ़ती उमस" के साथ बढ़ रहा है धान की फसल में भूरा माहो का प्रकोप,जल्द अपनाए प्रबंधन के ये उपाय

  धान फसल को भूरा माहो से बचाने सलाह सामान्यतः कुछ किसानों के खेतों में भूरा माहों खासकर मध्यम से लम्बी अवधि की धान में दिख रहे है। जो कि वर्तमान समय में वातारण में उमस 75-80 प्रतिशत होने के कारण भूरा माहो कीट के लिए अनुकूल हो सकती है। धान फसल को भूरा माहो से बचाने के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र चंद्राकर ने किसानों को सलाह दी और अपील की है कि वे सलाह पर अमल करें। भूरा माहो लगने के लक्षण ■ गोल काढ़ी होने पर होता है भूरा माहो का प्रकोप ■ खेत में भूरा माहो कीट प्रारम्भ हो रहा है, इसके प्रारम्भिक लक्षण में जहां की धान घनी है, खाद ज्यादा है वहां अधिकतर दिखना शुरू होता है। ■ अचानक पत्तियां गोल घेरे में पीली भगवा व भूरे रंग की दिखने लगती है व सूख जाती है व पौधा लुड़क जाता है, जिसे होपर बर्न कहते हैं, ■ घेरा बहुत तेजी से बढ़ता है व पूरे खेत को ही भूरा माहो कीट अपनी चपेट में ले लेता है। भूरा माहो कीट का प्रकोप धान के पौधे में मीठापन जिसे जिले में गोल काढ़ी आना कहते हैं । ■तब से लेकर धान कटते तक देखा जाता है। यह कीट पौधे के तने से पानी की सतह के ऊपर तने से चिपककर रस चूसता है। क्या है भू

सावधान -धान में (फूल बालियां) आते समय किसान भाई यह गलतियां ना करें।

  धान में फूल बालियां आते समय किसान भाई यह गलतियां ना करें। प्रायः देखा गया है कि किसान भाई अपनी फसल को स्वस्थ व सुरक्षित रखने के लिए कई प्रकार के कीटनाशक व कई प्रकार के फंगीसाइड का उपयोग करते रहते है। उल्लेखनीय यह है कि हर रसायनिक दवा के छिड़काव का एक निर्धारित समय होता है इसे हमेशा किसान भइयों को ध्यान में रखना चाहिए। आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बताएंगे कि धान के पुष्पन अवस्था अर्थात फूल और बाली आने के समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो। सुबह के समय किसी भी तरह का स्प्रे धान की फसलों पर नहीं करें कारण क्योंकि सुबह धान में फूल बनते हैं (Fertilization Activity) फूल बनाने की प्रक्रिया धान में 5 से 7 दिनों तक चलता है। स्प्रे करने से क्या नुकसान है। ■Fertilization और फूल बनते समय दाना का मुंह खुला रहता है जिससे स्प्रे के वजह से प्रेशर दानों पर पड़ता है वह दाना काला हो सकता है या बीज परिपक्व नहीं हो पाता इसीलिए फूल आने के 1 सप्ताह तक किसी भी तरह का स्प्रे धान की फसल पर ना करें ■ फसल पर अग