मशरूम उत्पादन सभी वर्ग के किसान जैसे कि भूमिहीन से लेकर बड़े किसान, महिला स्व सहायता समूह मशरूम की खेती को रोजगार की साधन बना सकते हैं कृषि, पशुपालन, के अतिरिक्त आमदानी ले सकते हैं.. कम जगह, कम लागत मे अधिक उत्पादन से घर की दैनिक जीवन मे होने वाले लागत की भरपाई कर सकते है मशरूम कई प्रकार के बीमारी को दूर करता है ये शरीर के रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है... मशरूम उत्पादन मौसम के आधार पर चयन कर खेती सकते हैं अभी पैरा मशरूम, मिल्की मशरूम, आॅस्टर प्रजाति मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं... Covid 19 महामारी बीमारी से देश की आम नागरिक और सभी सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं सभी कृषक कम समय कम मेहनत मे कृषि मजदूरी के अतिरिक्त मशरूम को आजीविका के साधन बना सकते है।
मशरूम उत्पादन की पूरी जानकारी, पढ़िए कब और कैसे कर सकते हैं खेती
मशरूम एक उत्पाद है, जिसे एक कमरे में उगाया जाता है, इसको उगाकर किसान अपनी आय दोगुनी ही नहीं चार गुनी कर सकते हैं...
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है, जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है, ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
पिछले कई वर्षों से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दे रहे कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया के वैज्ञानिक विजय अनंत बताते हैं, "तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है, सितम्बर महीने से 15 नवंबर तक ढ़िगरी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं, इसके बाद आप बटन मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं, फरवरी-मार्च तक ये फसल चलती है, इसके बाद मिल्की मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं जो जून जुलाई तक चलता है। इस तरह आप साल भर मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं।"
ऑयस्टर मशरूम जानकारी देते वैज्ञानिक श्री विजय अनंत बताते है कि तीन तरह के मशरूम की कर सकते हैं खेती
1. बटन मशरूम
2. ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम)
3. दूधिया मशरूम (मिल्की)
ऑयस्टर मशरुम मशरूम उगाने की पूरी जानकारी..
श्री विजय अनंत बताते हैं, "ऑयस्टर मशरूम की खेती बड़ी आसान और सस्ती है। इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण भी अधिक होते हैं। दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई एवं चेन्नई जैसे महानगरों में इसकी बड़ी माँग है। इसीलिये विगत तीन वर्षों में इसके उत्पादन में 10 गुना वृद्धि हुई है। तमिलनाडु और उड़ीसा में तो यह गाँव-गाँव में बिकता है। कर्नाटक राज्य में भी इसकी खपत काफी है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी ओईस्टर मशरूम की कृषि लोकप्रिय हो रही है।
ऑयस्टर की खेती के बारे में कहते हैं, "स्पॉन (बीज) के जरिए मशरूम की खेती की जाती है, इसके लिए सात दिन पहले ही मशरूम के स्पॉन (बीज) लें, ये नहीं की एक महीने मशरूम का स्पान लेकर रख लें, इससे बीज खराब होने लगते हैं। इसके उत्पादन के लिए भूसा, पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन और स्पॉन (बीज) की जरूरत होती है। दस किलो भूसे के लिए एक किलो स्पॉन की जरूरत होती है, इसके लिए पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन, की जरूरत होती है।"
ऐसे करें शुरूआत..
दस किलो पैरा कुट्टी को 100 लीटर पानी में भिगोया जाता है, इसके लिए 150 मिली. फार्मलिन, सात ग्राम कॉर्बेंडाजिन को पानी में घोलकर इसमें दस किलो पैरा कुट्टी डुबोकर उसका शोधन किया जाता है। पैरा कुट्टी भिगोने के बाद लगभग बारह घंटे यानि अगर सुबह फैलाते हैं तो शाम को और शाम को फैलाते हैं तो सुबह निकाल लें, इसके बाद पैरा कुट्टी को किसी जालीदार बैग में भरकर या फिर चारपाई पर फैला देते हैं, जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है।
इसके बाद एक किलो सूखे पैरा कुट्टी को एक बैग में भरा जाता है, एक बैग में तीन लेयर लगानी होती है, एक लेयर लगाने के बाद उसमें स्पॉन की किनारे-किनारे रखकर उसपर फिर पैरा कुट्टी रखा जाता है, इस तरह से एक बैग में तीन लेयर लगानी होती है।
पन्द्रह दिनों में मिलने लगेगा ऑयस्टर मशरूम
बैग में स्पॉन लगाने के बाद पंद्रह दिनों में इसमें ऑयस्टर की सफेद-सफेद खूटियां निकलने लगती हैं, ये मशरूम बैग में चारों तरफ निकलने लगता है। इस मशरूम में सबसे अच्छी बात होती है इसे किसान सुखाकर भी बेच सकते हैं, इसका स्वाद भी तीनों मशरूम में सबसे बेहतर होता है।
बटन मशरूम की खेती
बटन मशरूम निम्न तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है। लेकिन अब ग्रीन हाउस तकनीक द्वारा यह हर जगह उगाया जा सकता है। इसका उत्पादन 20 किग्रा. प्रति वर्गमीटर से अधिक है दस पहले तक प्रति वर्ग मीटर मात्र तीन किलो ही था। उत्तर प्रदेश में इसका अच्छा उत्पादन हो रहा है।"
बटन मशरूम की बीजाई या स्पानिंग
बटन मशरूम
मशरूम के बीज को स्पान कहतें हैं। बीज की गुणवत्ता का उत्पादन पर बहुत असर होता है, इसलिए खुम्बी का बीज या स्पान अच्छी भरोसेमंद दुकान से ही लेना चाहिए। बीज एक माह से अधिक पुराना भी नही होना चाहिए।
बीज की मात्रा कम्पोस्ट खाद के वजन के 2-2.5 प्रतिशत के बराबर लें। बीज को पेटी में भरी कम्पोस्ट पर बिखेर दें तथा उस पर 2 से तीन सेमी मोटी कम्पोस्ट की एक परत और चढ़ा दें। अथवा पहले पेटी में कम्पोस्ट की तीन इंच मोटी परत लगाऐं और उसपर बीज की आधी मात्रा बिखेर दे। उस पर फिर से तीन इंच मोटी कम्पोस्ट की परत बिछा दें और बाकी बचे बीज उस पर बिखेर दें। इस पर कम्पोस्ट की एक पतली परत और बिछा दें।"
बटन मशरूम की तुड़ाई
बुवाई के बाद पेटी या थैलियों को वहां रख दें, हां पर उत्पादन करना हो। इन पर पुराने अखबार बिछाकर पानी से भिगो दें। कमरे में पर्याप्त नमी बनाने के लिए कमरे के फर्श व दीवारों पर भी पानी छिड़कते रहें। इस समय कमरे का तापमान 22 से 26 डिग्री सेंन्टीग्रेड और नमी 80 से 85 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए। अगले 15 से 20 दिनों में खुम्बी का कवक जाल पूरी तरह से कम्पोस्ट में फैल जाएगा। इन दिनों खुम्बी को ताजा हवा नही चाहिए इसलिए कमरे को बंद ही रखें।
खुम्बी की बीजाई के 35-40 दिन बाद या मिट्टी चढ़ाने के 15-20 दिन बाद कम्पोस्ट के ऊपर मशरूम के सफेद घुंडिया देने लगती हैं, जो अगले चार-पांच दिनों में बढ़ने लगती हैं, इसको घूमाकर धीरे से तोड़ना चाहिए, इसे चाकू से भी काट सकते हैं।
ऑयस्टर मशरूम का बीज यहां है उपलब्ध
टी. के .बैस
9826227117
ग्राम देवरी भखारा धमतरी
छत्तीसगढ़
Namrata Yadu
D/O Lt. Shri B. L. Ghai
W/O Dr P. L. YADU
M. Sc. Chemistry
Diploma in English
Diploma in French
Certificate course in Enterpreneurship Development
M P Best cadet NCC
MUSHROOM Grower
Attended National and International Conferences and Sumposium on mushroom cultivation
Received 3 National Award.
Winner of KBC 2013.
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