इस खरीफ के मौसम में किसान भाई ऐसे करे अपने बीज एवं पौधों की जड़ों का जैविक विधि से उपचार
बीजामृत
बीज बोने पहले बीज तो अच्छे ढंग से बीजोपचार करना बहुत जरूरी है।
जिससे पौधे की सेहत ठीक रहती है और बीज जनित रोगों से छुटकारा भी मिल जाता है।
आइए जानते है कि किस तरह से जैविक विधि से कैसे बीजोपचार कर सकते है।
इसके लिए बीज अमृत बहुत ही उत्तम तरीका है। जीव अमृत की तरह इसमें भी वही चीजें डालती है जो बिना कीमत के मिलती है। ये प्राकृतिक खेती का एक हिस्सा है हमारे पूर्वज इस विधि को अच्छी तरह से जानते थे।
बीजामृत बनाने की विधि
1 देसी गाय का ताजा गोबर 1 किलोग्राम
2 देसी गौ मुत्र 1 litter
3 चूना 50 ग्राम।
4 खेत के मेड़ की मिट्टी-200 ग्राम
इन सभी चीजों को घोल कर 5 लीटर पानी मे घोलकर मिट्टी के मटके में 2 दिनों तक रखें। दिन मैं दो बार लकड़ी से हिलाएँ। इसके बाद बीज की बुवाई के दिन इसको बीज के ऊपर डालकर अच्छी तरह भिगोकर निकाल दें। इसके बाद बीज को छायादार जगह पर सुखा लें। बीज अमृत से उपचारित हुए बीज जल्दी और ज्यादा मात्र में उगते हैं। उनमे अंकुरण की क्षमता अच्छी होती है।बीज जनित रोग कम होती हैं। पौधे अच्छी तरह से फलते फूलते हैं।
केले और गन्ने की बुवाई में भिगोने के तुरंत बाद लगना चाहिए। और अगर धान ,टमाटर ,बेंगन या किसी भी प्रकार की पौध लगनी हो तो उसकी जड़ें बीज अमृत में डुबोये। उसके बाद पौध खेत मैं लगाएं। निश्चित ही इसका लाभ किसान भाइयों को देखने को मिलेगा।
साभार
कृषि विज्ञान केंद्र बोरखेड़ा,कोटा
राजस्थान
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