सावधान:- 100-200 नही करोड़ो की संख्या में फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले टिड्डी दल (Locust Swarm) के प्रकोप से बचाव के लिए अलर्ट जारी
टिड्डी दल को रोकने जिले में पर्याप्त दवाई उपलब्ध
फसलों को नुकसान पहुचाने वाले टिड्डी दल (Locust Swarm) का प्रकोप राजस्थान होते हुए महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य तक पहुंच गया है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यह हमारे राज्य और जिले में भी प्रवेश कर सकते है। केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र के सहायक निदेशक ने सीमावर्ती जिले के कृषि अधिकारियों, कर्मचारियों एवं किसानों को सचेत रहने कहा है।
किसान डेजर्ट एरिया के लिए कीटनाशक मालाथियोन, फेनवालरेट, क्विनालफोस तथा फसलों एवं अन्य वृक्षों के लिए क्लोरोपायरीफोस, डेल्टामेथ्रिन, डिफ्लूबेनजुरान, फिप्रोनिल, लामडासाइहलोथ्रिन कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं।
टिड्डियां क्या हैं? 👈
कृषि विज्ञानिक के अनुसार, टि़ड्डियों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरों से उन्हें पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती है तो उतनी खतरनाक नहीं होती है। लेकिन, झुंड में रहने पर इनका रवैया बेहद आक्रामक हो जाता है। फ़सलों को एकबारगी सफ़ाया कर देती हैं। आपको दूर से ऐसा लगेगा, मानो आपकी फ़सलों के ऊपर किसी ने एक बड़ी-सी चादर बिछा दी हो। कुछ समय पहले अफ़्रीकी देशों में इन्होंने फ़सलों को काफी नुकसान पहुंचाया हैं।
👉 टि़ड्डियां क्या खाती हैं 👈
हैरत की बात यह है कि टि़ड्डियां फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सबुकछ खा जाती हैं। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। इस तरह से एक टिड्डी दल, 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है। टिड्डियों का जीवन काल अमूमन 40 से 85 दिनों का होता है।
👉 टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपाय 👈
कृषि विभाग की फील्ड टीम टिड्डी दल की उपस्थिति को लेकर लगातार ट्रैकिंग कर रही है। रात के समय टिड्डियां जहां भी सेटल होती है उसकी खबर भारत सरकार की लोकस्ट टीम तक पहुंचाई जाती है। जिससे सुबह के समय टिड्डियों के ऊपर दवा का छिड़काव किया जा सकें।
👉 टिड्डी दल से बचाव के उपाय –
डॉ. गजेंद्र चन्द्राकर (कृषि वैज्ञानिक) इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय जिला-रायपुर छत्तीसगढ़ के मुताबिक किसान भाई टिड्डी दल से बचने के लिए कई उपाय अपना सकते हैं –
फसल के अलावा, टिड्डी कीट जहां इकट्ठा हो, वहां उसे फ्लेमथ्रोअर से जला दें।
टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाड़़े, लाउटस्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं। जिससे वे आवाज़ सुनकर खेत से भाग जाएं, और अपने इरादों में कामयाब ना हो पाएं।
टिड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे दिये हों, वहां 25 कि.ग्रा 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस को मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें।
टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 कि.ग्रा धान की भूसी को 0.5 कि.ग्रा फेनीट्रोथीयोन और 5 कि.ग्रा गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दें। इसके जहर से वे मर जाते हैं।
टिड्डी दल के खेत की फसल पर बैठने पर, उस पर 5 प्रतिशत मेलाथीयोन या 1.5 प्रतिशत क्विनाल्फोस का छिड़काव करें।
कीट की रोकथाम के लिए 50 प्रतिशत ई.सी फेनीट्रोथीयोन या मेलाथियोन अथवा 20 प्रतिशत ई.सी. क्लोरपाइरिफोस 1 लीटर दवा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें
टिड्डी दल सवेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है। इसलिए, इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस का छिड़काव करें।
500 ग्राम NSKE या 40 मिली नीम के तेल को 10 ग्राम कपड़े धोने के पाउडर के साथ, या फिर 20 -40 मिली नीम से तैयार कीटनाशक को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से टिड्डे फसलों को नहीं खा पाते।
फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करें। इससे इनके अंडे नष्ट हो जाते हैं।
सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है जब तक कृषि विभाग का टिड्डी उन्मूलन विभाग, टिड्डी दल प्रभावित स्थल पर पहुंचता है, तब तक ये अपना ठिकाना बदल चुका होता है। ऐेसे में टिड्डी दल से संबंधित पर्याप्त जानकारी और उससे संबंधित रोकथाम के उपायों को अमल में लाना ही एक मात्र विकल्प है।
इस तरह भारत के अन्य राज्य राजस्थान और मध्यप्रदेश में तांडव कर चुकी है टिड्डियाँ वीडियो में देंखे
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यू ट्यूब वीडियो
साभार
इंडिया tv
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