भारत के लगभग हर राज्य में मिर्च की खेती होती है. इसके फायदों को देखते हुए मुख्यत: नगदी फसलों की श्रेणी में इसे रखा जाता है. वैसे मिर्च में औषधीय गुणों का भंणार भी होता है. अगर किसान भाई जलवायु क्षेत्र के अनुसार मिर्च की उन्नत प्रजातियों का प्रयोग करें, तो उन्हें अच्छी कमाई हो सकती है. चलिए आज आपको मिर्च की खेती के बारे में बताते हैं.
जलवायु
मिर्च की खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में की जाती है. हालांकि इसके फलों के पकने के लिए शुष्क मौसम चाहिए होता है. मिर्च एक गर्म मौसम की फ़सल है, इसलिए इसे उस समय तक नहीं उगाया जा सकता, जब तक कि मिट्टी का तापमान बढ़ न गया हो.
मिट्टी
इसकी खेती बैंगन और टमाटर की तरह ही होती है, इसलिए इसके लिए मिट्टी हल्की, भुरभुरी व पानी को जल्दी सोखने वाली होनी चाहिए. इसकी नर्सरी में पर्याप्त मात्रा में धूप का आना लाभदायक है.
बुआई
मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में मिर्च बोने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक का है. हालांकि बड़े फलों वाली क़िस्मों को मैदानी क्षेत्रों में अगस्त से सितम्बर तक भी बोया जा सकता है.
सिंचाई व निराई-गुड़ाई
हरी मिर्च की खेती में पहली सिंचाई पौध प्रतिरोपण के बाद ही करनी चाहिए. वहीं गर्मियों के मौसम में सप्ताह में एक बार सिंचाई करनी चाहिए. मिर्च का पौधा संवेदनशील होता है, इसलिए पानी के जमाव से इसे खास तौर पर बचाने की जरूरत होती है.
फल तोड़ाई
हरी मिर्च की तोड़ाई फल लगने के करीब 15 से 20 दिनों बाद करें. पहली तोड़ाई के बाद दूसरी तोड़ाई में करीब 12 से 15 दिनों का अंतर रखा जाना चाहिए.
पैदावार
मिर्च की खेती में पैदावार कई कारकों पर निर्भर है. हालांकि अगर सही से खेती की जाए तो औसत 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज प्राप्त की जा सकती है.
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