पैरा मशरूम बन सकता है अतरिक्त आय का स्रोत
किसान भाई कई जगहों पर धान के फसल को काटने के बाद बचे हुए पैरा को आग लगा देते हैं, जिससे हमारे जीव, जंतु, भूमि एवं प्राकृतिक को भी नुकसान होती है |
किसान भाई इस बचे पैरा को ना जलाकर पैरा मशरूम की खेती या पैरा कुट्टी से आयस्टर मशरूम की खेती कर अतरिक्त आमदनी ले सकते हैं |
कोरिया जिला के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक श्री विजय अंनत बताते है कि, ये मशरूम बाजारों मे 150-250 रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है |पैरा मशरूम खाली पड़े जगहों मे, बाग, बगीचों एवं खलहीयानो मे कृत्रिम रूप से उगाया जा सकता है, इसको अधिक तापमान की जरूरत होती है | पैरा मशरूम प्राकृतिक रूप से माह जुलाई से सितंबर तक सड़े हुए पैरा मे भी पाया जाता है|
पैरा मशरूम सबसे स्वादिष्ट मशरूम होता है इसमें प्रोटीन भी सबसे ज्यादा पाया जाता है, मशरूम कई बीमारियों एवं कुपोषण को भी दूर करने मे बहुत बड़ा है अहम भूमिका निभा रहा है ये हर प्रकार के पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है |
इसे किसान भाई आसानी से अपने घरों पर बना सकते है और अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते है।
पैरा मशरूम को धान पुवाल मशरूम एवं गर्मी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है भारत मे धान पुवाल मशरूम माह अप्रैल के मध्य से माह सितम्बर तक उगाई जाती है तथा इस मशरूम को प्राकृतिक रूप से सड़े गले धान के पुवाल मे जुलाई से सितंबर तक पाई जाती है | इसके लिए तापमान 32-38 डिग्री सेंटीग्रेट तथा नमी 80-85% तक होनी चाहिए | इसे कमरे के अंदर या कमरे के बाहर खुले मे, दोनों प्रकार से उगाया जा सकता है |पैरा मशरूम खाने में बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है |
पैरा मशरूम उगाने की विधि:-
1 खुले में पैरा मशरूम की खेती :इस विधि से खेती करने के लिए 100cm लंबी x60 cm चौड़ी x15 - 20 cm ऊंची ईंटों की या क्यारियाँ बनाते हैं |सीधी धूप तथा बारिश से बचाने के लिए इसके ऊपर शेड बना दिया जाता है |
2. कमरे के अंदर पैरा मशरूम की खेती :- कमरे के अंदर बाँस या लोहे के एंगल से रैक बनाये | एक के ऊपर एक 45-50 cm ऊंची चार रैक बनाये और सबसे नीचे वाली रैक जमीन से 20-30 cm ऊपर होनी चाहिये इस विधि मे एक विशेष प्रकार के कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है यह महंगी विधि है |
* जगह - समान्य तौर पर 7-10 स्क्वायर फीट प्रति बेड की आवश्यकता होती है |
पैरा मशरूम उत्पादन के तरीके :-
1.धान पैरा के 1.5 फीट लंबे एवं 1/2 फिट चौड़े बंडल 1-2 किलो ग्राम के एक बंडल तैयार करे उस बंडल के दोनों किनारे को बांधे रखे | एक क्यारी बनाने के लिये 12-16 बंडल की जरूरत होती है|
2. इस बंडल को 14-16 घंटों तक 200 ग्राम कैल्शियम कार्बोनेट, 135 मि. ली. फार्मेलिन प्रति 100 लीटर साफ पानी मे भिगाते है उसके बाद पानी को निथार देते हैं |
3. उपचारित बंडलो से पानी निथार जाने के 1 घंटे बाद प्रति बेड 200-250 ग्राम पैरा मशरूम की बीज मिलाते हैं| बिजाई करते समय 4 बंडल को आड़ा बिछाकर उसके किनारे मे बीज डालते है और उसमे थोड़ा बेसन उसके ऊपर 4 बंडल को तिरछा बिछाते है फिर उसके बाद बीज और बेसन मिलाते हैं ऐसे ही 4 परत तक इस विधि को दोहराते हैं | तब कहीं जाकर एक क्यारी बनता है |
4. बीज युक्त बंडलो को अच्छी तरह से चारों ओर से पालीथीन से 6-8 दिनों के लिये ढंक देते हैं|
5. कवकजाल फैल जाने के बाद पालीथीन सीट को हटाया जाता है उसके बाद 5-6 दिनों तक हल्का पानी का छिड़काव सुबह शाम करते है |
6. पैरा मशरूम की कलिकाये 2-3 दिन मे बनना प्रारम्भ हो जाती है |
7. 4-5 दिनों के भीतर मशरूम तुडाई के लिए तैयार हो जाती है
सावधानी :- नमी और तापमान की विशेष ध्यान देना चाहिये | कीट एवं रोग के लिये बेड के आसपास साफ सफाई एवं दीवाल और जमीन के ऊपर फार्मेलिन की छिड़काव 15-15 दिनों के अन्तराल पर करना चाहिए | चूहा से बचाव के लिए देसी विधि जैसे चूहा जाली का उपयोग करे |
उपज - प्रति बेड 3-5 किलो तक प्राप्त होती है |
जीवनकाल - 38-45 दिनों की होती है
भंडारण - रेफ्रिजरेटर मे 2-3 दिन तक रख सकते हैं |
मुल्य - 150 - 200 रू. प्रति के.जी की दर से
बिकता है |
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