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समसामयिक सलाह-फरवरी माह में इन कृषि एवं बागवानी कार्यों को करें, होगी बेहतर उपज

 
समसामयिक सलाह- फरवरी माह में इन कृषि एवं बागवानी कार्यों को करें, होगी बेहतर उपज


कृषि कार्य करने के लिए किसानों के पास ये जानकारी होनी बहुत जरुरी है कि वो किस माह में कौन-सा कृषि कार्य करें. क्योंकि मौसम कृषि कार्य को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए तो अलग- अलग सीजन में अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सकें. ऐसे में आइये जानते है कि फरवरी माह में किसान कौन-सा कृषि कार्य करें-

गेहूं
बुवाई के समय के हिसाब से गेहूं में दूसरी सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद तथा तीसरी सिंचाई 60-65 दिन की अवस्था में कर दें. चौथी सिंचाई बुवाई के 80-85 दिन बाद बाली निकलने के समय करें।

■गेहूँ के खेत में चूहों का प्रकोप होने पर जिंक फास्फाइड से बने चारे अथवा एल्यूमिनियम फास्फाइड की टिकिया का प्रयोग करें.

जौ
खेत में यदि कंडुआ रोग से ग्रस्त बाली दिखाई दे तो उसे निकाल कर जला दें.

चना
चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाव के लिए फली बनना शुरू होते ही बैसिलस थूरिनजेन्सिस (बी.टी.) 1.0 किग्रा अथवा फेनवैलरेट 20 प्रतिशत ई.सी.1.0 लीटर अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. 2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

मटर
 मटर में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर 2.0 किग्रा घुलनशील गंधक या कार्बेन्डाजिम 500 ग्राम दर से 12-14 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें.

राई
 माहूं कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर मिथाइल-ओ- डिमेटान 25 ई.सी. 1.00 लीटर का प्रयोग करना चाहिए.

गन्ना
- बसंतकालीन गन्ने की बुवाई देर से काटे गये धान वाले खेत में और तोरिया/मटर /आलू की फसल से खाली हुए खेत में की जा सकती हैं.

गन्ने की मध्यम एवं देर से पकने वाली प्रमुख किस्में - को.शा. 767, को.शा. 802, को.शा. 7918 एवं को.शा. 8118 आदि हैं. तो वहीं, जल्दी तैयार होने वाली किस्में - को. पन्त 211, को.शा. 687 व को.शा. 8436 आदि हैं।

जल-निकास की समस्या वाले क्षेत्रों के लिए बी.ओ. 54 व बी.ओ. 91 अच्छी किस्में हैं.

सब्जियों की खेती

■आलू और टमाटर की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए मैंकोजेब 1.0 किग्रा 75 प्रतिशत हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

■लहसुन में यदि नाइट्रोजन की दूसरी टाप ड्रेसिंग न की हो तो यूरिया की 75 किग्रा मात्रा बुवाई के 60 दिन बाद डालकर सिंचाई करें. रोग एवं कीट से बचाव के लिए एक सुरक्षात्मक छिड़काव मैंकोजेब 2 ग्राम तथा इमिडाक्लोरप्रिड 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर करें.

■लोबिया की बुवाई के लिए इस समय पूसा दो फसली, लोबिया 263 व पूसा फागुनी उपयुक्त किस्में हैं.

■बुवाई से पूर्व भिण्डी के बीज को 24 घंटे पानी में भिगो देना चाहिए.

बागवानी कार्य
■आम में खर्रा रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) से बचाव के लिए माह के प्रथम पक्ष में घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्लू. पी. 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम 1 लीटर पानी में घोलकर) घोल का छिड़काव करें. द्वितीय पक्ष में कैराथेन या कैलिक्सिन 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

■आम में भुनगा कीट की रोकथाम के लिए इमिड़ाक्लोप्रिड 1.0 मिली. प्रति 3 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.


पुष्प व सगन्ध पौधे

■गुलदाउदी के सकर्स को अलग करके गमलों में लगा दें.

■गर्मी के फूलों जैसे जीनिया, सनफ्लावर, पोर्चुलाका व कोचिया के बीजों को नर्सरी में बोयें.

■मेंथा में 10-12 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें तथा बुवाई के 30 दिन बाद निराई-गुड़ाई कर दें.

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सावधान -धान में (फूल बालियां) आते समय किसान भाई यह गलतियां ना करें।

  धान में फूल बालियां आते समय किसान भाई यह गलतियां ना करें। प्रायः देखा गया है कि किसान भाई अपनी फसल को स्वस्थ व सुरक्षित रखने के लिए कई प्रकार के कीटनाशक व कई प्रकार के फंगीसाइड का उपयोग करते रहते है। उल्लेखनीय यह है कि हर रसायनिक दवा के छिड़काव का एक निर्धारित समय होता है इसे हमेशा किसान भइयों को ध्यान में रखना चाहिए। आज की कड़ी में डॉ गजेंन्द्र चन्द्राकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बताएंगे कि धान के पुष्पन अवस्था अर्थात फूल और बाली आने के समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो। सुबह के समय किसी भी तरह का स्प्रे धान की फसलों पर नहीं करें कारण क्योंकि सुबह धान में फूल बनते हैं (Fertilization Activity) फूल बनाने की प्रक्रिया धान में 5 से 7 दिनों तक चलता है। स्प्रे करने से क्या नुकसान है। ■Fertilization और फूल बनते समय दाना का मुंह खुला रहता है जिससे स्प्रे के वजह से प्रेशर दानों पर पड़ता है वह दाना काला हो सकता है या बीज परिपक्व नहीं हो पाता इसीलिए फूल आने के 1 सप्ताह तक किसी भी तरह का स्प्रे धान की फसल पर ना करें ■ फसल पर अग