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पशुपालन: अब पशु भी खाएंगे चॉकलेट और देंगे ज़्यादा दूध

पशुपालन: अब पशु भी खाएंगे चॉकलेट और देंगे ज़्यादा दूध


आज के समय में बच्चों से लेकर बड़े तक चॉकलेट (chocolate) खाने के शौकीन हैं. वहीं पशुओं के लिए भी एक खास तरह की चॉकलेट लाई गई है. हाल ही में यूरिया मोलासिस मिनिरल ब्लॉक (molasses mineral block) नाम से एक चॉकलेट बनाई गई है जोकि पशुपालकों के लिए एक वरदान साबित हो रही है. आईवीआरआई के मुताबिक इस पूरी तकनीक को विकसित करने में संस्था के वैज्ञानिकों को 4 साल का समय लगा.
Molasses mineral block chocolate के सेवन से पशुओं में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं जो उनके सेहत के लिए बहुत लाभकारी हैं. इसमें भरपूर मात्रा में न्यूट्रीशियन तत्व पाया जाता है।

किसान भी बना सकते हैं चॉकलेट



पशुओं की इस खास चॉकलेट को बनाने के लिए एक मशीन भी बनाई गई है. चॉकलेट बनाने के लिए आईवीआरआई (IVRI ) ट्रेनिंग भी दे रहा है. इससे पशुपालक घर बैठे रोजगार भी पा सकते हैं. अगर किसान भी इस चॉकलेट को बनाना चाहते हैं तो वे सीतापुर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र-2 में संपर्क कर इसकी पूरी जानकारी और विधि प्राप्त कर सकते हैं।

पशुओं के लिए इस तरह से फायदेमंद है चॉकलेट
पशुओं को इस चॉकलेट को खिलाने से वे जल्दी बीमार नहीं होंगे. ज्यादातर पशुओं में दीवार और ईंट चाटने की आदत होती है जिस कारण हानिकारक रसायन उनके पेट में चले जाते हैं और वे बीमार हो जाते हैं. अब वे इस चॉकलेट को चाट सकते हैं जो उनके लिए सेहतमंद है. इसके इस्तेमाल से हरे चारे की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा और दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. इसके सेवन से पशुओं का पाचन तंत्र मज़बूत होता है. संस्था के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस Molasses mineral block चॉकलेट और इससे तैयार किए गए लड्डुओं को खिलाने से पशुओं के दुग्ध उत्पादन में 500 एमएल से 1 लीटर तक वृद्धि आएगी, बशर्तें पशुओं को उनकी नस्ल और उत्पादन क्षमता के अनुसार ही उचित मात्रा में चॉलकेट और लड्डू खिलाए जाएं.

ये है चॉकलेट कीमत

किसान इस चॉकलेट को केवल 20 रुपए किलो की कीमत में खराद सकते हैं. इसके साथ ही इन्हें बनाने के बाद 1 वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

चॉकलेट बनाने की सामग्री

इस चॉकलेट को बनाने में गेहूं या चावल का चोकर, खल (सरसों या ज्वार), यूरिया, खनिज लवण जैसे- कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर और फास्फोरस का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा इसमें नमक का भी इस्तेमाल किया जाता है जिसका एक वयस्क पशु प्रतिदिन 500 से 600 ग्राम तक सेवन कर सकता है. जुगाली करने वाले पशुओं के लिए यह चॉकलेट काफी फायदेमंद है।
चॉकलेट को बनाने के लिए छोइया गुड़, चोकर, चुन्नी, मिनरल्स, नमक, कुरथी, यूरिया एवं स्थानीय क्षेत्रों में उपलब्ध खाद्य सामग्री, जो आसानी से बाजारों में उपलब्ध होता है, को मिलाकर इसे तैयार किया जाता है. इसकी लागत फायदे के अनुरूप बहुत ही कम है. चॉकलेट के खाने से मवेशी को जितना फायदा हो रहा है, लागत उतनी ही कम है. कृषि विज्ञान केंद्र बांका द्वारा तैयार यह चॉकलेट पूरी तरह सफल है।

चॉकलेट के फायदे
चॉकलेट के निर्माण के बाद जब इसका प्रयोग मवेशियों पर किया गया, तो यह पूरी तरह सफल रहा. इस चॉकलेट के खाने के बाद सभी प्रकार के मवेशियों में विटामिन की पूर्ति हुई. जो मवेशी कम दूध दे रहे थे, उनमें दूध की मात्रा में अप्रत्याशित वृद्धि हो गयी. इस चॉकलेट का सेवन करने वाली गाय अन्य गायों की अपेक्षा समय पर गरम हो जा रही है. प्राय: यह देखा गया है कि पशु छोटी मोटी बीमारी की वजह से हमेशा बीमार रहते हैं. इस चॉकलेट का सेवन करने वाले पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. यानी बीमारी से लड़ने की शक्ति अधिक हो जाती है. बकरी व खस्सी में प्राय: यह बीमारी रहती है कि वे रुक-रुक कर पेशाब करते हैं. इस चॉकलेट के सेवन से यह बीमारी नियंत्रित होकर लगभग नगण्य हो जाती है.बढ़ती है गर्भधारण क्षमता

पशुओं को कितनी दी जायेगी मात्रा: 
बड़े पशुओं में यानी गाय व भैंस को 300 ग्राम चॉकलेट की मात्रा दी जायेगी. जबकि बकरी व खस्सी को 50 ग्राम की मात्रा दी जानी है. लेकिन वर्तमान में जो चॉकलेट बनाया गया है उसका वजन दो किलोग्राम है. आगे इसके फरमे को छोटे रूप में तैयार कर कम मात्रा में बनाया जायेगा।


(Credits to: 
#Krishi Jagran)
#डेयरी ज्ञान


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