कृषकों हेतु सलाह : दिनांक १६-३१ जनवरी, २०२१
■पाला पड़ने की संभावना होने पर पाले से बचाव के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करें, अथवा थायो यूरिया की ५०० ग्राम मात्रा का १००० लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें अथवा : ८ से १० किलोग्राम सल्फर पाउडर प्रति एकड़ का भुरकाव करें अथवा घुलनषील सल्फर ३ ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर अथवा ०.१ प्रतिषत गंधक अम्ल का छिड़काव करें।
■देर से बुवाई की गई फसल में सिंचाई के साथ एक-तिहाई नत्रजन (३३ किलोग्राम/हेक्टेयर) अर्थात यूरिया (७०-७२ किलोग्राम/हेक्टेयर) सिंचाई के पूर्व भुरककर दे।
■अगेती बुवाई वाली किस्मों में और सिंचाई न करें, पूर्ण सिंचित समय से बुवाई वाली किस्मों में २०-२० दिन के अन्तराल पर ४ सिंचाई करें।आवष्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है, दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है।
• बालियाँ निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें अन्यथा फूल खिर जाते हैं, दानों का मुंह काला पड़ जाता है व करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है।
• षीघ्र एवं समय से बोई गई फसलों में उगे हुए खरपतवारों को जड़ सहित उखाडकर जानवरों के चारे के रूप इस्तेमाल करें या गड्ढे में डालकर कार्बनिक खाद तैयार करें।
• देर से बोई गई फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए खुरपी या हैण्ड हो से फसल में निराई-गुड़ाई करें। श्रमिक उपलब्ध न होने पर जब खरपतवार २-४ पत्ती के हैं, तो चौडी पत्ती वालों के लिए ४ ग्राम मैटसल्फ्युरॉन मिथाइल या ६५० मिलीलीटर २,४-डी/हैं. का छिडकाव करें। संकरी पत्ती वालों के लिए ६० ग्राम क्लोडिनेफोप प्रोपरजिल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें।
●दोंनो तरह के खरपतवारों के लिए उपरोक्त को मिलाकर या बाजार में उपलब्ध इनके रेडी-मिक्स उत्पादों को छिडकें छिडकाव के लिए स्प्रयेर में फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल करें।
• गेहूँ फसल के उपरी भाग (तना व पत्तों) पर गेहूँ की इल्ली तथा माहु का प्रकोप होने की दषा में इमिडाक्लोप्रिड २५० मिली ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
●गेहूँ में हेड ब्लाइट रोग आने पर प्रोपिकेनाजोल एक मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
●उच्च गुणवत्ता युक्त बीज जैसे कि आधार बीज की फसल में एक बार और रोगिंग करने से बीज की गुणवत्ता बढ़ जाती हैं।
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