कीट व रोगों के प्रबंधन के लिए केवल रसायनिक कीटनाशक ही काम नही आते कुछ प्रतिरोधी रसायन किसान भाई थोड़े से खर्च में अपने घरों पर ही बना सकते है,उनमें से एक है।और रसायनिक कीटनाशको से होने वाले दुष्प्रभावों को कुछ हद तक रोक सकते है। आज की कड़ी में हम जानेंगे कि किसान भाई कैसे अपने घर पर ही रोग प्रतिरोधी रसायन कीटनाशक व टॉनिकों का निर्माण कर सकते है।
किसानों द्वारा अनेक प्रकार के तरल खाद प्रयोग किए जा रहे हैं। कुछ महत्वपूर्ण तथा वृहत रूप से प्रयोग किए जाने वाले सूत्रों का विवरण नीचे दिया जा रहा है।
01 संजीवक
- 100 किग्रा. गाय का गोबर ,
- 100 लीटर गौ-मूत्र तथा
- 500 ग्रा. गुड़
500 ली. क्षमता वाले ड्रम में 300 लीटर जल में मिलाकर 10 दिन सड़ने दें। 20 गुना पानी मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में मृदा पर स्प्रे करें अथवा सिंचाई जल के साथ प्रयोग करें।
02 अमृत पानी
500 ग्रा. शहद के साथ 10 किलोग्राम गाय के गोबर को लेकर तब तक फेटें (एक लकड़ी की सहायता से)जब तक वह लुगदी (पेस्ट) जैसा न हो जाये, इसकेबाद इसमें 250 ग्रा. गाय का देशी घी मिलाकर तेजी से मिलाये। इसे 200 ली. पानी में मिलाकर घोल लें। इस घोल को एक एकड़ जमीन पर छिड़क दें या सिंचाई वाले पानी के साथ फैला दें। 30 दिनों के बाद दूसरी खुराक के रूप में पौधों की कतारों के बीच में छिड़के या सिंचाईवाले पानी के साथ फैला दें।
03 पंचगव्य
- 5 किलो गाय का गोबर,
- 3 लीटर गौ-मूत्र,
- 2 लीटर गाय का दूध,
- दही 2 लीटर,
- गाय के दूध से बना मक्खन एक किलो
मिलाकर सात दिनों के लिए सड़ने को रख दें और इसे रोज दिन में दो बार हिलाते रहें। सात-आठदिन में यह तैयार हो जायेगा। तीन लीटर पंचगव्य को 100 लीटर पानी में मिला लें और मृदा पर छिड़क दें। सिंचाई के पानी के साथ मिलाकर 20 लीटर पंचगव्य को2 प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़कना चाहिए।
04 समृद्ध पंचगव्य या (दशगव्य)
- पाँच किलो गाय का गोबर,
- तीन लीटर गौ-मूत्र,
- दो लीटर गाय का दूध,
- दही दो लीटर,
- एक किलो गाय का देशी घी,
- तीन लीटर गन्ने का रस,
- तीन लीटर कच्चे नारियल का पानी,
- 12 केलों को मसलकर तैयार पेस्ट
- अंगूर का रस 1 लीटर।
- ताड़ी का रस 1 लीटर।
एक पात्र में गाय का गोबर और देशी घी में मिलाकर तीन दिनों तक सड़ने के लिए रख दें। बीच- बीच में इसे हिलाते रहना जरूरी है। चौथे दिन उपरोक्त सभी चीजें इसमें मिला दें और 15 दिनों के लिए (प्रतिदिन दो बार हिलाना जरूरी है) सड़ने को रख दें 18वें दिन यह तैयार हो जाएगा। गन्ने के रस के स्थान पर 500 ग्राम गुड़ 3 लीटर पानी के साथ मिलाकर उपयोग किया जा सकता है या यीस्ट पाउडर को 100ग्रा. गुड़ और दो लीटर गरम पानी के साथ मिलाकर में उपयोग कर सकते हैं। छिड़काव हेतु 3 से 4 लीटर दशगव्य को 100 लीटर पानी में मिला लें। मृदा (मिट्टी) ने में डालने हेतु 50 लीटर पंचगव्य हेतु 3 से 4 लीटर दशगव्य को 100 लीटर पानी में मिला लें। मृदा (मिट्टी) ईमें डालने हेतु 50 लीटर पंचगव्य एक हैक्टेयर के लिए पर्याप्त है। इसे बीजोपचार हेतु भी उपयोग किया जा सकता है। कुछ अन्य नाशी जीव प्रबंधन सूत्र बहुत से जैविक किसान तथा गैर सरकारी संगठनों ने । बड़ी संख्या में अग्रणी सूत्र विकसित किये हैं जो विभिन्न नाशी जीवों के प्रबन्धन हेतु प्रयोग किये जाते हैं। यद्यपि इन सूत्रों की वैज्ञानिक रूप में वैद्यता नहीं है, फिर भी किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाना उपयोगिता का द्योतक है। किसान इन सूत्रों को प्रयोग करने का प्रयास कर सकते हैं क्योंकि बिना क्रय के उनके खेत पर ही तैयार किये जा सकते हैं। कुछ लोकप्रिय सूत्र निम्नवत है।
05 गौ मूत्र
एक लीटर गौ-मूत्र 20 ली. पानी में मिलाकर पर्णीय छिड़काव करने से अनेक रोगाणुओं तथा कीटों के
प्रबन्धन के साथ-साथ वृद्धि उत्प्रेरक का कार्य भी कर सकता है। सड़ा हुआ अछ पानीमध्य भारत के कुछ भागों में सड़ा हुआ छाछ पानी, सफेद मक्खी एफिड आदि के प्रबन्धन हेतु भी प्रयोग किया जाता है।
06 दशपर्णी सत
- 20 किग्रा. नीम पत्ती,
- 2 किग्रा. निर्गुन्डी (मेऊड़ी)पत्ते,
- 2 किग्रा. सर्पगंधा पत्ते,
- 2 किग्रा. गुडुची (गिलोय)पत्ते,
- 2 किग्रा. कस्टर्ड एपिल (शरीफा) पत्ते,
- 2 किग्रा. करंज पत्ते,
- 2 किग्रा. कनेर पत्ते,
- 2 किग्रा. आक पत्ते,
- 2 किग्रा. हरी मिर्च, लुगदी
- 250 ग्राम लहसुन लुगदी
- 5 ली. गौमूत्र
3 किग्रा. गाय गोबर को 200 ली. पानी में कुचलें और एक माह तक सड़ने दें। दिन में दो से तीन बार हिलाते रहें। सत् को कुचलने के बाद छानें। सत् छह माह हेतु भंडारित किया जा सकता है तथा एक एकड़ क्षेत्र में स्पे पर्याप्त है।
7.नीम गौमूत्र सत
5 किग्रा. नीम पत्ती पानी में कुचलें। इसमें 6 ली. गौमूत्र तथा 5 किलो. गाय का गोबर मिलाएं। 24 घंटे
तक सड़ने दें। थोड़े-थोड़े अंतराल से हिलाएं। सत् को निचोड़कर छानें तथा 100 ली. पानी में पतला करें।
एक एकड़ क्षेत्र में पर्णीय छिड़काव हेतु प्रयोग करें। इससे चूसने वाले कीटों तथा मिली बग का नियंत्रण
किया जा सकता है।
07 मिश्रित पतों का सत
तीन किग्रा. नीम पत्री 10 ली. गौमूत्र में कुचलें। दो किग्रा. कस्टर्ड एपिल पत्ते 2 किग्रा. पपीता पत्त
2 किग्रा. अनार पत्ती 2 किग्रा. अमरुद पत्ती को पानी में कुचलें।
दोनों मिश्रण को मिलाएं। थाड़ी- थोड़ी देर के अंतराल में (5 बार) तब तक उबालें ।
अब जब भी इसका इस्तेमाल करना हो तो इसमें 200 लीटर पानी मिला कर किसी भी फसल पर छिड़के !
छिड़कने के दिन के अंदर सभी कीट मर जायेंगे ! एक भी पैसे का खर्चा नहीं होगा बाजार से कुछ नहीं लाना पड़ता ।साभार
प्रमोद कुमार फतेहपुरिया
स्वर्णिमा श्रीवास्तव, विनय आर्य
(पी.एच.डी. शोधकर्ता)
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि
विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.)
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